भारत-पाक में पानी को लेकर तकरार
26 September 2012

कंजालवान (भारत-पाक नियंत्रण रेखा)। भारत और पाकिस्तान के बीच उपजा किशनगंगा जल विवाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में है। दोनों देशों में जल संकट को देखते हुए लगता है कि इनके बीच चौथा युद्ध पानी के लिए ही होगा। सिर्फ भारत-पाक ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में पर्यावरण परिवर्तन, कुव्यवस्था, पानी की बर्बादी के चलते पानी के लिए युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं। माग बढ़ने और आपूर्ति घटने के बीच जल के लिए युद्ध अगले दशक तक तय है। दक्षिण एशिया में पानी का स्रोत ग्लेशियर और मानसून ही है। पर्यावरण परिवर्तन के कारण घटते ग्लेशियर और बारिश ने परेशानी और बढ़ा दी है। खासकर दक्षिण एशिया के देशों के बीच पानी को लेकर तनाव बढ़ रहा है। क्षेत्र की तीन प्रमुख नदिया सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र भारत और पाकिस्तान के लिए न केवल जीवनधारा हैं बल्कि कई बड़े शहर पूरी तरह इन्हीं के आसरे हैं। भारत-पाक के बीच पंजाब की पाच नदियों सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम के बंटवारे को भी लेकर लंबे अरसे तक तनाव रहा है। बांग्लादेश भी विवाद की तीसरी कड़ी है। उससे फरक्का बांध को लेकर तनाव है।

नई दिल्ली के नीति अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ बीजी वर्गीस का कहना है कि दुनिया में पानी को लेकर तनाव की बानगी दक्षिण एशिया में आसानी से देखी जा सकती है। इन विवादों की जड़ में कई नदी बांध भी हैं जो हक की लड़ाई को गंभीर रूप देते जा रहे हैं। उत्तरी कश्मीर घाटी में भारत की 330 मेगावॉट की पनबिजली परियोजना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। बर्फ से ढकी हिम नदियों से कृषि से लेकर पीने तक का पानी मिलता है, लेकिन सीमाक्षेत्र के विवाद को इस विवाद ने और गहरा दिया है। गुरेज घाटी पर बन रहे बांध को लेकर पाकिस्तान भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत जा चुका है।

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