भोपाल शहर के सन्दर्भ में स्मार्ट-सिटी की संभावनाओं का अध्ययन

31 Mar 2022
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भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी
भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी

स्मार्ट सिटी शहरीकरण की नई अवधारणा है, जो बदलते समय की आवश्यकता भी है। शहरों में बढ़ती जनसंख्या से स्मार्ट सिटी अवधारणा को महत्व मिल रहा है। स्मार्ट सिटी का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक ढांचे को आधुनिकीकरण के लक्ष्यों को पाने की दिशा में उन्मुख करना है। भोपाल में स्मार्ट सिटी का पूरा जोर ‘क्वालिटी ऑफ लाइफ’ पर होगा। इसमें भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत और आर्थिक आधारभूत सुविधाओं पर जोर दिया जाएगा। 

इस शोध का मुख्य उद्देश्य स्मार्ट-सिटी द्वारा समाज में होने वाले परिवर्तनों एवं संचार माध्यमों की भूमिका का अध्ययन करना है। यह अध्ययन अग्रपुष्टि सिद्धांत पर आधारित है, इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु वर्णनात्मक शोध पद्धति का प्रयोग किया गया है जिसके अंतर्गत उद्देश्यपूर्ण निदर्शन पद्धति का अनुकरण करके 150 उत्तरदाताओं से प्रश्नावली एवं अनुसूची द्वारा गुणात्मक आंकड़ों को संग्रहित किया गया है। आंकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात हुआ है कि स्मार्ट सिटी के आने से संचार माध्यमों एवं समाज में परिवर्तन होना संभव है, आंकड़ों के विश्लेषण हेतु एस.पी.एस.एस. 20.0 एवं माइक्रोसॉफ्ट वर्ड एवं एक्सेल का प्रयोग भी किया गया है।

पृष्ठभूमि - 

आधुनिकीकरण की नवीनतम अवधारणाओं में स्मार्ट सिटी का निर्माण एक महत्वपूर्ण परियोजना है। स्मार्ट सिटी यानी ऐसा शहर जहाँ चमचमाती सड़कों का जाल हो, चारों ओर हरियाली हो, 24 घंटे बिजली, पानी की सुविधा और इनके साथ ही आधुनिकतम सूचना एवं संचार तकनीकी की सुव्यवस्थित उपलब्धता हो। दुनिया के हर हिस्से में नए शहर बसाये जा रहे हैं और जिन शहरों में हम सदियों से रह रहे हैं, उन्हें सुधारकर भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी शहरीकरण की नई अवधारणा है, जो बदलते समय की आवश्यकता भी है। शहरों में बढ़ती जनसंख्या से इस अवधारणा को महत्व मिल रहा है। स्मार्ट सिटी ऐसी हो, जिसकी आधारभूत संरचना मजबूत और वहाँ की नागरिक सुविधाएं बेहतर हो। दुनियाभर में शहरों पर आबादी का बोझ बढ़ रहा है, इन्फ्रास्ट्रक्चर कम पड़ रहा है तो ऐसे में शहरों को ‘स्मार्ट’ बनाने के कांसेप्ट ने जोर पकड़ा है। 

दुनिया के बड़े 600 शहर विश्व के कुल जीडीपी में 54 फीसदी योगदान देते हैं। इनमें संसार की 50 फीसदी जनसंख्या बसती है। पृथ्वी की 75 प्रतिशत ऊर्जा के उपभोक्ता हैं, ये बड़े शहर। पृथ्वी के वातावरण में करीब 80 फीसदी कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन करते हैं। एक अनुमान के आधार पर 2050 तक 70 फीसदी जनसंख्या में वृद्धि और हो जाएगी। भविष्य में इन्हीं छोटे-बड़े शहरों में वैश्विक विकास केंद्रित रहेगा। इन शहरों में भौगोलिक एवं जनांकिकीय भिन्नताओं के होते हुए भी पर्यावरण सुरक्षा पहलुओं, स्पर्धा और विकास के प्रबंधन संबंधी इनकी चुनौतियाँ एक समान ही हैं।

