अफसरों ने यमुना में बहा दिए 87 लाख

30 Nov 2013
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यमुना की धारा को घाटों तक लाने के साथ ही जर्जर घाटों की मरम्मत की भी योजना थी, लेकिन अधिकारियों ने अब तक घाटों की मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया है। यमुना किनारे के सभी घाट आज भी जर्जर हालत में ही हैं। सिल्ट सफाई के नाम पर खोदे गए किनारों पर इस समय मिट्टी का दलदल बना है। क्षेत्रीय लोगों की मानें तो दलदल इस तरह का है कि व्यक्ति समा जाए। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा पर यमुना स्नान के लिए आने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ेगी। इटावा शहर में प्रवाहित यमुना नदी के जल को घाटों तक लाने के लिए उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने एक नहीं 87 लाख रुपए जारी किए थे लेकिन सरकारी अनदेखी और लापरवाही के नतीजे के कारण 87 लाख रुपए पानी में ऐसे बह गए मानों 87 लाख रुपए कुछ हो ही ना। उम्मीद यह की गई थी कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर इटावा वासियों को यमुना नदी में नहाने के लिए पानी मिल जाएगा लेकिन ऐसा लगता ही नहीं है। राजतिलक के जल में यमुना नदी के जल को मिश्रण किया जाता रहा है कभी लेकिन आज हालात यह बन गई है कि इस नदी के जल को कोई छूना भी पंसद नहीं कर रहा है। सालों से यमुना नदी की बिगड़ रही दशा को लेकर देश भर में जगह-जगह सवाल उठाए जा रहे हैं इसके बावजूद भी कोई ठोस परियोजना इस जीवनदायिनी नदी के हित में सही ढंग से नहीं उठाया जा सका है जो भी योजनाएं यमुना नदी की दुरूस्ती के लिए उठाए जा रहे हैं वो सरकारी अफसरों और सरकारों की अनदेखी के कारण ना केवल मिट्टी में मिलती चली जा रही है बल्कि सरकार की ओर से भी दिए जा रहे भारी धन को भी डकारने में लगे हुए है।

यहां पर जिस वाक्ये का ज्रिक किया जा रहा है वो कहीं और का नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इटावा शहर का है जहां पर उनके चाचा और उत्तर प्रदेश के कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने यमुना नदी के घाटों की दशा सुधारने के लिए 87 लाख रुपए जारी करवाए लेकिन इन 87 लाख रुपए को किस मद में खर्च किया गया है यह बड़ा ही विचित्र सा सवाल इसलिए भी लग रहा है क्योंकि योजना के क्रियान्वयन पर यह तय हुआ था कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर इटावा के श्रद्धालुओं को नहाने के लिए यमुना नदी के घाटों पर पानी मिलेगा।

यमुना में भ्रष्ट्राचार की कहानी बताता दलदलमुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिला इटावा में घाटों से दूर बह रही यमुना को घाटों तक लाने के लिए खर्च किए गए 87 लाख रुपए पानी में बह गए हैं। इसके साथ ही यमुना को घाटों की ओर लाने की शासन की मंशा भी धरी रह गई। मौजूदा स्थिति यह है कि घाटों से यमुना की धारा तक पहुँचना भी संभव नहीं है। क्योंकि यमुना की धारा को घाटों तक लाने की कवायद में जो सिल्ट निकाली गई, वो नदी के किनारे दलदल की तरह पड़ी है। 87 लाख खर्च करने के बावजूद अब न तो इस ओर विभागीय अधिकारियों का ध्यान है और न ही शासन का।

इटावा शहर में घाटों से दूर बह रही यमुना को घाटों के पास लाने की कवायद सिंचाई विभाग ने कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के निर्देश के बाद मई महीने में की थी। शासन की ओर से इस काम के लिए 87 लाख रुपए की धनराशि भी स्वीकृत की गई। मई महीने में सिंचाई विभाग की ओर से यमुना घाटों से कई फीट सिल्ट को पोकलैंड मशीन के जरिए हटवाया गया। इसके बाद यमुना में आई बाढ़ ने किए धरे का बंटाधार कर दिया। सिल्ट सफाई के नाम पर इधर-उधर एकत्रित की गई मिट्टी बाढ़ के पानी में फिर से घाटों के किनारे समां गई। यमुना नदी के मौजूदा किनारों को देखने के बाद कहीं से नजर नहीं आ रहा है कि यहां 87 लाख रुपये खर्च किए गए।

