अगर चीन ने बनायी डैम तो सुख जाएगी ब्रह्मपुत्र

28 Jul 2011
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ब्रह्मपुत्र नदी अब संकट में
ब्रह्मपुत्र नदी अब संकट में

नई दिल्ली. चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ अगले सप्ताह भारत आ रहे हैं लेकिन इसके पहले चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे डैम और दूसरे प्रोजेक्ट्स का मामला एक बार फिर उठा है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का कहना है कि चीन द्वारा बनाए गए डैम से ब्रह्मपुत्र सूख जाएगी। इससे नदी की तलहटी में रहने वाले आसाम और बांगलादेश के हजारों लोग प्रभावित होंगे, साथ ही हिमालय के पर्यावरण पर भी असर पड़ेगा। एक एनजीओ जन जागृति का भी दावा है कि चीन द्वारा बनाए जा रहे डैम से नदी के कुछ सालों में पूरी तरह सूख जाने का खतरा है।

चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे डैम के बारे में भारत को अक्सर अंधेरे में रखा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 20 अक्टूबर 2009 को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू को जानकारी दी थी कि चीन ने उन्हें अधिकृत रूप से बताया है कि वह ब्रह्मपुत्र पर कोई डैम नहीं बना रहा है। आसाम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी प्रधानमंत्री से मिल कर ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी डैम से होने वाले खतरों से आगाह कर चुके हैं लेकिन बाद में चीन ने स्वीकार किया कि वह ब्रह्मपुत्र पर कुछ प्रोजेक्ट चला रहा है लेकिन उससे नदी का बहाव प्रभावित नहीं होगा। ब्रह्मपुत्र 2906 किलोमीटर लंबी नदी है, जो 1625 किलोमीटर तिब्बत में, 918 किलोमीटर भारत और बाकी 363 किलोमीटर बांगलादेश से होकर बहती है। इसके बाद वह बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।

शिलांग में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए जाने माने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि ब्रह्मपुत्र पर बनने वाले बड़े डैम नदी को खत्म कर देंगे। उन्होंने न केवल चीन बल्कि नदी पर अरुणाचल प्रदेश में बन रहे सुबनसिरी हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट का भी विरोध किया। जन जागृति संगठन के अध्यक्ष अशोकानंद सिंहल ने चीन में बनाए जा रहे प्रोजेक्ट पूरे होने पर नही का बहाव कुल 20 फीसदी रह जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन के प्रोजेक्ट से नदी का बहाव भी दिशा बदल लेगा। चीन का प्रोजेक्ट 2015 तक पूरा हो जाएगा और इन परिस्थितियों में ब्रह्मपुत्र नदी 2015 से 2050 के बीच पूरी तरह सूख जाएगी। प्रोजेक्ट पर काम 2008 से चल रहा है और केंद्र सरकार खामोश बैठी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर 11 वाटर स्टोरेज टैंक, 2 बड़ी नहरें और 5 डैम का निर्माण कर रहा है।

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी परियोजनाओं का मामला चीनी प्रधानमंत्री की अगले सप्ताह हो रही भारत यात्रा में भी उठाया जाएगा। चीन ने कहा है कि उन्होंने दो देशों से होकर बहने वाली नदियों पर हमेशा जिम्मेदार रवैया अपनाया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यारलुंग जांगबो (ब्रह्मपुत्र) पर छोटा सा पावर प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है और इसका नदी के बहाव पर कोई असर नहीं होगा। चीन ने दावा किया कि इस मामले में वे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की सीमा में बनने वाले डैम और दूसरी परियोजनाओं से नदी का बहाव प्रभावित होगा। इस डैम का काम काफी तेजी से चल रहा है। चीन ने इस इलाके में पांच डैम बनाने की तैयारी की है और यह उस श्रृंखला का पहला डैम है।’
 

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