इन शहरों को ग्लोबल स्पर्धा के माहौल में रोजगार आकर्षित करने के मामले में दूसरों से आगे खुद को सिद्ध करना होगा। स्मार्ट सिटी के सामने नागरिक सुरक्षा (साइबर अपराध एवं आतंकवाद) जैसी चुनौतियाँ भी हैं। दुनिया के कई हिस्सों में बदलते पर्यावरणीय कारकों की वज़ह से उपजी आपदाओं का कुशलतापूर्वक सामना करना भी बड़ी चुनौती है। दुनिया में स्मार्ट शहरों के कई उदाहरण हैं- सिलिकॉन सिटी के रूप में सैन फ्रांसिस्को व बेंगलुरु, नॉलेज सिटी के रूप में दुबई, इंटरनेशनल ट्रेड हब के रूप में सिंगापुर। जापान ने काफी समय पहले ही ऐसा वर्चुअल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया था, जहाँ सरकार, इंडस्ट्री और शैक्षिक समुदाय सरकारी नीतियों का पूरा लाभ उठाने के लिए मिल-जुलकर सक्रिय रूप से काम कर सकते हैं। जहाँ शैक्षिक ताकतों से इंडस्ट्री का निर्माण हो सकता है और इंडस्ट्री की शक्ति शिक्षा के लिए मददगार हो सकती है। दूसरे शब्दों में, स्मार्ट तरीके से तैयार समाज से ही आगे चलकर एक स्मार्ट सिटी बन सकती है। 

21वीं सदी के स्मार्ट शहर सूचना व संचार तकनीक के नए अवतार के साथ बुनियादी सुविधाओं के स्मार्ट संयोजन से निर्मित होंगे। स्मार्ट सिटी का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक ढांचे को बदलकर आधुनिकीकरण के लक्ष्यों को पाने की दिशा में उन्मुख करना है। ई.सी.ब्लैक (1966) ने कहा है कि- ‘वह प्रक्रिया है जिससे ऐतिहासिक रूप से उत्पन्न संस्थाएं तेजी से बदलती हुई नयी जिम्मेदारियों के साथ अनुकूलित होती हैं, जिसमें वैज्ञानिक क्रांति से जुड़ी अपने परिवेश पर नियंत्रण की क्षमतावाले मनुष्य के ज्ञान में अभूतपूर्व वृद्धि परिलक्षित होती है।’

भोपाल में स्मार्ट सिटी अवधारणाः एक सिंहावलोकन

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्वयं में बहुत खूबसूरत शहर है और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता किसी भी स्मार्ट सिटी का मुकाबला कर सकती है। ऐसे में जब यहाँ एक और स्मार्ट शहर बसाया जाएगा, तो इसका सौंदर्य और आकर्षण दुनिया के गिने-चुने शहरों को भी मात देने के लिए पर्याप्त होगा। भोपाल में स्मार्ट सिटी का पूरा जोर ‘क्वालिटी ऑफ लाइफ’ पर होगा। इसमें भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत और आर्थिक आधारभूत सुविधाओं पर जोर दिया जाएगा।

अध्ययन के उद्देश्य

  1. स्मार्ट-सिटी में संचार-माध्यमों की भूमिका का अध्ययन करना।

  2. स्मार्ट-सिटी द्वारा समाज में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना।

शोध प्रविधि-

यह अध्ययन अग्रपुष्टि सिद्धांत पर आधारित है अतः इस अध्ययन में वर्णनात्मक शोध पद्धति (Descriptive Research Design) का प्रयोग किया गया है। जिसके अंतर्गत उद्देश्यपूर्ण निदर्शन पद्धति (purposive Sampling) का अनुकरण करके 150 लोगों से प्रश्नावली एवं अनुसूची टूल द्वारा गुणात्मक आंकड़ों को संग्रहित किया गया है।

नमूनों का चयन  -

शोधकार्य के लिए शोध नमूनों का शुद्धता से चयन करना आवश्यक है। प्रस्तुत विषय के संबंध में शोध समस्या के अनुसार ही उत्तरदाताओं का चयन उद्देश्यपूर्ण निदर्शन पद्धति द्वारा किया गया है। भोपाल शहर के सन्दर्भ में स्मार्ट-सिटी की संभावनाओं का अध्ययन शोधकार्य के लिए कुल 150 उत्तरदाताओं से आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं। इसमें विद्यार्थियों, नौकरीपेशा व्यक्तियों, व्यावसायियों, अध्यापकों एवं भोपाल के अन्य निवासियों को शामिल किया गया है।

