आस्था और अस्तित्व में फंसी गंगा

क्या हमारे देश के नदियों का काम यही है कि वह हमारे पापों को धोएं? जो हमें अपना पानी पिलाती हैं उसी नदी को हम आज विलुप्त होने के लिए मजबूर कर रहे हैं। क्या यहीं हमारा नदियों के प्रति कर्तव्य है? इसी मुद्दे पर एनडीटीवी द्वारा एक विचार विमर्श किया गया।

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