अंटार्कटिका के रॉस सागर में बनेगा विश्व का सबसे बड़ा समुद्री-अभयारण्य

रॉस सागर
रॉस सागर


World's largest marine park created in Ross Sea in Antarctica

विश्व की वर्तमान पर्यावरणीय स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए, विभिन्न पहलों और परियोजनाओं के माध्यम से पर्यावरण की बेहतरी के लिये वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से समय-समय पर पर्यावरणीय निर्णय लिये जाते रहते हैं। 28 अक्टूबर 2016 को सीसीएएमएलआर द्वारा अंटार्कटिका के रॉस सागर में सर्वसम्मति से सबसे बड़ा समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area, MPA) सुनिश्चित कर पाना पूरी दुनिया के लिये किसी अश्वमेधी विजय से कम नहीं है।

आज जबकि सम्पूर्ण विश्व विभिन्न देशों के मध्य दूषित राजनीतिक सम्बन्धों के दौर से गुजर रहा है, ऐसे माहौल में अंटार्कटिक संधि तंत्र के 24 देशों और यूरोपीय संघ का रॉस सागर संरक्षण के विषय पर एकमत होकर सहमति देना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। सभी पर्यावरणविदों ने भी एकस्वर में पृथ्वी के सबसे प्राचीन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र माने जाने वाले अंटार्कटिका के रॉस सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्र (एमपीए) के रूप में संरक्षित किये जाने के लिये सीसीएएमएलआर द्वारा उठाए कदम का स्वागत किया है।

 

समुद्री संरक्षित क्षेत्र (एमपीए)


जिस तरह से पृथ्वी के भूभाग पर भू जैव सम्पदा के संरक्षण के लिये अभयारण्य बनाए जाते हैं, उसी तरह से महासागरों में समुद्री जैव सम्पदा के संरक्षण के लिये समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area, MPA) निर्धारित किये जाते हैं, जहाँ मानवीय गतिविधियाँ पूर्णतया सख्त नियमों के तहत संचालित की जाती हैं। अभी तक विश्व के महासागरों का केवल 3 प्रतिशत ही संरक्षित किया गया है, जबकि सम्बद्ध समुद्री निकाय इसके 30 प्रतिशत संरक्षण को उचित मानते हैं। इन समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (एमपीए) में वैज्ञानिक अनुसन्धानों के माध्यम से मानवजनित गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी की जाती है, जिसका प्रत्यक्ष व परोक्ष प्रभाव जलवायु परिवर्तन पर भी देखने को मिलता है।

समुद्री संरक्षित क्षेत्र नियमों व प्रतिबन्धों को दृष्टिगत रखते हुए अनेक प्रकार के होते हैं। पूर्णतया निषिद्ध समुद्री संरक्षित क्षेत्र में मानवीय प्रवेश और मछली पकड़ना पूरी तरह से वर्जित होता है। इन क्षेत्रों को समुद्री संरक्षित भण्डार (Marine Reserves, MR) भी कहा जाता है। हालांकि अन्य समुद्री संरक्षित क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिये नियम उतने सख्त नहीं होते हैं। अलग-अलग देश अपने स्वयं के अधिकार क्षेत्र में आने वाले समुद्रीजलों में संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करते हैं।

उदाहरण के लिये, हाल ही में सितम्बर, 2016 में अमेरिका ने अटलांटिक महासागर में प्रथम समुद्री संरक्षित क्षेत्र में समुद्री राष्ट्रीय स्मारक स्थापित किये हैं। इनमें केप कॉड के दक्षिण-पूर्व में 240 किलोमीटर की दूरी पर 13000 वर्ग किलोमीटर के प्राचीन क्षेत्र में 1000 वर्ष पुराने गहरे समुद्र प्रवालों, समुद्री कछुओं, व्हेल, टूना, शार्क और इसी तरह की गहरे समुद्र में मिलने वाली मछलियों के साथ-साथ अनगिनत समुद्री दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। यहाँ 2023 तक व्यावसायिक रूप से मछली पकड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, परन्तु अनुसन्धान हेतु मछली पकड़ने की अनुमति दी जाएगी।

 

