और रोक दिये वर्षाजल के सारे रास्ते


तालाब के कलात्मक सौन्दर्य का कोई मुकाबला नहीं है। इसके निर्माण में लगे बड़े पत्थरों को जोड़ने के लिये अवलेह का इस्तेमाल किया गया है। यह अवलेह वास्तुशिल्प को मुगलकाल की खूबसूरत भेंट है। मध्य प्रदेश में नागयष्टि के नाम से मशहूर इस तालाब में स्थित स्तम्भ पानी के मापने का काम करता है। वृत्ताकार शिखर वाले इस स्तम्भ के बीच के चारों अष्टकोणीय खण्डों ने तालाब के सौन्दर्य में चोगुना वृद्धि कर दी है। बेहद खूबसूरत तकरीबन 8 लाख घन फुट क्षमता वाले इस तालाब के घाट राज्य के सभी तालाबों में अपनी अलग पहचान रखते हैं। झज्जर के उत्तर में बहादुरगढ़ मार्ग पर कस्बे के बाहर राजकीय महाविद्यालय से कुछ दूरी पर स्थित है बुआ वाला तालाब। हरियाणा के तालाबों से इश्क के किस्से तो बहुत जुड़े हैं, लेकिन यह अकेला ऐसा तालाब है जिससे जुड़ा किस्सा इतिहास के पन्नों में दर्ज है।

तालाब में वर्षाजल आने के सारे प्राकृतिक रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। सौन्दर्यीकरण के नाम पर भी इनमें से कई को अवरुद्ध कर दिया गया है। अब इसमें ट्यूबवेल से पानी भरा जाता है। तकरीबन 30 फुट गहरे तालाब में 10 फुट पानी खड़ा है। आस-पास के लोग इसका इस्तेमाल नहाने और कपड़े धोने के लिये करते हैं। अब यह शहरी सौन्दर्यीकरण का हिस्सा है।

इस तालाब का इतिहास 400 साल पुराना है। जिस समय यह तालाब बनाया गया, उस वक्त इस तालाब की छटा बहुत अद्भुत थी। और जहाँ यह तालाब स्थित है वहाँ स्थित है एक मस्जिद। मस्जिद के साथ सटे हैं सात मकबरे। और इनके साथ ही बना है एक पक्का और खूबसूरत तालाब। किसी जमाने में यह कच्चा था। कहते हैं कि 400 साल पहले के झज्जर के मुस्लिम शासक की बेटी बुआ ने अपने इश्क को पक्का करने के लिये इसे कच्चे से पक्का बनाया।

हालांकि यहाँ मिले शशि कुमार ने बताया कि तालाब को पक्का कराने का काम 1626 में दुर्गामल ने कराया। बताते हैं कि एक दिन बुआ तालाब के किनारे शिकार खेलने हेतु गई थी। और वहाँ एक बाघ ने उसे दबोच लिया। वहाँ मौजूद हसन नाम के एक युवक ने यह देखा और अपनी जान पर खेल बुआ को बचा लिया। हसन की वीरता की कायल हुई बुआ का हसन से इश्क हो गया। बाद में जब शासक को बुआ और हसन के इश्क का पता चला तो वह इससे कुपित हो गए।

साजिश के तहत शासक ने हसन को युद्ध के मैदान में भेज दिया। हसन वहाँ मारा गया। हसन की याद में बुआ ने एक मकबरा बनवाया और तालाब को पक्का करा दिया। तकरीबन दो साल बाद बुआ का भी निधन हो गया। बुआ को भी यहीं दफन किया गया।

