अनपढ़ समाज ने सिखाया पानी सहेजना : अनुपम मिश्र


जब अंग्रेज भारत में राज करने आए थे तो यहां पर करीब 25 लाख तालाब, झील व अन्य वाटर बॉडीज, पानी का काम हो चुका था। आज के वाटर बॉडीज तालाब, झील छोटा हो या बड़ा उसे सिविल इंजीनियर बनाता है लेकिन तब हमारे यहां कोई सिविल इंजीनियरिग की इंस्टीट्यूट नहीं थी, ऐसी पदवी, डिग्री वाले लोग नहीं थे जो पांच साल की पढ़ाई करते हों।हमारे देश में करीब 25 हजार तालाब थे कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक तथा बाड़मेर, जैसलमेर से लेकर पूरब के मेघालय तक। जिस राज्य का नाम मेघ पर है उस राज्य के लोगों को मेघ का पानी रोकना आता था। आज हम जिसको अंग्रेजी में वाटर हार्वेस्टिंग कहते हैं ये नया शब्द है पांच, दस साल पहले हमारे में से किसी साथी ने चलाया होगा लेकिन हमारा समाज इस शब्द को सिर्फ चलाता नहीं था उसका उपयोग करता था। हमारे अनपढ़ समाज द्वारा सहेजे गए पानी के काम को अनुपम मिश्र द्वारा प्रस्तुत करता यह वीडियो।


 

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