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भारतीय जल संकट : विकास, विवाद और संवाद
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स्थान : संभावना इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड पॉलिटिक्स,
गांव : कंडबारी, पालमपुर, हिमाचल, 176061
तिथि : 26 फरवरी-01 मार्च 2013


भारत में आर्थिक सुधारों के लहर के दूसरे दशक में प्राकृतिक संसाधनों के निजीकरण और कारपोरेटीकरण का दौर तेज हुआ है। इसके साथ-साथ जहां एक ओर विवाद बढ़े हैं तो दूसरी ओर इन संसाधनों पर बड़ी संख्या में लोगों का हक छीना गया है। हालांकि वृद्धि केंद्रित विकास के लिए संसाधनों पर होने वाली बहस के केंद्र में ज़मीन तो हमेशा ही मुद्दा रही, पर मुख्य धारा की मीडिया में पानी के मुद्दे को ज्यादा अहमियत नहीं मिली है।

आर्थिक वृद्धि के इस दौर में न केवल मानवीय पेयजल और अन्य जरूरतों के लिए पानी की कमी को महसूस किया जा रहा है। बल्किऊर्जा, व्यावसायिक खेती और औद्योगिक विकास जैसे क्षेत्रों के लिए भी आवश्यक माना जा रहा है। ये सभी क्षेत्र न केवल जल संसाधन की मात्रा को प्रभावित कर रहे हैं। बल्कि गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहे हैं। देश के बड़े-बड़े शहरों में औद्योगिक क्षेत्रों और खेती वाले इलाकों में पेस्टीसाइड और रासायनिक खादों के इस्तेमाल ने पानी के प्रदूषण और संक्रमण की खबरों को बढ़ा दिया है।

अब समय आ गया है कि हम पानी को जहां एक ओर मानव के मूल अधिकार के रूप में समझें तो दूसरी ओर पारिस्थितिकीय के मद्देनज़र जल संसाधनों और पर्यावरणीय प्रवाह के संरक्षण की महत्ता को भी समझें। ‘संभावना इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड पॉलिटिक्स’ पानी पर काम करने वाले शोधकर्ताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एक तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उभरते हुए मुख्य मुद्दों और भारत में पानी के मुद्दे पर होने वाली वर्तमान परिस्थितियों को समझना है।

इस कार्यक्रम का आयोजन 26 फरवरी 2013 से लेकर 01 मार्च 2013 तक किया जा रहा है। कार्यक्रम में मंथन अध्ययन केंद्र से श्रीपाद धर्माधिकारी, पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट से रवि चोपड़ा और साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल्स से हिमांशु ठक्कर के साथ अन्य जानी मानी हस्तियां शामिल होंगी।

कार्यक्रम के लिए पंजीकरण शुल्क 1000 रुपए।
कृपया वर्कशाप में रजिस्टर करने के लिए संपर्क करें।

संध्या गुप्ता
फोन : 9816314756
ईमेल : sutradhaar@sambhaavnaa.org
अधिक जानकारी के लिए संलग्नक देखें


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