अध्ययन क्षेत्र - 

अध्ययन क्षेत्र में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रमुख क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें से महाराणा प्रताप नगर, अरेरा कॉलोनी, कस्तूरबानगर, जहांगीराबाद, न्यूमार्केट, गौतमनगर, रचनानगर, आयोध्या नगर, प्रेस कॉम्प्लेक्स, शिवाजीनगर एवं विद्यानगर प्रमुख है। ‘भोपाल शहर के संदर्भ में स्मार्ट-सिटी की संभावनाओं का अध्ययन’ के लिए इन क्षेत्र से प्रश्नावली एवं अनुसूची के माध्यम से आंकड़े संग्रहित किए गए हैं।

आंकड़ों का विश्लेषण -

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

प्रस्तुत सर्वेक्षण में 150 उत्तरदाताओं को सम्मिलित किया गया है जिनमें आयु के आधार पर सभी उत्तरदाताओं को 5 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।

प्रथम आयु वर्ग में 0 से 20 वर्ष तक के सर्वेक्षण दाता शामिल किए गए जिनकी संख्या 22 (14.7 फीसदी) है। द्वितीय आयु वर्ग में 21 से 30 वर्ष के उत्तरदाताओं को सम्मिलित किया गया जिनकी संख्या 102 (68.8 फीसदी) है। इसी प्रकार तृतीय आयु वर्ग 31 से 40 वर्ष की आयु का है, जिनकी संख्या 17 (11.3 फीसदी) है। चतुर्थ आयु वर्ग 41 से 50 वर्ष की आयु के उत्तरदाताओं का है जिनकी भागीदारी संख्या 7 (4.7 फीसदी) है, एवं पंचम आयु वर्ग 51 से 60 वर्ष के सर्वेक्षणदाताओं का है जिनकी संख्या 2 (1.3 फीसदी) है।

विश्लेषण से प्राप्त आंकड़ों से ज्ञात होता है कि कुल 150 उत्तरदाताओं में सर्वाधिक भागीदारी 21 से 30 वर्ष के लोगों की रही, जबकि सबसे कम भागीदारी 51 से 60 वर्ष के लोगों की देखी गयी। इस सर्वेक्षण में कुल 150 उत्तरदाताओं को सम्मिलित किया गया जिसमें सर्वाधिक संख्या पुरुषों की 100 (66.6 फीसदी) रही। जबकि महिलाओं की भागीदारी 50(33.3 फीसदी) देखी गयी।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

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प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि सर्वेक्षण में शामिल किए गए अधिकतम उत्तरदाता स्नाकोत्तर एवं स्नातक शिक्षा प्राप्त किए हुये हैं। सर्वाधिक शिक्षा का स्तर स्नातक 44.7 फीसद रहा, जबकि इस आंकड़े के समकक्ष स्नातकोत्तर का शिक्षा स्तर 44.0 फीसद रहा। वहीं उच्च शिक्षा प्राप्त 5.3 फीसद लोगों ने भागीदारी की। बारहवीं पास 3.3 फीसद, हाईस्कूल शिक्षा प्राप्त 0.7 फीसद एवं प्राथमिक शिक्षा प्राप्त 1.3 फीसद लोग इस सर्वेक्षण में सम्मिलित हुये।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

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150 सर्वेक्षणदाताओं में कार्यक्षेत्र के आधार पर सर्वाधिक संख्या विद्यार्थियों की 70 (46.7 फीसदी) रही, इसके पश्चात दूसरे क्रम में 52 (34.7 फीसदी) नौकरीपेशा लोगों ने भागीदारी की। इसके बाद व्यवसायियों की संख्या 11 (7.2 फीसदी) रहीं, वही शिक्षकों की संख्या 5 (3.3 फीसदी ),अन्य लोगों की संख्या 4 (2.7 फीसदी) एवं बेरोजगारों की संख्या 1 (0.7 फीसदी) रही। कोई उत्तर नहीं देने वाले सर्वेक्षण दाताओं की संख्या 7 (4.7 फीसदी) देखी गयी।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

