छत्तीसगढ़ में फ्लोराइड से अब 574 गाँव संकट में

23 May 2015
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Fluoride chhattisgarh
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केन्द्र ने किया तलब, कहा- बनाओ कार्ययोजना, पिलाओं साफ पानी
.रायपुर। छत्तीसगढ़ के 17 जिलों के पानी में फ्लोराइड की अधिकता की बात राज्य सरकार ने मान ली है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब राज्य के 574 गाँवों में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से फ्लोरोसिस की बीमारी बढ़ रही है। फ्लोरोसिस से लेागों के शरीर पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। इससे असमय की बच्चों से लेकर बुजुर्गों की हड्डियाँ और दाँत कमजोर हो रहे हैं। हालाँकि राज्य सरकार बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ में फ्लोराइड की अधिकता की बात तो मानती है, लेकिन इसके रोकथाम के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा पा रही है। यही वजह है कि अब केन्द्र को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ रहा है और उसने राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट माँगी है।

 

 

सामने आ रहे हैं अधिक मामले


घातक बीमारी के बाद स्वास्थ्य विभाग राज्य में लगातार पानी की जाँच कर रहा है और सर्वे में फ्लोराइड की अधिकता वाले गाँवों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस दौरान विभाग के अधिकारियों ने पीड़ित लोगों की हालत का जायजा लिया, लेकिन भयावह हालात होने के बावजूद कोई पहल अभी तक नहीं की है। हालत यह है कि सर्वे के दौरान राजधानी रायपुर के ही करीब 150 लोग फ्लोरोसिस से पीड़ित पाए गए। इनमें अस्सी से अधिक लोगों के दाँत कमजोर पाए गए तो करीब सभी की हड्डियों में अकड़न पायी गई।

इसमें रायपुर जिले की स्थिति भी गम्भीर पायी गई है। सर्वे के दौरान रायपुर जिले के धारसींवा ब्लाॅक में सबसे अधिक फ्लोरोसिस से प्रभावित लोग पाए गए। सर्वे के दौरान कुछ गाँवों का ही सेेम्पल लेने पर करीब 150 लोगों के प्रभावित होने की जानकारी दर्ज की है। जाहिर है यह आँकड़ा और बड़ा हो सकता है। कई दूसरे गाँवों में भी हड्डियों को गलाने और दाँतों को नुकसान पहुँचाने वाली बीमारी के मामले उजागर हो रहे हैं। कई गाँवों का सर्वे स्वास्थ्य विभाग ने नहीं किया है।

सर्वे रिपोर्ट, अब तक किए गए कार्य, दूर करने के सुझाव और रोकथाम के लिए हुए प्रयासों को लेकर केन्द्र ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट माँगी है। इसके आधार पर भारत सरकार ने राज्य के प्रभावित इलाकों के लिए बसावट के हिसाब से कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए।

 

साफ पानी सबसे पहले


स्वास्थ्य विभाग की सर्वे रिपोर्ट के बाद केन्द्र सरकार ने राज्य को फ्लोराइड, आयरन, नाइट्रेट और आर्सेनिक जैसे रसायनों की अधिकता से लोगों को बचाने और साफ पानी देने के निर्दश दिए हैं। इसके लिए सम्बन्धित विभागों के आला अधिकारियों के साथ वीडियो के माध्यम से बैठक और बात-चीत हुई है। इसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुरे प्रभावों का आँकलन करते समय केन्द्र के अधिकारियों ने चिन्ता जताई है। इसके बाद ही राज्य सरकार को बसावट के हिसाब से जल्दी ही कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए। यही वजह है कि इसके तहत स्वास्थ्य संचालन ने अपने विभाग के अधिकारियों को 31 मई तक कार्ययोजना बनाते हुए विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

 

केन्द्र का हस्तक्षेप, राज्य की समीक्षा


15 जून को अपर मुख्य सचिव इसकी समीक्षा करेंगे। इसलिए 6 जून तक कोई कार्ययोजना यदि किसी जिले या उसके इलाके में बदली जानी है तो उसकी जानकारी प्रदान करने के निर्देश दिए गए है। इस सम्बन्ध में अन्तिम जानकारी राज्य सरकार को 10 जून तक करानी होगी। वजह है कि अपर मुख्य सचिव 15 जून को इसकी समीक्षा करेंगे।

