आदि से अंत तक संवर जाएंगी गोमा मैया

22 Mar 2014
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तेज हुई गोमती के कायाकल्प की कवायद, गोमत ताल की सफाई शुरू की गई, नपाई भी हुई

अजय शुक्ला गोमती गंगा यात्रा के जरिए नदी के प्रति लोगों को जागरूक करने के प्रयासों ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। नदी के उद्गम स्थल माधौ टाण्डा (पीलीभीत) स्थित गोमत ताल की सफाई शुरू हो गई है। इसमें गोमती मित्र मंडल स्थानीय प्रशासन का सहयोग कर रहा है। अगले चरण में उद्गम के बाद जहां नदी लुप्त हो रही है उस क्षेत्र की नपाई की जाएगी।

गोमती-गंगा यात्रा की आयोजक संस्था लोक भारती के संगठन सचिव बृजेंद्र पाल सिंह ने बताया कि रविवार को प्रदेश के एडिशनल कैबिनेट सेक्रेटरी रवींद्र सिंह ने भी माधौ टाण्डा का दौरा कर गोमती की नपाई के बारे में निर्देश दिए हैं। इन्होंने बताया कि शासन-प्रशासन के सहयोग से जहां माधौ टाण्डा में काम शुरू हुआ है। वहीं यात्रा के दौरान गठित गोमती मित्र मंडल के जरिए नैमिष क्षेत्र को वानाच्छादित करने के लिए दो दिन पहले लोक भारती की टीम ने दौरा किया। इसमें आठ गांवों में पड़ने वाले पड़ाव स्थलों का निरीक्षण किया गया। हरदोई और सीतापुर से जुड़े इस क्षेत्र में घेरार और मंदाकिनी नदी गोमती में मिलती हैं। बृजेंद्र पाल सिंह के मुताबिक नैमिष मिश्रिख क्षेत्र, सीतापुर में 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में 88 हजार ऋषियों की स्मृति में पंचवटी के पौधों का रोपण और प्रत्येक गांव में पवित्र ऋषि स्मृति सरोवर का निर्माण किया जाएगा। इस काम की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारी राधेकृष्ण दुबे, आचार्य चंद्र भूषण तिवारी व दधीचि आश्रम के महंत देवदत्त गिरि को सौंपी गई है। शाहजहाँपुर में बण्डा के निकट गोमती तट पर स्थित सुनासीरनाथ घाट व देवस्थान को आदर्श तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने के लिए महीने में दो बार श्रमदान व वृक्षारोपण की योजना है। जिम्मेदारी सीडीआरआई के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र मेहरोत्रा, स्थानीय डॉ. संजय अवस्थी, विश्राम सिंह व कृपाल सिंह को सौंपी गई है।

बाराबंकी के हैदरगढ़ स्थित विजयी हनुमान मंदिर को गोमती संरक्षण ग्राम स्वावलंबन, गो सेवा व शिक्षा के मॉडल के रूप में विकसित करने, सुल्तानपुर के सीताकुण्ड पर 30 गुणे 10 मीटर की मूर्ति विसर्जन कुंड, जौनपुर में हनुमान घाट को स्वच्छ व आदर्श बनाने के लिए साप्ताहिक श्रमदान का कार्यक्रम बनाया गया है।

सहयोग की दरकार


1. गोमती राज्य नदी घोषित हो
2. गोमती उद्गम एवं गंगा में संगम स्थल को पर्यावरण की दृष्टि से अति संवेदशील क्षेत्र घोषित किया जाए।
3. नदी का क्षेत्र घोषित किया जाए व उसका भूलेखों में स्पष्ट उल्लेख हो
4. नदियों के दोनों ओर 500 मीटर तक पक्के निर्माण को रोकना व वर्तमान निर्माणों को हटवाना सुनिश्चित हो
5. नदी में कूड़ा डालने से रोकने के लिए 1873 में बने कानून को सख्ती से लागू किया जाए।

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