सरकार ने चिन्हित कीं आठ योजनाएं
पटना : बिहार में चार नदियों की धाराओं को एक साथ जोड़ने पर पहल हो चकी है। नीतीश सरकार की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ योजना की शरुआत बूढ़ी गंडक-नोन-बाया-गंगा के साथ होगी। केंद्र से इसके लिए राशि उपलब्ध हो चुकी है। सर्वे का काम फरवरी-मार्च तक पूरा होगा, जबकि डीपीआर इस वर्ष दिसंबर तक तैयार हो जायेगा। नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) डीपीआर तैयार कर रही।
दो साल में यह योजना धरातल पर उतर जायेगी। बूढ़ी गंडक से सबसे अधिक तीन जिले प्रभावित होते हैं। खगड़िया, समस्तीपर और बेगूसराय। नदी जोड़ योजना से इन तीनों जिलों को बाढ़ से सुरक्षा कवच मिल जायेगा। नदी जोड़ योजना में आठ परियोजनाएं चिन्हित की गयी हैं। शरुआत बूढ़ी गंडक-नोन-बाया-गंगा से होनी है। इन नदियों को जोड़ने में 71 किलोमीटर का कल कैनाल बनाया जायेगा। बूढ़ी गंडक लाइन कैनाल 26 किलोमीटर होगा, जबकि नोन नदी का 23 व बाया नदी का 22 किमी।
इस पर 407.33 करोड़ रुपये खर्च होने का अनमान है। इस दिशा में पहली किस्त के रूप में केंद्रीय वित्त आयोग से 333 करोड़ रुपये उपलब्ध हो चुके हैं। अगर दिसंबर तक डीपीआर हो जाता है, तो इसी साल काम शुरू हो जायेगा। वित्तीय वर्ष 2013-14 में इसके पूरा होने की संभावना है।
नदी जोड़ योजना की आठ में छह योजनाएं ऐसी हैं, जो पूरी हो जायें, तो उनसे बिहार के दर्जनों जिलों को बाढ़ से सुरक्षा मिल जायेगी। अभी चयनित परियोजनाओं में कोहरा-चंद्रावत लिंक, बागमती-बूढ़ी गंडक वाया बेलवाघार, कोसी-गंगा लिंक व कोसी-अधवारा-बागमती लिंक हैं। सिंचाई के लिए दो योजनाओं में कोसी-मेची व सकरी-नाटा लिंक हैं। वहीं, धनारजैय जलाशय-फुलवरिया जलाशय लिंक योजना पनबिजली के लिए है।
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