आर्सेनिक मुक्त कुओं से बुझेगी प्यास

2 Jan 2016
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जल संसाधन मंत्रालय तैयार कर रहा योजना


नई दिल्ली, 1 जनवरी (भाषा) : गंगा किनारे बसे देश के 224 जिलों का पानी पीने के लायक नहीं रहा है। आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे जानलेवा तत्त्व इनमें पाये गए हैं। इन जिलों के लोगों को शुद्ध जल मुहैया कराने के लिये जल संसाधन मंत्रालय यहाँ आर्सेनिक मुक्त कुएँ बनवाने जा रहा है। साथ ही इन जिलों में बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा।

जल संसाधन के अधिकारी के मुताबिक भारत में फ्लोराइड और आर्सेनिक भूजल के दो प्रमुख प्रदूषक हैं। पेयजल की गुणवत्ता के लिहाज से आर्सेनिक दूषित जल एक बड़ी समस्या है। गंगा के मैदानी क्षेत्रों में एक बड़ा भूभाग इससे प्रभावित है। इसमें फ्लोराइड प्रभावित 276 जिलों में से 138 जिलों में और आर्सेनिक प्रभावित 86 जिलों का भूजल प्रदूषित हो चुका है।

इसकी वजह से इन जिलों में बड़ी संख्या में लोग पेट सहित अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यही नहीं इन जिलों की फसलों पर भी दूषित जल का प्रभाव पड़ रहा है। इससे चिन्तित जल संसाधन इन जिलों में जागरुकता कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है।

जल संसाधन मंत्रालय की कार्य योजना के अनुसार, चयनित क्षेत्रों में आर्सेनिक मुक्त कुओं का निर्माण करने के साथ ही राज्य जल आपूर्ति प्रकोष्ठ के अधिकारियों तथा जल उपयोगकर्ता संघ एवं किसानों समेत विभिन्न पक्षों के क्षमता निर्माण के लिये विशेष अभियान चलाया जाएगा।

इसमें स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके प्रतिकूल प्रभाव, इस बारे में विभिन्न नियंत्रण विकल्पों की जानकारी दी जाएगी।

यह कार्यक्रम जनमत को प्रभावित करने वाले व्यक्तियों एवं समूहों, युवाओं, गैर सरकारी संगठनों को शामिल करते हुए ब्लाक, तहसील और तालुक स्तर पर आयोजित करने की पहल की गई है।

इन सभी कार्यक्रमों में प्रशिक्षण के लिये रिसोर्स पर्सन के रूप में केन्द्रीय भूजल बोर्ड, राज्य सरकार के सम्बन्धित कार्यालयों के अधिकारी शामिल किये जा रहे हैं।

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