अंटार्कटिक महासागर में समुद्री संरक्षित क्षेत्र


अंटार्कटिक या दक्षिणी महासागर में समुद्री संरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के लिये सीसीएएमएलआर उत्तरदायी होता है। सीसीएएमएलआर ने 2009 में दक्षिणी महासागर में अंटार्कटिक प्रायद्वीप के शिखर के उत्तर-पूर्व में स्थित दक्षिण ओर्कनेय द्वीप समूहों में 94,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर प्रथम समुद्री संरक्षित अभयारण्य स्थापित किया था। 28 अक्टूबर 2016 को सीसीएएमएलआर द्वारा जिस रॉस सागर अभयारण्य को स्थापित करने पर सहमति हुई है, वह गहरे समुद्र संरक्षित क्षेत्र पर दूसरा लेकिन विश्व का सबसे बड़ा समुद्री अभयारण्य होगा।

रॉस सागर अभयारण्य का बहत्तर प्रतिशत निषिद्ध क्षेत्र के अन्तर्गत आएगा, जिसमें सभी को मछली पकड़ने की मनाही होगी। परन्तु शेष भाग में वैज्ञानिक अनुसन्धान के लिये अन्य वर्गों की मत्स्य-प्रजातियों और क्रिल को पकड़ने की अनुमति प्रदान की जाएगी। सीसीएएमएलआर के अनुसार वैज्ञानिक मछली पकड़ने के लिये निषिद्ध और मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों के मध्य तुलना करके इन क्षेत्रों के जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव का अध्ययन कर समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों को गहनता से समझ पाएँगे।

 

सीसीएएमएलआर क्या हैॽ


सीसीएएमएलआर (Convention on the Conservation of Antarctic Marine Living Resources) से तात्पर्य अंटार्कटिक संधि तंत्र के अन्तर्गत अंटार्कटिक समुद्री जैव संसाधनों के संरक्षण हेतु कैनबरा में 1980 में किये गए एक अनुबन्ध से है। यह अनुबन्ध अंटार्कटिका में अधिक संख्या में मछली पकड़ने और मछलियों के धीरे-धीरे समाप्त होने की घटना को दृष्टिगत रखते हुए 1970 में विकसित किया गया था और 1982 से यह लागू किया गया है।

रॉस सागर मानचित्रसीसीएएमएलआर के अन्तर्गत अंटार्कटिका के सम्पूर्ण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के अन्दर सम्मिलित जीवित संसाधनों के अध्ययन, रख-रखाव तथा संरक्षण को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया जाता है। इसका मुख्यालय तस्मानिया, ऑस्ट्रेलिया में है। भारत ने 1986 में सीसीएएमएलआर की पूर्ण सदस्यता प्राप्त की और 1998 में इसे दो वर्ष के लिये सीसीएएमएलआर का अध्यक्ष बनने का गौरव भी प्राप्त हो चुका है।

1989 में सीसीएएमएलआर ने अंटार्कटिक क्षेत्र में मछली पकड़ने की निगरानी रखने के लिये पारिस्थितिकी तंत्र पर्यवेक्षण कार्यक्रम (Ecosystem Monitoring Program,CEMP) की स्थापना की थी। जुलाई 2013 में, सीसीएएमएलआर ने जर्मनी में बुलाई अपनी एक बैठक में रॉस सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्र (एमपीए) घोषित करने का प्रस्ताव रखा था, जो रूस के विरोध के कारण विफल हो गया था। एक बार फिर 28 अक्टूबर 2016 को ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट में हुई सीसीएएमएलआर की बैठक में अंटार्कटिका के रॉस सागर के संरक्षण से सम्बन्धित विषय पर विचारविमर्श हुआ और इससे एक समझौता उभरकर सामने आया है।

 

ग्लोब पर रॉस सागर है कहाँॽ


रॉस सागर अंटार्कटिका में विक्टोरिया लेण्ड और मैरी बियर्डलेण्ड के बीच 74.54870 दक्षिण व 166.30740 पश्चिम में दक्षिण ध्रुवीय महासागर की एक गहरी खाड़ी है। रॉस सागर को व्यापक रूप से पृथ्वी पर अन्तिम वृहत निर्जन क्षेत्र माना जाता है और इसे ध्रुवीय ईडन गार्डन की संज्ञा दी गई है। रॉस सागर को पारिस्थितिक रूप से विश्व का सबसे बड़ा महत्त्वपूर्ण सागर है। हालांकि रॉस सागर के अन्तर्गत अंटार्कटिका की परिधि का 13% से कम भाग और दक्षिणी महासागर क्षेत्र का सिर्फ 3.3% ही शामिल हैं, फिर भी यह कई प्राणियों की महत्त्वपूर्ण आबादी के लिये आवास प्रदान करता है।