सर्वेक्षण में किए गए प्रश्नः ”कि वर्तमान समय में कौन से संचार माध्यम का उपयोग सर्वाधिक करते हैं“ के उत्तर में कुल 150 उत्तरदाताओं में 52 (34.7 फीसदी) लोगों ने कहा कि वे समाचार पत्र का उपयोग अधिक करते हैं, जबकि 33 (22 फीसदी) लोगों ने उत्तर दिया कि वे टेलीविजन का उपयोग करते हैं, इसी प्रकार 26 (17.3 फीसदी) लोग स्मार्टफोन को संचार साधन के रूप में प्रयोग करना स्वीकार करते हैं। सोशल मीडिया का उपयोग 11 (7.3 फीसदी) लोग करते हैं, इंटरनेट को संचार माध्यम के तौर पर 20 (13.3 फीसदी) लोग प्रयोग करते हैं। जबकि मात्र 6 (4 फीसदी) लोग नियमित रेडियो सुनते है एवं ई-पेपर तथा मैगजीन को 1 (0.7 फीसदी) व्यक्ति ही संचार साधन के रूप में प्रयोग करते हैं।

सर्वेक्षण में जब यह प्रश्न किया गया कि क्या आप स्मार्ट-सिटी के बारे में जानते है? तो उसके उत्तर में कुल 150 उत्तरदाताओं में से 135 (90 फीसदी) ने सकारात्मक उत्तर दिया, वहीं 7 (4.7 फीसदी) लोगों को स्मार्ट सिटी की जानकारी नहीं थी। उत्तरदाताओं में 6 (4 फीसदी) लोगों ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि हम कह नहीं सकते की हमें जानकारी है अथवा नहीं, जबकि 2 (1. 3 फीसदी) लोगों ने कोई उत्तर नहीं दिया। इसी क्रम में जब उत्तरदाताओं से स्मार्ट सिटी जानकारी का स्रोत जानने की कोशिश की गयी तो सर्वाधिक 46.7 उत्तरदाताओं ने समाचारपत्रों को प्राथमिक स्रोत बताया।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

संचार माध्यम स्वरूप परिवर्तन -

स्मार्ट सिटी आने के पश्चात क्या संचार माध्यमों के स्वरूप में परिवर्तन होगा? इस प्रश्न के उत्तर में कुल 150 उत्तरदाताओं में से सर्वाधिक 130 (86.7 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने कहा कि स्मार्ट सिटी में निश्चित रूप से संचार माध्यमों में परिवर्तन देखने को मिलेगा, जबकि 8 (5.3 फीसदी) लोगों ने किसी भी परिवर्तन से इंकार किया है वहीं 12 (8 फीसदी) उत्तरदाताओं ने कह नहीं सकते, उत्तर दिया।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

मीडिया नवीन गति

स्मार्ट सिटी मीडिया को नई गति प्रदान करने में क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी?, इस प्रश्न के उत्तर में कुल 150 उत्तरदाताओं में से सर्वाधिक 113 (75.3 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने कहा कि निश्चित रूप से स्मार्ट सिटी मीडिया को नयी गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जबकि 8 (5.3 फीसदी) लोगों ने किसी भी परिवर्तन से इंकार किया है वहीं 28 (18. 7 फीसदी) उत्तरदाताओं ने संशयात्मक उत्तर दिया।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

संभावना  - 

स्मार्ट सिटी आने के बाद स्मार्ट सिटी द्वारा होने वाली संभावनाओं को जानने की कोशिश की गयी, जिसके प्रतिउत्तर में कुल 150 सर्वेक्षणदाता सम्मिलित हुए, उनसे स्मार्ट सिटी से संबंधित 5 प्रश्न किए गए।

भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

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स्मार्ट सिटी में होने वाले संभावित परिवर्तन की दृष्टि से सर्वेक्षणदाताओं से 5 प्रश्न किए गए, जिनके लिए कुल 150 सर्वेक्षणदाताओं ने अपने मत प्रस्तुत किए। 