नरक जीते देवसरमकबरों और मस्जिद के साथ सटा यह तालाब अब एक तरह से पार्क का हिस्सा है। झज्जर में आई भौतिक विकास की बयार में तालाब पार्कों के बीच घिर गया है। इसमें थोड़ा पानी भी है। तालाब नाम भर का है। वर्गाकार इस तालाब की दीवारें 200 फुट लम्बी हैं। तालाब की चारदीवारी ऊपर से चार फुट ऊँची और नीचे से तकरीबन 6 फुट चौड़ी है। शिल्प की दृष्टि से अत्यन्त सुन्दर इस तालाब के निर्माण में कई लाख लखौरी ईंटों का इस्तेमाल हुआ है।

इस तालाब के कलात्मक सौन्दर्य का कोई मुकाबला नहीं है। इसके निर्माण में लगे बड़े पत्थरों को जोड़ने के लिये अवलेह का इस्तेमाल किया गया है। यह अवलेह वास्तुशिल्प को मुगलकाल की खूबसूरत भेंट है। मध्य प्रदेश में नागयष्टि के नाम से मशहूर इस तालाब में स्थित स्तम्भ पानी के मापने का काम करता है।

वृत्ताकार शिखर वाले इस स्तम्भ के बीच के चारों अष्टकोणीय खण्डों ने तालाब के सौन्दर्य में चोगुना वृद्धि कर दी है। बेहद खूबसूरत तकरीबन 8 लाख घन फुट क्षमता वाले इस तालाब के घाट राज्य के सभी तालाबों में अपनी अलग पहचान रखते हैं। पूर्व को छोड़कर सभी दिशाओं में घाट हैं। घाटों की जेह के बुर्ज अष्टकोणीय हैं। राज्य के तालाबों में यह अकेला तालाब है, जिस पर अश्व घाट बना है।

यह घाट उत्तरी दीवार पर बने घाटों के साथ में बना है। इसकी चौड़ाई तकरीबन 100 फुट है। इसका निर्माण इस तरीके से किया गया है कि घुड़सवार घोड़े की पीठ छोड़े बिना ही उसे सीधा पानी पिला सकें। यह घाट धीरे-धीरे तालाब की ओर ढलता है। महिलाओं के घाट पर 6 फुट चौड़ी और 15 फुट लम्बी बारहदारी है।

 

नरक जीते देवसर

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

भूमिका - नरक जीते देवसर

2

अरै किसा कुलदे, निरा कूड़दे सै भाई

3

पहल्यां होया करते फोड़े-फुणसी खत्म, जै आज नहावैं त होज्यां करड़े बीमार

4

और दम तोड़ दिया जानकीदास तालाब ने

5

और गंगासर बन गया अब गंदासर

6

नहीं बेरा कड़ै सै फुलुआला तालाब

7

. . .और अब न रहा नैनसुख, न बचा मीठिया

8

ओ बाब्बू कीत्तै ब्याह दे, पाऊँगी रामाणी की पाल पै

9

और रोक दिये वर्षाजल के सारे रास्ते

10

जमीन बिक्री से रुपयों में घाटा बना अमीरपुर, पानी में गरीब

11

जिब जमीन की कीमत माँ-बाप तै घणी होगी तो किसे तालाब, किसे कुएँ

12

के डले विकास है, पाणी नहीं तो विकास किसा

13

. . . और टूट गया पानी का गढ़

14

सदानीरा के साथ टूट गया पनघट का जमघट

15

बोहड़ा में थी भीमगौड़ा सी जलधारा, अब पानी का संकट

16

सबमर्सिबल के लिए मना किया तो बुढ़ापे म्ह रोटियां का खलल पड़ ज्यागो

17

किसा बाग्गां आला जुआं, जिब नहर ए पक्की कर दी तै

18

अपने पर रोता दादरी का श्यामसर तालाब

19

खापों के लोकतंत्र में मोल का पानी पीता दुजाना

20

पाणी का के तोड़ा सै,पहल्लां मोटर बंद कर द्यूं, बिजली का बिल घणो आ ज्यागो

21

देवीसर - आस्था को मुँह चिढ़ाता गन्दगी का तालाब

22

लोग बागां की आंख्यां का पाणी भी उतर गया

 

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