छत्तीसगढ़ की आधी नदियों का पानी प्रदूषित

वास्तविक मुद्दों से दूर


आम आदमी की सोच वास्तविक मुद्दों से दूर होती है। वास्तविक मुद्दों के प्रति वह सरकार पर विश्वास बनाए रखने के लिए प्रतिदिन भयभीत रहता है- डॉ. लीना श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक, टेरी।
छत्तीसगढ़ सहित देश के सात राज्यों की 46 फीसदी नदियों के पानी की गुणवत्ता खराब है। यही नहीं, इसके कारण नदियों के आस-पास भूजल की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है। यह खुलासा ‘द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी)’ ने पर्यावरणीय सर्वे में किया है।

टेरी ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश में रेंडमली सर्वे किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि नदियों में शहर का सीवरेज वाटर बिना किसी ट्रीट के डाल दिया जाता है। नदियों के किनारे शहरों में सीवरेज पानी नदी में डालने के मामले में 64 फीसदी सरकारी नियमों का उल्लंघन किया जाता है। 89 फीसदी लोगों ने माना कि प्रदूषित नदी का असर सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। यही नहीं, 81 फीसदी लोगों ने यह भी माना कि प्रदूषित नदी से जलजनित बीमारियाँ होती हैं। हालाँकि सर्वे में सभी राज्यों के 78 फीसदी लोगों ने माना कि स्वच्छ भारत अभियान से नदियों का प्रदूषण स्तर कम होगा।

हवा साँस लेने लायक नहीं


सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि छत्तीसगढ़ सहित सात राज्यों की हवा साँस लेने लायक नहीं है यानी वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। इसके कारण इन राज्यों के जलवायु परिवर्तन पर विपरीत असर पड़ा है। इन राज्यों में जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए बनाई नीतियों का मात्र 17 फीसदी ही पालन होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों की खराब पर्यावरणीय स्थिति का असर 93 फीसदी लोगों के स्वास्थ्य पर सीधे पड़ता है। इनमें 38 फीसदी पर जल प्रदूषण, 32 फीसदी पर कचरे का और 30 फीसदी पर वायु प्रदूषण का विपरीत असर पड़ता है।

पर्यावरणीय जुड़ाव


रिपोर्ट से खुलासा होता है कि आम आदमी पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़ा होता है। उसकी आमदनी, शिक्षा और उम्र मायने नहीं रखते। विकास और पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं- श्रीप्रकाश, शोधकर्ता, टेरी।

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