  • 1- स्मार्ट सिटी आने से नए रोजगारों का सृजन होगा, के जबाब में 132 (88 फीसदी) उत्तरदाताओं ने सहमति जतायी उन्होंने सकारात्मक उत्तर दिया, जबकि केवल  3 (2 फीसदी) लोग असहमत नजर आये।
  • 2- स्मार्ट सिटी आने से महंगाई कम होगी? के उत्तर में सर्वाधिक 73 (48.7 फीसदी) उत्तरदाताओं ने असहमति में उत्तर दिया उनका कहना था कि स्मार्ट सिटी आने से महंगाई कम नहीं होगी, जबकि 27 (18 फीसदी) उत्तरदाता सहमत थे कि महंगाई कम होगी। वहीं 47 (31.3 फीसदी) उत्तरदाताओं ने ‘कह नही सकते’ के रूप में उत्तर दिया।
  • 3- इसी क्रम में जब तकनीकी विकास में वृद्धि के बारे में पूछा गया तो सर्वाधिक 132(88 फीसदी) उत्तरदाताओं ने अपनी सहमति प्रकट की जबकि 9 (6 फीसदी) उत्तरदाताओं ने असहमति में उत्तर दिया।
  • 4- स्मार्ट सिटी में ‘आर्थिक स्थिरता नियंत्रण के’ प्रति उत्तर में 55 (36.7 फीसदी) सर्वेक्षण दाताओं ने सकारात्मक उत्तर दिया उनका मानना था कि  स्मार्ट सिटी में आर्थिक स्थिरता नियंत्रित स्थिति में रहेगी जबकि 39 (26 फीसदी) उत्तरदाता सहमत नहीं थे, इसी प्रकार 53 (35.3 फीसदी)  सर्वेक्षणदाताओं ने कहा कि वो यह कहने की स्थिति में नहीं है कि आर्थिक स्थिरता नियंत्रित रहेगी अथवा नहीं।
  • 5- स्मार्ट सिटी आने के पश्चात स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पर्यटन के क्षेत्र में विकास होगा? के उत्तर में सर्वाधिक 121 (80.7 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने सकारात्मक सहमति प्रकट की, जबकि 11 (7.3 फीसदी) उत्तरदाताओं ने असहमति के रूप में अपना मत दर्शाया वहीं 15 (10 फीसदी) संशय की स्थिति में थे।

    भोपाल शहर स्मार्ट-सिटी,फोटो:mediamansa

    प्रश्नों के क्रम में स्मार्ट सिटी में होने वाले संभावित परिवर्तन एवं वृद्धि को जानने का प्रयास किया गया, जिसके लिए 150 सर्वेक्षणदाताओं से 5 प्रश्न क्रमबद्ध रूप में किए गए।

    • 1- स्मार्ट सिटी बनने से पारंपरिक भारतीय संस्कृति में परिवर्तन होगा? इस प्रश्न के उत्तर में सर्वाधिक 70 (50.7 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने सहमति जतायी है जबकि 36 (24 फीसदी) ने अपनी असहमति प्रकट की वहीं 33 (22 फीसदी) ने ‘कह नही सकते’ के रूप में अपना मत प्रकट किया।
    • 2- पारंपरिक भारतीय परिवेश, रहन-सहन, खान-पान आदि में होने वाले परिवर्तन के विषय में प्रश्न किया गया जिसके प्रतिउत्तर में सर्वाधिक 98 (65.3 फीसदी) ने सहमति प्रकट की जबकि 29(19.3 फीसदी) उत्तरदाताओं ने इस प्रकार के होने वाले परिवर्तन पर असहमति प्रकट की, वहीं 19 (12.7 फीसदी) उत्तरदाताओं ने ‘कह नहीं सकते’ अपना मत प्रकट किया।
    • 3- स्मार्ट सिटी के आने से क्या सामाजिक एवं जातीय भेदभाव एवं गतिरोध कम होगा? उत्तर में 66 (44 फीसदी) उत्तरदाताओं ने सकारात्मक सहमति प्रकट की जबकि 37 (24.7 फीसदी) उत्तरदाताओं ने इस प्रश्न से असहमती दिखाई, वहीं 40 (26.7 फीसदी) ‘उत्तरदाता कह नहीं सकते’ की स्थिति में थे।
    • 4- स्मार्ट सिटी के आने से क्या धार्मिक आस्था में परिवर्तन होगा? को चतुर्थ प्रश्न के रूप में पूछा गया तो मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली, 48(32 फीसदी) उत्तरदाताओं ने कहा कि धार्मिक आस्था में परिवर्तन होगा’। जबकि 62(41.3 फीसदी) उत्तरदाताओं ने कहा कि धार्मिक आस्था में ‘किंचित मात्रा भी परिवर्तन संभव नहीं है’, वहीं 35(23.3 फीसदी) उत्तरदाताओं ने ‘कह नहीं सकते हैं’ के रूप में अपना मत प्रस्तुत किया।
    • 5- स्मार्ट सिटी के बनने से भारतीय त्योहारों एवं उत्सवों के स्वरूप में परिवर्तन होगा? इस प्रश्न के उत्तर में 63 (42 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने कहा कि हाँ परिवर्तन होना संभव है जबकि 48 (32 फीसदी) सर्वेक्षणदाता इस बात को स्वीकार नहीं करते कि भारतीय त्योहारों एवं उत्सवों के स्वरूप में परिवर्तन होगा, वहीं 31 (20. 7 फीसदी) उत्तरदाता ‘कुछ कह नहीं सकते’ की स्थिति में थे।

      निष्कर्ष  - 

      भोपाल शहर के संदर्भ में स्मार्ट सिटी की संभावनाओं का अध्ययन करने पर पाया गया कि लोग भोपाल शहर को विकसित देखना चाहते है तथा यहाँ लोग स्मार्ट सिटी द्वारा होने वाले संभावित परिवर्तन से भी परिचित है। लर्नर (1958) के अनुसार- ‘आधुनिकीकृत व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ है-

      परानुभूति, गतिशीलता और उच्च सहभागिता। व्यक्ति सामाजिक परिदृश्य के प्रत्यक्षीकरण के आधार पर घटनाओं और परिस्थितियों के बारे में प्रतिक्रिया करता है।’ यह परिभाषा सटीक है। स्मार्ट सिटी बनने के पश्चात निश्चित रूप से समाज में परिवर्तन होने की संभावना है। भोपाल शहर के संदर्भ में स्मार्ट सिटी की संभावनाओं के अध्ययन से प्राप्त तथ्यों के विश्लेषण से निम्न निष्कर्ष सामने आए है-

      संदर्भ - 

       

      लेखक -

       

      • 1 - सर्वेक्षणदाताओं से पूछा गया कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद क्या व्यक्तिगत संवाद में परिवर्तन होगा? तो इसके प्रतिउत्तर में 85 (56.7 फीसदी) उत्तरदाताओं ने अपनी सहमति प्रकट की जबकि 26 (17.3 )
      • उत्तरदाता असहमत नजर आए, वहीं 33 (22 फीसदी) उत्तरदाताओं ने ‘कह नहीं सकते’ विकल्प को उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया।
      • 2- सामाजिक संवाद में परिवर्तन के उत्तर में 79 (52. 7 फीसदी)  सर्वेक्षणदाताओं ने कहा कि स्मार्ट सिटी बनने से सामाजिक संवाद में परिवर्तन हो सकता है, जबकि 29 (19.3 फीसदी) उत्तरदाताओं ने कहा कि कोई भी परिवर्तन नहीं होगा, वहीं 35 (23.3 फीसदी) उत्तरदाता कुछ कह नहीं सकते की स्थिति में थे।
      • 3- स्मार्ट सिटी आने से पश्चिमी संस्कृति में वृद्धि होगी? उत्तर में सर्वाधिक 93 (62 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने इस बात को स्वीकार किया है कि स्मार्ट सिटी आने से पश्चिमी संस्कृति में वृद्धि होगी, जबकि 29 (19.3 फीसदी) उत्तरदाता इस प्रश्न से असहमत दिखे, वहीं 25 (16.7 फीसदी) उत्तरदाताओं ने संशय को उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया।
      • 4- स्मार्ट सिटी बनने से क्या पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि होगी? उत्तर में 63 (42 फीसदी) उत्तरदाताओं ने अपनी सहमति प्रकट की, जबकि 42 (28 फीसदी) उत्तरदाताओं ने कहा की पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि नहीं होगी, वहीं 40 (26.7 फीसदी) उत्तरदाता ‘कुछ कह नहीं सकते’, की स्थिति में नजर आए।
      • 5- अंतिम रूप में जब सर्वेक्षणदाताओं से यह प्रश्न किया गया कि स्मार्ट सिटी आने से क्या बेरोजगारी में वृद्धि होगी? तो 37 (24.7 फीसदी)  उत्तरदाताओं ने कहा कि बेरोजगारी बढ़ सकती है, जबकि 82 (54.7 फीसदी) सर्वेक्षणदाताओं ने कहा कि बेरोजगारी में वृद्धि को अस्वीकार कर दिया, वहीं 27 (18 फीसदी) उत्तरदाताओं ने संशयात्मक उत्तर दिया।
        • 1 - स्मार्ट सिटी के बारे में अधिकांशतः सभी आयु एवं वर्ग के नागरिकों को जानकारी है। 
        • 2 - वर्तमान समय में लोग संचार साधन के रूप में समाचार पत्र का उपयोग अधिक करते हैं, वही स्मार्ट सिटी बनने के बाद संचार माध्यम के स्वरूप में परिवर्तन होना संभव है और स्मार्ट सिटी आने से मीडिया को भी नयी गति भी मिलेगी। निश्चित रूप से मीडिया स्मार्ट सिटी में नए आयाम स्थापित कर सकती है।
        • 3 - स्मार्ट सिटी में रोजगार का सृजन होना संभव है, स्मार्ट-सिटी बनने से रोजगार में वृद्धि हो सकती है। जबकि स्मार्ट सिटी में महंगाई कम होने की संभावना नहीं है।
        • 4 - तकनीकि विकास में स्वाभाविक वृद्धि होगी जबकि आर्थिक स्थिरता में अनिश्चितता की संभावना है। 
        • 5 - स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पर्यटन के क्षेत्र में विकास संभव होगा।
        • 6 - स्मार्ट सिटी में सर्वाधिक सामाजिक परिवर्तन देखने को मिल सकते है, पारंपरिक भारतीय संस्कृति एवं भारतीय त्यौहारों के स्वरूप में परिवर्तन होने की संभावना है। इसी प्रकार भारतीय परिवेश,  रहन-सहन, खान-पान आदि में भी परिवर्तन और पश्चिमीकरण में वृद्धि की संभावना भी पूर्णरूपेण है। लोगों को विश्वास है कि स्मार्ट सिटी के बाद सामाजिक एवं जातीय भेदभाव कम होंगे जबकि धार्मिक आस्था में ज्यादा परिवर्तन होना संभव नहीं है।
        • 7 - इसी प्रकार स्मार्ट सिटी में व्यक्तिगत संचार एवं सामाजिक संवाद में भी परिवर्तन देखने को मिल सकता है एवं पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि हो सकती है।
        • 1 - कोठारी सी.आर.ः रिसर्च मेथेडोलॉजी-मेथेड्स एंड टेक्निक्सः न्यू इंटरनेशनल पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 2004
        • 2 - श्यामचरण दुबेः विकास का समाजशास्त्र वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, 2001
        • 3 - Kwon Hyung LEE (2011): "Building a New Smart City in Asia: Songdo International City in Incheon, S- Korea"- Incheon Development Institute- Retrieved 14 Dec. 2014.
        • 4 - Casey Tolan, for CNN(2014): "Cities of the future\Indian PM pushes plan for 100 'smart cities] http://edition-cnncom/2014/07/18/world/asia/india&modi&smart&cities
        • 5 - बी.बी.सी. हिन्दी (2013)ः ‘क्या आप स्मार्ट सिटी में रहना चाहेंगे’ http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2013/08/130823 _smart_city_dp 
        •  6 - महामीडिया ऑनलाइन (2014)ः ‘माल्टा और कोच्चि की झलक होगी भोपाल स्मार्ट सिटी में’, http://www.mahamedia online.com/newsDetailshindi-jsp\Id¾10016
        • 7 - T.M.Vinod kumar: E&Governance For Smart Cities, Springer media, Singapore, 2015 8 - Agentschap NL: Smart cities in India, E-book, www.agentschapnl.nl, 2014
        1. विभागाध्यक्ष, संचार शोध विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल
        2. शोधार्थी, एम.फिल., संचार शोध विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल
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