कोविड-19 और महावारी

28 May 2020
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कोविड-19 और महावारी
कोविड-19 और महावारी

दुनिया इस समय कोरोना वायरस से लड़ रही है, लेकिन भारत कोरोना सहित विभिन्न प्रकार की समस्याओं से लड़ रहा है, जिसमें गरीबी और भूखमरी भी शामिल हैं। सरकार और विभिन्न संस्थाएं हर जरूरतमंद तक भोजन व अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में लगे हैं, लेकिन लाॅकडाउन ने महिलाओं में महावारी (मासिक धर्म व पीरियड्स) संबंधी समस्याओं को बढ़ा दिया है, जिसकी देश व्यापी चर्चा बेहद जरूरी है, क्योंकि भारत में लगभग 335 मिलियन मासिक धर्म वाली महिलाएं और लड़कियां हैं, जो विभिन्न सामाजिक और आर्थिक कारकों के कारण प्रभावी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) के लिए बहुस्तरीय बाधाओं का सामना करती हैं। स्वस्थ मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश के केवल 12 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां ही सैनेटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, जबकि अधिकांश महिलाएं कपड़े आदि का ही उपयोग करती हैं। 

वर्ष 2016 में भारत में किशोर लड़कियों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर एक स्टडी की गई थी। इसमें सामने आया कि ‘‘77 प्रतिशत लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान पूजा स्थलों पर जाने और धार्मिक वस्तुओं को छूने पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है। केवल 55 प्रतिशत लड़कियों ने ही मासिक धर्म को सामान्य माना है, जबकि 54 प्रतिशत लड़कियों ने मासिक धर्म के बारे में जानकारी के प्राथमिक स्रोत के रूप में मां को बताया।’’ स्वच्छ इंडिया डाॅट एनडीटीवी पर प्रकाशित एक न्यूज के अनुसार ‘‘मासिक धर्म शुरू होने पर हर साल भारत में 23 मिलियन लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं।’’ हालांकि कि 355 मिलियन महिलाओं और लड़कियों को स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (आरकेएसके) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से एमएचएम सुविधाओं के साथ प्रदान करने का कार्य कर रही है, लेकिन लाॅकडाउन के कारण महिलाओं के लिए समस्या बढ़ गई है। 

लाॅकडाउन के कारण करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया है। ऐसे में आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे सैनेटरी नेपकिन नहीं खरीद पा रहे हैं। तो नेपकिन खरीदना उनके लिए और ज्यादा समस्या बन गया है, जिनके पास पहले से ही रोजगार नहीं है या काफी गरीब हैं या फिर भिक्षु आदि हैं। दूर-दराज के पर्वतीय इलाकों में भी लाॅकडाउन के दौरान ये समस्या सामने आ रही है। ऐसे में महिलाओं के लिए खतरा काफी बढ़ गया है, तो वहीं महावारी के दौरान कई जगहों पर उन्हें रूढ़ीवादी सोच और कई प्रतिबंधों का सामना भी करना पड़ता है। एक प्रकार से कोरोना के दौरान महिलाओं के सामने स्वच्छता को लेकर समस्या बढ़ गई है। इसकी चर्चा होना बेहद जरूरी है, लेकिन फिलहाल कहीं चर्चा होती दिखी नहीं, किंतु कई लोग व संस्थाएं हैं, जो अपने स्तर पर महिलाओं तक सैनेटरी नेपकिन पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। कई जगहों पर इसमें प्रशासन और सरकार भी काफी सक्रिय है।

दिल्ली की सना श्रीवास्तव ने सामाजिक कार्य के लिए माईस्टोरी नाम से ट्रस्ट शुरू किया था। लाॅकडाउन के दौरान वें लोगों को भोजन उपलब्ध कराने का कार्य कर रही हैं। सना बताती हैं कि ‘‘वें अपनी टीम के साथ खाना पहुंचाने का कार्य तो कर ही रहे हैं, साथ ही बच्चों को पढ़ाते भी हैं। इसी बीच हमने महावारी के दौरान महिलाओं को सैनेटरी पैड की कम से जूझते हुए भी देखा। जिसके बाद हमने राशन किट में सैनेटरी पैड भी शामिल कर दिया।’’ ऐसी ही एक महिला है, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के गांव बडेत की। सर्वविदित है, कि पहाड़ के दूर दराज के अधिकांश इलाकों में महावारी के दौरान पुराने तरीकों को ही अपनाया जाता है। इसका कारण जागरुकता का अभाव और गरीबी दोनों ही है, लेकिन बड़ेत गांव की ग्राम प्रधान रेखा बिष्ट गांव में महिलाओं को निशुल्क सैनेटरी पैड्स बांटने का कार्य कर रही हैं।

अल्मोड़ा जिले के ग्राम बड़ेत में महिलाओं को सैनेटरी नेपकिन देती ग्राम प्रधान रेखा बिष्ट।

रेखा बिष्ट ने बताया कि ‘‘जिस प्रकार हम अन्य समस्याओं और बीमारियों का ध्यान रखते हैं। उनसे बचाव के उपाय करते हैं, उसी प्रकार हमें महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं का भी ध्यान रखना होगा। लाॅकडाउन के दौरान महिलाओं की इसी समस्या को देखते हुए सैनेटरी पैड्स बांटे गए हैं। आगे भी किसी को समस्या होती है, तो उसका भी समाधान किया जाएगा।’’ इसी प्रकार जयपुर में निर्भया स्क्वाॅड कर्फ्यू वाले इलाकों में 3 हजार से ज्यादा सैनेटरी पैड्स बांट चुका है। ऐसे तमाम संगठन और लोग हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया भी महिलाओं का पूरा ध्यान रख रही हैं और महिलाओं को पैड्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यही कार्य देश के विभिन्न लोग और संस्थाएं कर रही हैं, लेकिन ये कार्य फिलहाल ‘सागर में एक बूंद पानी डालने के समान है।’’ महिलाओं सहित समाज के उत्थान के लिए सभी को इन मिथ्याओं को मिटाना होगा और वर्तमान में जो जरूरत है, उस जरूरत को पूरा करना होगा। तभी कोरोना जैसे विभिन्न बीमारियों पर विजय हांसिल करने में सहायता मिलेगी।


हिमांशु भट्ट (8057170025)

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