बुन्देलखण्ड में किसानों के खेतों पर तालाब और पेड़ लगाने के लिये हर सम्भव कोशिश हो - आयुक्त एल बेंकटेश्वर लू


14 दिसम्बर, 2015, बाँदा। 'अपना तालाब अभियान और अपना उद्यान अभियान' चित्रकूट मंडल के चारों जिलों में राज-समाज की साझी पहल बनाये जाने के लिये आयुक्त एल बेंकटेश्वर लू की अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सभी जनपदों के प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, प्रमुख किसान और मुख्य विकास अधिकारी सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। जिसमें अपना तालाब अभियान महोबा के सफल कार्यों, परिणामों से परिचय करते हुए अभियान संयोजक पुष्पेन्द्र भाई ने प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों में सूखा और पानी का संकट गहराता जा रहा है। इस संकट से निपटने और स्थाई समाधान की दिशा में साझे प्रयास करने की जरूरत है।

जिसमे किसानों को अपने खेतों पर तालाब बनाने और एक-तिहाई भूभाग पर पेड़ लगाने के लिये प्रोत्साहित करना हमारी मुहिम का हिस्सा बने, साथ ही इस काम के लिये उपयुक्त योजनाएँ भी। पुष्पेन्द्र भाई ने इस मुहिम को गति और ऊर्जा देने के लिये सुझाव प्रस्तुत किया कि यहाँ का किसान अकेले अनुदान अथवा आर्थिक मदद से नहीं बल्कि उसके काम के सम्मान किये जाने पर बुन्देलखण्ड की तस्वीर बदल सकता है। विचार-विमर्श के उपरान्त एल बेंकटेश्वर लू ने कहा कि बुन्देलखण्ड की परिस्थितियों में बदलाव लाने के लिये किसानों के खेतों पर तालाब और पेड़ लगाने के लिये हर सम्भव कोशिश जरूरी है और इनके अनुरूप योजनाएँ भी।

उन्होंने सहमति व्यक्त की कि जो किसान अपने खेत पर तालाब बनाने और पेड़-बाग लगाने का काम करेगा, उस किसान को उसके खेत पर चलकर उसके समाज और गाँव में सम्मान करने को मैं तत्पर रहूँगा। इसी क्रम में खहरा गाँव के युवा किसान पंकज सिंह द्वारा अपने अनुपजाऊ व असिंचित खेत को हरा-भरा करने के प्रयास का जिक्र हुआ। बताया गया कि पंकज कुछ ही वर्ष पहले से रेलवे विभाग की नौकरी छोड़कर खेती-किसानी का काम कर रहा है। इस समय अपने खेत पर तालाब बना रहा है। इस बात को सुनते ही श्री लू ने किसान का हौसला बढ़ाने और अभियान को गति देने की मंशा से 16 दिसम्बर को किसान पंकज के खेत में पहुँचने की तारीख तय की।

एक जानकारी के मुताबिक युवा किसान पंकज सिंह ने अपनी पढ़ाई कर भारतीय रेल के इन्जीनियरिंग विभाग (राइट्स) में असिसटेंट मैनेजर की नौकरी की। कुछ वर्ष पहले नौकरी को द्वितीयक समझ कर त्याग दिया। और खेती-किसानी को जीवन का हिस्सा मानकर अपनी असिंचित, अनउपजाऊ, बंजर जमीन पर हरियाली लाने का सिलसिला शुरू किया। आज जमीन का एक बड़ा हिस्सा फलदार वृक्षों से हरा-भरा हो गया है। जिसके दसवें हिस्से पर वर्षाजल को पूँजी मानकर संचित करने के लिये तालाब निर्माण की शुरूआत भी की है।

अपना तालाब अभियानपानी के संकट वाले क्षेत्र मटौंध ग्रामीण के खहरा गाँव में युवा किसान पंकज सिंह द्वारा अपने बंजर खेतों पर हरियाली लाने के प्रयास को आयुक्त एल. बेंकटेश्वर लू ने देखा। अवर्षा और सूखा को अनदेखा कर किसान पंकज द्वारा अपने खेत में तालाब बनाने पर आयुक्त ने सराहा और किसान का तिलक कर उसके जज्बे की हौसला आफजाई की। आयुक्त श्री लू ने खेत के एक हिस्से पर वृक्ष रोपित किया और कहा की मंडल के सभी जनपदों को सूखा, जल संकट से उबारने के लिये, खेतों पर तालाब बनाने और उद्यान लगाने को प्राथमिकता देकर अभियान की तरह चलाएँगे। ताकि सदियों से पानी के आभाव में अविकसित क्षेत्र में हरियाली और खुशहाली आ सके। वहाँ पर मौजूद किसानों को भी अपने-अपने खेतों पर मनरेगा के तहत तालाब बनाने के लिये प्रेरित किया।

‘बूँदे ही रचेंगी, बुन्देलखण्ड’ का उदाहरण बताते हुए, आयुक्त चित्रकूट मंडल के बेंकटेश्वर लू ने युवा किसान के जज्बे को सम्मान करते हुए, कहा कि वर्षाजल की हर एक बूँद की हिफाजत और खेती में वृक्षों (पेड़ों) को हिस्सा बनाने से ही इस क्षेत्र में हरियाली और खुशहाली सम्भव है।

अपना तालाब अभियानह्यूमन एग्रेरियन सेन्टर के संस्थापक किसान प्रेमसिंह ने क्षेत्र को विकसित करने और प्रकृति सम्यक कृषि के व्यवहारिक सिद्धान्त का अनुभव रखा। इस पर आयुक्त एल. बेंकटेश्वर लू ने सहमति जताते हुए कहा कि इन विधाओं के विकास से कृषि और किसानों के साथ वर्तमान की समस्याओं का समाधान सम्भव है। अपना तालाब अभियान के संयोजक पुष्पेन्द्र भाई ने कहा कि वर्षाजल की हिफाजत करने और अपनी खेती में पेड़ और पानी को हिस्सा बनाना राष्ट्रीय कार्य है। ऐसे किसानों का सम्मान राष्ट्र का सम्मान है। मण्डलायुक्त के द्वारा तालाब बनाने वाले किसान के खेत पर पहुँच कर सम्मान करने की शुरूआत कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा में शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि राज-समाज के साझे प्रयास से ही सूखा-आकाल से निपटने का मार्ग प्रसस्त होगा। इस अवसर पर पर्यावरणविद गुंजन मिश्रा, महोबा के किसान दयाशंकर कौशिक ने भी अपने विचार रखे।

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