भूकम्प से बचने के लिए तैयार नहीं शहर

भूजल बर्बाद करते बिल्डर्स
भूजल बर्बाद करते बिल्डर्स
नोएडा (एसएनबी)। भगवान न करे नोएडा का सामना नेपाल जैसी तीव्रता के भूकम्प से हो, अगर ऐसा हुआ तो जानमाल की भारी क्षति होगी। वजह नोएडा शहर भूकम्प के लिहाज से बेहद खतरनाक सिस्मिक जोन चार में मौजूद है लेकिन सरकारी एजेंसियों की तैयारियाँ इसके मुताबिक नहीं है। नतीजतन बड़ा भूकम्प आने पर होने वाली तबाही का अन्दाजा भी कोई नहीं लगा सकता। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर आठ या इससे ज्यादा हुई तो शहर की तमाम इमारतें जमींदोज हो जाएगी। भूकम्प के बाद की स्थितियाँ और भी भयावह होंगी। शहर की जनसंख्या व क्षेत्रफल के हिसाब से राहत व बचाव कार्य करने की कोई तैयारी नहीं है।

दरअसल हालात की गम्भीरता को समझने के लिए शहर की बसावट व प्राधिकरण, पुलिस व प्रशासन की तैयारियों को समझना पड़ेगा। यमुना के किनारे बसे नोएडा का विस्तार 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में है। जनसंख्या घनत्व 1252 हो चुका है जबकि 2001 में यह महज 898 था। यह पूरा क्षेत्र बलुई जमीन पर बसा हुआ है। शहर के अधिकतर सेक्टर विकसित हो चुके हैं। इनमें से तमाम सेक्टरों में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं। इसके अलावा शहर के कई पुराने सेक्टरों में भी नियमों को ताक पर रखकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। शहर में 81 गाँव हैं जो जनसंख्या के बोझ से बुरी तरह दबे हुए हैं। गाँवों में इमारतों के निर्माण में किसी का दखल नहीं होने से मनमाने तरीके से निर्माण कराए गए हैं। किराये की वसूली के लिए तैयार की गई यह इमारतें बेहद खराब हालत में हैं।

दूसरी तरफ हम अगर प्रशासन व प्राधिकरण की तैयारियों की ओर देखते हैं तो हालात की भयावहता का अन्दाजा लग जाता है। इस शहर में भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए कोई स्पेशलाइज्ड फोर्स या एजेंसी नहीं है। बचाव व राहत कार्य करने का सारा दारोमदार फायर ब्रिगेड व पुलिस के भरोसे ही है। जिले का फायर ब्रिगेड विभाग पहले से ही मैनपॉवर व संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। फायर विभाग के पास प्राधिकरण द्वारा दिया गया 25 मीटर की महज एक हाईड्रोलिक प्लेटफार्म है। फायर विभाग के मुताबिक 42 व 70 मीटर के छह और हाईड्रोलिक प्लेटफार्म की जरूरत है। फायर विभाग ने प्राधिकरण से 70 व 112 मीटर के हाईड्रोलिक प्लेटफार्म, एडवांस रेक्यू टेण्डर व हेलीकॉप्टर की माँग की है।

प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि शहरवासियों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। प्राधिकरण के मुताबिक शहर की इमारतें रिक्टर स्केल पर आठ तक के भूकम्प को सह सकती हैं क्योंकि इन इमारतों को कम्पलीशन सर्टिफिकेट देते वक्त सभी मानकों को पूरा कराया जाता है। प्राधिकरण के ओएसडी मनोज राय के मुताबिक चूँकि नोएडा सिस्मिक जोन चार में आता है लिहाजा प्राधिकरण यहाँ बनने वाली इमारतों के लेआउट प्लान को तभी अप्रूव करता है जब उनका स्ट्रक्चर रिक्टर स्केल आठ के भूकम्प का झटका सह सकने के काबिल बना हो।

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