रॉस सागर की अविश्वसनीय जैव विविधता और मानव अन्वेषण और वैज्ञानिक अनुसन्धान सम्बन्धी एक सुदीर्घ इतिहास रहा है। वास्तव में रॉस सागर समुद्री जैव विविधता और पेंग्विनों, सीलों, व्हेलों, समुद्री पक्षियों और मछलियों जैसे सम्पन्न समुदाय का अनोखा घर है। यहाँ दुनिया की 30 प्रतिशत से अधिक रॉस-सी किलर व्हेलें (जो रॉस सी ऑरका के नाम से जानी जाती हैं), 38 प्रतिशत एडिली पेंग्विनें (वैज्ञानिक नाम-पाइगेसेलिस एडिली), 26 प्रतिशत एम्पेरर पेंग्विनें (वैज्ञानिक नाम-एपटेनोडाइट्रस फार्सटेरी), 30 प्रतिशत से अधिक अंटार्कटिक पैट्रेल (एक प्रकार का समुद्री पक्षी) और 6 प्रतिशत अंटार्कटिक मिंक व्हेलें रहती हैं। इसके अलावा, रॉस सागर में सात ऐसी मत्स्य प्रजातियाँ मिलती हैं, जो केवल दुनिया में यहीं पाई जाती हैं, इनके साथ ही यह मछलियों की विभिन्न प्रजातियों को स्वयं में समाए हुए है।

ऐसी मत्स्य विविधता से सम्पन्न यह समुद्री क्षेत्र वाणिज्यिक मछुआरों के बीच भी काफी लोकप्रिय रहा है। वैसे तो पृथ्वी पर रॉस सागर अभी तक ऐसा सागर कहा जा सकता है, जिसे मानव गतिविधियों द्वारा बहुत अधिक क्षति नहीं पहुँचाई गई है। परन्तु कुछ समय से बड़े पैमाने पर अतिमत्स्यायन (Overfishing), प्रदूषण एवं आक्रामक प्रजातियों द्वारा इसे क्षतिग्रस्त किया जा रहा है। अतः इसका परिरक्षण आवश्यक हो गया था।

 

रॉस सागर की वैज्ञानिक व वाणिज्यिक महत्ताॽ


रॉस सागर की वैज्ञानिक महत्ता अपनी अद्वितीय जैवविविध समृद्धता के कारण तो है ही, इसके साथ ही दक्षिणी महासागर में रॉस सागर का वैज्ञानिक अनुसन्धान लम्बे समय से चलता आ रहा है। यहाँ तक कि वैज्ञानिकों के पास इससे सम्बद्ध पिछले 170 सालों के वैज्ञानिक आँकड़े उपलब्ध हैं। लम्बी अवधि के विश्वसनीय आँकड़ों के कारण वैज्ञानिकों को पर्यावरण और पारिस्थितिक परिवर्तनों को विशेष रूप से जलवायु अनुसन्धान के क्षेत्र में सटीक निष्कर्ष तक पहुँचने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।

अपेक्षाकृत दूरस्थ होने के बावजूद भी रॉस सागर का व्यावसायिक हितों के लिये विशेष रूप से वाणिज्यिक मछुआरों द्वारा प्रचुर मात्रा में उपभोग किया जाने लगा था। दुनिया भर में जहाँ मछलियों की उपलब्धता में नाटकीय रूप से गिरावट आई, इसके फलस्वरूप टूथफिश के लिये रॉस सागर की ओर मछुआरों का ध्यान आकृष्ट हुआ। रॉस सागर की मुख्य व्यावसायिक रूप से मूल्यवान मत्स्य प्रजातियों में टूथफिश प्रमुख है, कभी-कभी इसे चिली सी बास भी कहा जाता है। टूथफिश नामक इस मछली की वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है और इन प्रजातियों के प्रजनन परिपक्वता तक पहुँचने के लिये ही आठ साल लग जाते हैं और ये पचास वर्षों तक जीवित रह सकती हैं।

