देवास के भगीरथ


साल 2005 तक देवास जिले के खेत-खलिहान सब सूखे पड़े थे। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे थे तथा किसान अपने घरों से पलायन कर रहे थे। देवास जिले के पारंपरिक जलस्रोतों को पाट दिया गया और उन पर मकान, कल-कारखाने खुल गए। पानी का कोई स्रोत नहीं बचा तो शहर को ट्रेन से पानी मंगाना पड़ा।रोज सुबह ट्रेन से पानी आता तो देवास जिले को मिलता था। लेकिन सैकड़ों-हजारों किसानों के अदम्य साहस की वजह से देवास जिला आज खुशहाल है। उनके पानी सहेजने के पारंपरिक तरीकों को देखकर अन्य जिलों के किसानों ने भी अपने-अपने यहां पारंपरिक तालाबों के खुदाई की शुरूआत की है। देवास के जल ज्ञान और कमाल पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री फिल्म।

 

 

देवास के भगीरथ, भाग-2


 

 

 

 

 

 

 

 

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