बारिश और सपने

सागर की लहरों पर

छलांग लगाता है एक लड़का

और लहर-संगीत से खुलती है

सागर तट पर

स्वप्निल एक खिड़की

खिड़की के जगमग फ्रेम में जड़ी

अपनी छत के नीचे खड़ी

भीगती है एक लड़की

दूर सागर पर गिरती बूंदों से

सरोबार भीगने का

सुख उसका उसका अपना है

खिड़की से सागर तक तिरती

लड़की की आंखों में

सुख को सहलाता

आतुर एक सपना है.....

संकलन/प्रस्तुति
नीलम श्रीवास्तव,महोबा उत्तर प्रदेश

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