 

पेटागोनियन टूथफिश अथवा चिली सी बास


दुर्भाग्य से रॉस सागर में सक्रिय प्रबन्धन और नियमन के बावजूद भी वाणिज्यिक गतिविधियों के कारण, समुद्री पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर कुप्रभाव अनुभव होने लगा था। अतः इसके पहले कि यह और अधिक क्षतिग्रस्त हो, इसका समुद्री परिरक्षित क्षेत्र घोषित होना अत्यावश्यक था। अतः समुद्री विविधता के संरक्षण के वैश्विक प्रयास की दृष्टि से वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने सीसीएएमएलआर के रॉस सागर पर किये गए इस समझौते को मील का पत्थर बताया है।

 

रॉस सागर का सीसीएएमएलआर समझौता क्या हैॽ


28 अक्टूबर, 2016 को होबर्ट, ऑस्ट्रेलिया में हुई सीसीएएमएलआर अन्तरराष्ट्रीय बैठक में चौबीस देशों और यूरोपीय संघ ने सर्वसम्मति से रॉस सागर क्षेत्र संरक्षण समझौते को मंजूरी दे दी है।

सीलयह समझौता दिसम्बर 2017 से लागू हो जाएगा। इस समझौते के तहत अंटार्कटिक महासागर के रॉस सागर के 600,000 वर्ग मील (1.57 लाख वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र को समुद्री संरक्षित क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल कर दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री अभयारण्य बनाया जाएगा।

सबसे पहले 2011 में न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका ने रॉस सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्र या एमपीए बनाने के लिये प्रस्ताव रखा था। मूल प्रस्ताव में 875,000 वर्ग मील (2.3 लाख वर्ग किलोमीटर) का एक बहुत बड़ा क्षेत्र रखा गया था। लेकिन उस समय कुछ देशों विशेष रूप से चीन और रूस के विरोध के कारण यह विफल रहा था।

2011 से लेकर 2016 तक हर साल रॉस सागर क्षेत्र संरक्षण प्रस्ताव विभिन्न कारणों से धक्के खाता रहा, लेकिन इस पर चली इतने सालों की लम्बी वार्ताओं के बाद इस वर्ष 2016 में एक आम सहमति बन पाई और अंटार्कटिका के रॉस सागर में दुनिया के सबसे बड़े समुद्री अभयारण्य स्थापित करने के लिये एक ऐतिहासिक समझौता हो सका है।

इस समझौते के कार्यान्वयन के माध्यम से, रॉस सागर के 15.5 लाख वर्ग किलोमीटर की दूरी तक 2017 से 2052 तक के लिये अगले 35 वर्षों तक वाणिज्यिक रूप से मछली पकड़ने के काम पर प्रतिबन्ध लग जाएगा और इस तरह रॉस सागर क्षेत्र को अगली आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, समझौते के क्षेत्र में बनाए जाने वाले समुद्री अभयारण्य में दक्षिणी सागर का 12 प्रतिशत से अधिक भाग शामिल होगा, जिसमें 10000 से अधिक समुद्री प्रजातियाँ पाई जाती हैं। रॉस सागर के 11 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबन्ध होगा, जबकि वैज्ञानिक शोधों के लिये चयनित क्षेत्रों में व्हेल के खाए जाने वाली छोटी मछलियों ‘क्रिल’ और आरा मछली को पकड़ने की अनुमति दी जाएगी।

सर जेम्स क्लार्क रॉस के नाम पर रखे गए इस रॉस सागर की खोज की 175वीं वर्षगाँठ के अवसर रॉस परिवार की एक सदस्या फिलिपा रॉस ने इस समझौते पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि उनके परदादा द्वारा अन्वेषित विरासत को इस समझौते के माध्यम से सम्मानित किया गया है। सीसीएएमएलआर के अनुसार रॉस सागर अभयारण्य दूसरा गहरा समुद्री संरक्षित क्षेत्र है।

 