 

स्थित इतनी भयावह


भू-जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा की जाँच के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने छत्तीसगढ़ में 26 जिला स्तरीय प्रयोगशालाओं की स्थापना की है। दूरस्थ गाँवों में भूमिगत जलस्त्रोत से प्राप्त पानी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। पम्प से निकलने वाले आयरन व फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोग अस्थि सम्बन्धी रोगों से ग्रसित हो रहे हैं। यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।

1. कोरबा जिले के फुलसर गाँव में 17 हैंडपम्प स्थापति हैं जिसमें से 7 को फ्लोराइड युक्त पानी उगलने के कारण सील कर दिया गया।

2. राज्य के आदिवासी बाहुल्य बस्तर जिले में फ्लोराइड युक्त पानी से कई बच्चे बीमार पड़ गए हैं। हड्डियों में विकृति आने के बाद राज्य शासन ने दस हैंडपम्पों को सील करवा दिया है। बाकेला गाँव में हैंडपम्पों से निकलने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण बच्चे और ग्रामीण प्रभावित हो गए हैं। दो हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले बाकेल गाँव में आठ मोहल्ला है तथा यहाँ के लोगों के लिए 32 हैंडपम्पों की व्यवस्था की गई है। इन हैंडपम्पों में साल भर पानी देने वाले 13, रूक-रूककर पानी देने वाले 16 और बिगड़े हुए तीन हैंडपम्प हैं। यहाँ के ग्रामीण 29 हैंडपम्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें से 10 हैंडपम्पों के पानी में ज्यादा मात्रा में फ्लोराइड पाया गया है।

3. फ्लोराइड की अधिकता होने पर दाँतों का रंग पीला होने लगता है। हड्डी टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है, कमर झुक जाती और गर्दन अकड़ जाती है। काफी लम्बे समय से फ्लोराइड की अधिकता होने से शरीर के कंकाल तन्त्र में स्थायी विकृति आ जाती है, जिससे मनुष्य चल फिर नहीं सकता है।

4. बाकेल गाँव के 10 हैंडपम्पों में एक पीपीएम से अधिक फ्लोराइड पाया गया है। बच्चों और ग्रामीणों की उम्र को देखने से लग रहा है कि वे लम्बे समय से फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन कर रहे हैं। गाँव में पेयजल का परीक्षण कलर-मेचिंग पद्धति से हुआ था इसलिए इसकी सही पुष्टि के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के दुर्ग स्थित विभागीय प्रयोगशाला और नागपुर स्थित नेशनल इन्वायरमेन्ट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) में भी बाकेल गाँव के पेयजल को भेजा जाता है।

 

सर्वे के दौरान मिले पानी में ये रसायन


छत्तीसगढ़ के 17 जिलों के पानी में 574 गाँवों में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से फ्लोरोसिस की बीमारी उजागर हुई है।

राज्य सरकार के सर्वे पर एक नजर
फ्लोराइड की स्थिति

1.5एमजी/1 लीटर

 

प्रभावित इलाके


रायपुर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, धमतरी, जांजगीर चांपा, जशपुर, कांकेर, कोरबा, कोरियाख् महासमुंद, राजनंदगांव तथा सरगुजा।

आयरन की स्थिति
1.0 एमजी/1लीटर

 

प्रभावित इलाके


कांकेर, कोरबा, बस्तर और दंतेवाड़ा।

 

नाइट्रेट की स्थिति


45 एमजी/1लीटर

 

प्रभावित इलाके


रायपुर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, बस्तर धमतरी, कर्वधा, रायगढ़, जांजगीर चांपा, जशपुर, कांकेर, कोरबा, महासमुंद और राजनंदगांव।

 

आर्सेनिक की स्थिति


0.05 एमजी/1 लीटर

 

प्रभावित इलाके


रायुपर और राजनंदगांव आदि।

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