चंबल के बाद अब यमुना नदी में घड़ियालों के प्रजनन ने जगाई उम्मीद

22 Jun 2019
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इटावा में यमुना नदी अब साफ मानी जा रही है।
इटावा में यमुना नदी अब साफ मानी जा रही है।

देश की सबसे प्रदूषित नदियों मे शुमार यमुना नदी में घडियालों के प्रजनन ने यह धारणा खारिज कर दी है कि प्रदूषित जल में घड़ियाल का प्रजनन नहीं होता है। चंबल के बाद अब यमुना नदी में घड़ियाल के लगभग 30 बच्चे दिखाई दिए। जिसके बाद बहुत खुश दिखाई दे रहे हैं वहीं पर्यावरणविद भी उत्साहित हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार घड़ियाल ने यमुना नदी में प्रजनन किया है उससे एक उम्मीद भी बंध चली है कि आने वाले दिनों मे यमुना नदी भी घड़ियालों के प्रजनन के लिये एक मुफीद प्राकृतिक वास बन सकेगा।

यमुना नदी बन सकती है मॉडल

घडियाल के प्रजनन का यह वाक्या हुआ है उत्तर प्रदेश के इटावा में यमुना नदी के घाट के पास नदी के जल मे हुआ। जहां इन बच्चों को लेकर गांव वाले खासे उत्साहित दिख रहे हैं। इतने करीब से पहली दफा घड़ियाल के बच्चे देख रहे गांव वालों के साथ-साथ आम इंसान भी गदगद है। एक पखवाड़े पहले यमुना नदी के किनारे जाने वाले बॉबी नामक युवक ने मादा घडियाल को अंडे फोड़कर बच्चों को बाहर निकालने के बाद यमुना नदी मे डालते हुए देखा। तब उसे पता चला कि घड़ियाल का यहां पर घोंसला है। 

यमुना नदी में बीच-बीच मे छोड़े जाने वाले पानी की वजह से इटावा के आसपास का पानी साफ हो गया है और इसी वजह से घड़ियालों ने यमुना नदी में अपना प्राकृतिक वास बनाया है। ऐसा लगने लगा है कि देश की सबसे प्रदूषित यमुना नदी का पानी कहीं ना कहीं अब इटावा के आसपास साफ हो रहा है और इसी वजह से अब घड़ियाल यमुना नदी मे प्रजनन करने लगे हैं। 

यमुना नदी में घड़ियाल का घर  

घूमनपुरा गांव का रहने वाला बॉबी बताता है कि वो अमूमन यमुना नदी के किनारे सुबह-शाम आता रहता है। इस मादा घड़ियाल को अक्सर वो इस जगह पर ही देखा करता था। गांव के ही किनारे यमुना नदी का प्रवाह है इसलिये यमुना नदी के किनारे गांव वाले अक्सर आते हैं। इसी लिहाज से बॉबी अपने करीब 5 साथियों के साथ आया था। तब उसने पहली बार घड़ियाल के बच्चों को देखा और उसके बाद बाॅबी ने गांव वालों को खबर दी। गांव में खबर लगते ही पूरा गांव घडियाल को देखने के लिए जुट गया। तब पूरे गांव वालों ने घडियाल के बच्चे को देखा और तब से पूरे इटावा मे इस बात की चर्चा का बाजार गर्म है। जैसे-जैसे आसपास के गांव वालों पता चल रहा है वे भी सैकड़ों की तादाद मे जमा होकर घड़ियाल के बच्चों को देखने आ रहे हैं। 

गांव के ही ब्रम्हाशंकर का कहना है कि अब गांव वाले करीब 10 फुट की दूरी से बैठकर इन घडियाल के बच्चों को देखने मे जुटे हुए हैं क्योकि गांव वालों ने अपने जीवन में पहली बार यमुना नदी में घड़ियाल के बच्चों को देखा है। इससे पहले कभी भी यमुना नदी में घड़ियालों का प्रजनन नही देखा गया था। 

घड़ियालों की मौत पर यमुना के प्रदूषण का उठा था मुददा

साल 2007 के आखिर के दिनों में इटावा मे चंबल नदी में सौ से अधिक घड़ियाल की मौत हो गई थी। जिसके बाद इस बात को प्रभावी ढंग से उठाया गया कि यमुना नदी के व्यापक प्रदूषण के कारण दुर्लभ प्रजाति के घड़ियालों की मौत हो गई है। अनगिनत घड़ियाल विशेषज्ञों ने कई लाख रूपए खर्च करके भी घड़ियालों की मौत का पता लगाने मे कामयाब नहीं हो सके। 

यहां पर इस बात का जिक्र किया जाना बेहद जरूरी होगा कि 2007 में जब इटावा में घडियालों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ था। तब यह बात घड़ियाल विशेषज्ञों की ओर से प्रभावी तौर पर कही जाने लगी कि यमुना नदी में हुए प्रदूषण की वजह से दुर्लभ प्रजाति के घड़ियालों की मौत हुई है लेकिन इस बात को कोई भी घड़ियाल विशेषज्ञ साबित नहीं कर पाए। 

तमाम देशों के विशेषज्ञ कर चुके हैं अध्ययन

दिसंबर 2007 से जिस तेजी के साथ किसी अज्ञात बीमारी के कारण एक के बाद सौ से अधिक घड़ियालों की मौत हुई थी। तब इस घटना ने समूचे विश्व समुदाय को चिंतित कर दिया था। ऐसा प्रतीत होने लगा था कि कहीं इस प्रजाति के घड़ियाल सिर्फ किताब का हिस्सा बनकर न रह जाएं। घड़ियालों के बचाव के लिए तमाम अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं आगे आईं। फ्रांस, अमेरिका सहित तमाम देशों के वन्य जीव विशेषज्ञों ने घड़ियालों की मौत की वजह तलाशने के लिए तमाम शोध कर डाले।

घड़ियालों मे हो चुके है ट्रांसमीटर प्रत्यारोपित

घड़ियालों की हैरतअंगेज तरीके से हुई मौतों में जहां वैज्ञानिकों के एक समुदाय ने इसे लीवर रिरोसिस बीमारी को एक वजह माना तो वहीं दूसरी ओर अन्य वैज्ञानिकों के समूह ने चंबल के पानी में प्रदूषण को घड़ियालों की मौत की वजह बताया। वहीं दबी-जुबां से घड़ियालों की मौत के लिए अवैध शिकार और घड़ियालों की भूख को भी जिम्मेदार माना गया। घड़ियालों की मौत की वजह तलाशने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने करोड़ों रुपये खर्च कर कर घड़ियालों की गतिविधियों को जानने के लिए उनके शरीर में ट्रांसमीटर प्रत्यारोपित किए।

बदहाल यमुना नदी

यमुना नदी में घड़ियालों के प्रजनन करके एक नया इतिहास लिखा है। ये वही यमुना है जिसे अपने प्राकतिक स्वरूप को बनाये रखने के लिये देश की राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक संघर्ष करना पड़ रहा है। यमुना नदी के किनारे दिल्ली, मथुरा और आगरा सहित कई बड़े शहर बसे हैं। ब्लैक वॉटर में तब्दील यमुना में करीब 33 करोड़ लीटर सीवेज गिरता है। 

यमुना के प्रदूषण पर सवाल उठाने वालों पर सवाल

इस सबके बावजूद यमुना नदी में हुए प्रजनन ने यमुना नदी के प्रदूषण को लेकर एक सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिरकार यह कैसी मैली है यमुना नदी? अगर सच में यमुना नदी मैली है तो फिर घड़ियाल कैसे प्रजनन कर रहे हैं? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो पर्यावरणविदों के लिये खड़े हो गए हैं और इस पर शोध की जरूरत है। इससे पहले साल 2011 में भी यमुना नदी मे इटावा के ही हरौनी गांव के पास भी एक घड़ियाल ने इसी तरह से प्रजनन किया था। तब यहां घड़ियालों के करीब पचास के आसपास बच्चे देखे गये थे। इन बच्चों को यमुना नदी में देखे जाने के बाद खासी चर्चा हुई थी। 

भारतीय वन्य जीव संस्थान की परियोजना नमाति गंगे के संरक्षण अधिकारी डा. राजीव चौहान बताते हैं, यमुना नदी मे घड़ियाल का प्रजनन यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र मे यमुना नदी उतनी गंदी है जितनी दिल्ली और आगरा में। यहां पानी साफ है शायद इसलिए यहां घड़ियाल प्रजनन कर रहे हैं। और ऐसी भी संभावना है कि ये क्षेत्र घड़ियालों का प्राकृतिक आवास बन सकता है। यमुना के पानी को शुद्ध बनाने के जो प्रयास किये जा रहे हैं वे कारगर साबित होते हुए दिख रहे है। आने वाले दिनों मे यमुना नदी जैव विविधता के संरक्षण का एक नया मॉडल साबित हो सकता है। 

सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर इटावा के सचिव संजीव चौहान कहते हैं, यमुना नदी में बीच-बीच मे छोड़े जाने वाले पानी की वजह से इटावा के आसपास का पानी साफ हो गया है और इसी वजह से घड़ियालों ने यमुना नदी में अपना प्राकृतिक वास बनाया है। ऐसा लगने लगा है कि देश की सबसे प्रदूषित यमुना नदी का पानी कहीं ना कहीं अब इटावा के आसपास साफ हो रहा है और इसी वजह से अब घड़ियाल यमुना नदी मे प्रजनन करने लगे हैं। इस बदलाव को लेकर ऐसी उम्मीद बंधी है कि अब यमुना नदी भी घड़ियालों को पालने के लिये मुफीद मानी जा सकती है। 

इटावा के प्रभागीय वन निदेशक सत्यपाल सिंह बताते हैं, यमुना नदी मे घड़ियाल का प्रजनन निश्चित तौर पर अपने आप में सुखद एहसास कराने वाली खबर है। घडियाल के मासूम बच्चों की सुरक्षा के लिए क्षेत्रीय वन रक्षकों की टीम के साथ-साथ स्थानीय गांव वालों को भी सजग कर दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यमुना नदी का जल घडियालों की प्रजनन के मुफीद बन गया है तभी घड़ियाल ने यहां पर प्रजनन किया है।

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