अंटार्कटिका में समुद्री संरक्षित क्षेत्र घोषित करने वाला अंटार्कटिक संधि तंत्र


अंटार्कटिका के नाम से आज सभी भलीभाँति परिचित हैं, एक समय अवश्य ऐसा था, जब 17 जनवरी 1773 को कैप्टन जेम्स कुक अंटार्कटिक वृत्त (67015’दक्षिण) को पार करने वाले प्रथम समुद्रयात्री बने थे। तब से आज तक विपुल रहस्यों से परिपूर्ण इस अप्रतिम भूखण्ड की अद्वितीय जलवायु, वायु प्रवृत्ति, जल के तीनों रूपों यथा बर्फ, जल व वाष्प के मध्य अन्तर्क्रिया, लघु तरंग सौरविकिरण, श्वेत-धवल परिस्थितियाँ तथा सर्वाधिक असामान्य मौसमिक प्रवृत्तियों ने वैज्ञानिकों के समक्ष वृहत चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रखी हैं।

वास्तव में अंटार्कटिका साहसिक कार्यों, वैज्ञानिक अन्वेषणों एवं पर्यटन के लिये एक सटीक स्थल है। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण अंटार्कटिक क्षेत्र दोहन का शिकार होने लगा था। अतः इसके संरक्षण के उद्देश्य से 1961 में अंटार्कटिक संधि तंत्र का प्रादुर्भाव हुआ। वास्तव में यह संधि अंटार्कटिक विषयों से सम्बद्ध समझौतों, मापकों और अनुबन्धों का एक सफलतम अन्तरराष्ट्रीय समझौता है। इसी के अन्तर्गत सीसीएएमएलआर अनुबन्ध के कारण ही आज तक अंटार्कटिका के जीवित संसाधनों को परिरक्षित रखा जा सका है।

 

अंटार्कटिक संरक्षित क्षेत्र


अंटार्कटिक संधि तंत्र के अन्तर्गत तीन प्रकार के संरक्षित क्षेत्र रखे गए हैं-

1. अंटार्कटिक विशिष्ट रूप से परिरक्षित क्षेत्र (Antarctic Specially Protected Area, ASPA)
2. अंटार्कटिक विशिष्ट रूप से प्रबन्धित क्षेत्र (Antarctic Specially Managed Area, ASMA)
3. ऐतिहासिक स्थल अथवा स्मारक (Historic Site or Monument,HSM)

अंटार्कटिक विशिष्ट रूप से परिरक्षित व प्रबन्धित क्षेत्र वे क्षेत्र होते हैं, जो अंटार्कटिका महाद्वीप पर या उसके आसपास के द्वीपों में वैज्ञानिकों और कई अलग-अलग अन्तरराष्ट्रीय निकायों द्वारा संरक्षित व प्रबन्धित किये जाते हैं। इन दोनों प्रकार के क्षेत्रों में प्रवेश के लिये अनुमति आवश्यक होती है।

टूथफिसऐसे कुल 72 एएसपीए और सात एएसएमए स्थल हैं, जो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चिली, फ्रांस, अर्जेंटीना, पोलैंड, रूस, नार्वे, जापान, भारत और इटली की सरकारों द्वारा संरक्षित व प्रबन्धित किये जा रहे हैं। अंटार्कटिका में ऐतिहासिक वैज्ञानिक घटनाओं से सम्बद्ध क्षेत्रों पर स्मारक बनाकर उनको संरक्षित किया गया है। ऐसे अब तक कुल 85 स्थल हैं। इन अंटार्कटिक स्थल संरक्षित क्षेत्रों के अतिरिक्त, अब अंटार्कटिक समुद्र में समुद्री संरक्षित क्षेत्र भी स्थापित होने लगे हैं। रॉस सागर संरक्षित क्षेत्र को मिलाकर इनकी संख्या दो हो गई है।

 

रॉस सागर समुद्री संरक्षित क्षेत्र के दूरगामी लाभ


सीसीएएमएलआर द्वारा संरक्षित रॉस सागर क्षेत्र में पाये जाने वाले जैव समुदाय और खाद्यजाल अपेक्षाकृत अतिप्रचीन होने से भविष्य में इन पर किये जाने वाले अध्ययनों से जलवायु परिवर्तन के जैविक व पारिस्थितिकी प्रभावों को भलीभाँति समझा जा सकेगा। इसके दीर्घावधिक अनुसन्धान इतिहास के कारण यह दक्षिणी महासागर का ऐसा प्रथम क्षेत्र है, जिसमें अलनिनो-दक्षिणी दोलन (El Nino-Southern Oscillation, ENSO) के लघुवधिक प्रभावों को पहचाना गया है।