यमुना में भ्रष्ट्राचार की कहानी बताता दलदलयमुना नदी में आई बाढ़ के बाद सिचाई विभाग के अधिकारियों ने यमुना नदी के घाटों का हाल देखने की जहमत नहीं उठाई। यमुना नदी में सिल्ट सफाई के नाम पर डाली गई मिट्टी ने टापू का रूप ले लिया है। इस कारण यमुना का पानी घाटों से दूर हो गया है। बीच में सिल्ट सफाई के नाम पर खोदी गई खाई में दलदल जैसी स्थिति होने के कारण घाट से यमुना की धारा तक जाना भी संभव नहीं है।

87 लाख रुपए खर्च होने के बाद यमुना के घाटों की बदहाल स्थिति को देखकर यहां पहुंचने वाले लोगों में सिंचाई विभाग के प्रति गुस्सा साफ देखा जा सकता है। शहर के पुरबिया टोला निवासी संजय वर्मा का आरोप है कि सिचाई विभाग की यह योजना यमुना नदी की धारा को घाटों तक लाने की नहीं थी, बल्कि पैसा खाने की थी। सिल्ट सफाई के दौरान जानकार लोगों ने कई बार सुझाव दिए लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। सिल्ट सफाई के नाम पर खोदी गई खाई में यमुना का पानी नहीं, घाटों तक नाले का पानी जरूर पहुंच रहा है। यह स्कीम सिर्फ अधिकारियों ने अपने जेब भरने के लिए बनाई थी। संजय वर्मा की ही तरह इटावा के ही बबलू चौधरी भी कहते हैं कि जब तक सुनवारा मंदिर के पास ठोकर नहीं बनेंगी, पानी घाट तक नहीं आएगा। सिल्ट सफाई के बाद से अधिकारियों ने कोई ध्यान ही नहीं दिया। दोनों ही लोगों ने इस प्रोजेक्ट की जांच कराने की मांग की है। यमुना नदी की धारा को घाटों की ओर मोड़ने के लिए घाटों के किनारे से सिल्ट हटाकर धारा को मोड़ने के लिए तीन ठोकरें बनाई जानी थीं। इसके साथ ही जीवो वेग भी लगाए जाने थे। जीवो वेग लगाने के लिए सिंचाई विभाग ने मुंबई के कुछ एक्सपर्ट को चयनित किया था।

यमुना में भ्रष्ट्राचार की कहानी बताता दलदलयमुना की धारा को घाटों तक लाने के साथ ही जर्जर घाटों की मरम्मत की भी योजना थी, लेकिन अधिकारियों ने अब तक घाटों की मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया है। यमुना किनारे के सभी घाट आज भी जर्जर हालत में ही हैं। सिल्ट सफाई के नाम पर खोदे गए किनारों पर इस समय मिट्टी का दलदल बना है। क्षेत्रीय लोगों की मानें तो दलदल इस तरह का है कि व्यक्ति समा जाए। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा पर यमुना स्नान के लिए आने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ेगी। स्नानार्थियों को घाटों से दूर यमुना का पानी हासिल होगा।

उत्तर प्रदेश के सिचांई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने इस संदर्भ में कहा है कि उन्होने तो इलाकाई लोगों की मांग के अनुरूप घाटों तक पानी लाने की योजना बनाई थी अगर हकीक़त में कोई गड़बड़ी हो रही है तो इस बाबत पूरे स्तर पर पड़ताल करा के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी सरकार धन को किसी भी सूरत में डकराने नहीं देगी।

यमुना में भ्रष्ट्राचार की कहानी बताता दलदल

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