रॉस सागर क्षेत्र ही वह पहला क्षेत्र है, जहाँ प्राणिजातों में दक्षिणी वार्षिक रूप (Southern Annular Mode, SAM) से सम्बन्धित दशकीय जलवायु प्रवृत्तियों की पहचान की गई है। इसके अलावा रॉस सागर स्पेसीमेनों से पहली बार 400 प्रजातियों और उनके आवासों की जानकारी मिली थी। इनसे पुरा जलवायु परिवर्तन के कारण अनेक प्रजातियों के वितरण में हुए परिवर्तनों के अध्ययन से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन के लिये सार्थक हल निकालने में मदद मिलेगी। प्रतिवर्ष 100 से अधिक वैज्ञानिक रॉस सागर में अध्ययन करने जाते हैं। अतः सीसीएएमएलआर द्वारा रॉस सागर क्षेत्र को अन्य 11 प्रस्तावित समुद्री संरक्षित क्षेत्रों और समुद्री अभयारण्यों में पहले सहमति प्राप्त कर समझौता कर लेने से इसके दूरगामी लाभ विश्व को अवश्य मिलेंगे।

 

 

TAGS

ross sea map in hindi, ross sea marine protected area in hindi, ross sea on world map in hindi, ross sea marine reserve in hindi, commission for the conservation of antarctic marine living resources in hindi, ross sea facts in hindi, where is the ross sea located in hindi, ross sea protected area in hindi, antarctic sea in hindi, antarctica sea crossword in hindi, antarctic sea name in hindi, antarctica ross sea in hindi, antarctic sea map in hindi, antarctic sea 4 letters in hindi, antartic sea in hindi, antarctic sea ice 2016 in hindi, antarctica map without ice in hindi, antarctic birds in hindi, arctic birds list in hindi, antarctic birds facts in hindi, a famous landmark in antarctica in hindi, antarctic albatross in hindi, antarctic bird crossword clue in hindi, curious facts about antarctica in hindi, north pole birds in hindi, antarctic petrel in hindi, antarctic toothfish in hindi, antarctic fish facts in hindi, antarctic toothfish chilean sea bass in hindi, antarctic toothfish diet in hindi, antarctic fish antifreeze in hindi, antarctic toothfish facts in hindi, antarctic cod in hindi, antarctic animals list in hindi, antarctic animals in hindi, animals in arctic in hindi, antarctic whales in hindi, antarctic plants in hindi, antarctic animals and plants in hindi, do polar bears live in antarctica in hindi, antarctic fox in hindi, antarctic seals in hindi, albatrosses in hindi, antarctic penguins in hindi, penguins in arctic in hindi, antarctic penguin crossword in hindi, emperor penguins in antarctica in hindi, antarctic penguins google in hindi, how many penguins are there in the world in hindi, arctic penguins facts in hindi, seals in antarctica in hindi, whales in antarctica in hindi, list of marine protected areas in hindi, marine protected areas map in hindi, marine protected areas in india in hindi, most marine protected areas quizlet in hindi, types of marine protected areas in hindi, what is a marine protected area quizlet in hindi, benefits of marine protected areas in hindi, marine protected areas worldwide in hindi, why are marine reserves important in hindi, marine reserve in india in hindi, how many marine reserves are there in new zealand in hindi, nz smallest marine reserve in hindi, why did australia create more marine reserves in hindi, what prompted officials in australia to create more marine reserves? in hindi, what percent of the world oceans are currently marine reserves in hindi, should we implement a global marine reserve network in hindi, commission for the conservation of antarctic marine living resources members in hindi, ccamlr members in hindi, ccamlr convention in hindi, ccamlr meeting 2016 in hindi, convention on the conservation of antarctic marine living resources pdf in hindi, convention for the conservation of antarctic seals in hindi, ccamlr 2016 in hindi, ccamlr ross sea in hindi, antarctic specially managed areas in hindi, antarctic specially protected areas map in hindi, antarctic protection treaty in hindi, what is the antarctic treaty in hindi, antarctic specially protected areas in hindi, antarctic specially protected areas map in hindi, what is the antarctic treaty in hindi, antarctic treaty in hindi.

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading