दिल्ली में पानी पर घमासान

3 Jan 2014
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दिल्ली में पानी के मामले में घमासान की स्थिति दिखाई पड़ रही है। पानी मुफ्त में सब्सिडी पर उपलब्ध होना महत्वपूर्ण सवाल नहीं है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि दिल्ली अपना पानी के बारे में कब सोचेगी? क्योंकि अभी दिल्ली में पानी पैसे और रसूख के बदौलत ही उपलब्ध हो पता है। दिल्ली अपना ज्यादातर तालाब पाट चुकी है। उत्तराखंड के टिहरी बांध से, हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से और अब रेणुका बांध से उम्मीद लगाई दिल्ली को ‘फ्री’ पानी में तो मजा ही आता है। जरूरत है कि दिल्ली अपने पानी के बारे में भी सोचे. अपने घाट पाटकर दूसरों के भरोषे कब तक फ्री पानी उपलब्ध करा सकेंगे। जनसत्ता की कुछ खबरों के माध्यम से पानी की राजनीति पर एक नज़र .......

हर साल गरमी के मौसम में पानी की समस्या विकराल रूप ले लेती है। अगर अभी से पानी की बर्बादी रोकने और आपूर्ति सुधारने का काम तेजी से चले, तो हर वर्ष गर्मी के दिनों में दिल्ली के कई इलाकों में दिखने वाली हाहाकार की तस्वीर बदली जा सकती है। दुनिया के अनेक विकसित शहरों में प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एक सौ पैंतीस लीटर से ज्यादा पानी की आपूर्ति नहीं की जाती। पर उन शहरों में लोगों को पानी की कमी नहीं सताती। अगर जल-प्रबंधन को दुरुस्त और वितरण को न्यायसंगत बनाया जाए तो दिल्ली में भी पानी के प्रश्न सुलझाए जा सकते हैं। जनसत्ता 1 जनवरी, 2014 : आम आदमी पार्टी की सरकार ने शपथ ग्रहण के दो दिन बाद ही अपना पहला वादा पूरा कर दिखाया। एक जनवरी से दिल्ली के लोगों को हर माह बीस हजार लीटर पानी मुफ्त मिलेगा, यानी छह सौ सड़सठ लीटर रोज। प्रतिव्यक्ति के लिहाज से यह आंकड़ा एक सौ पैंतीस लीटर रोजाना का बैठता है। ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो ‘आप’ सरकार के इस फैसले को महज एक लोकलुभावन कदम मानते हैं। वहीं कुछ लोग इसे बेकार की रियायत या सरकारी खजाने पर बेजा बोझ के तौर पर भी देखते हैं। लेकिन कॉरपोरेट जगत को कर-त्याग के रूप में दिए गए भारी-भरकम लाभ पर वे कभी सवाल नहीं उठाते। पानी हर इंसान की बेहद बुनियादी जरूरत है, इसे लैपटॉप या टीवी सेट बांटने जैसे कार्यक्रमों की तरह नहीं देखा जा सकता। पानी का हक जीने के अधिकार से ताल्लुक रखता है जो संविधान के अनुच्छेद-इक्कीस में वर्णित है। संयुक्त राष्ट्र ने तीन साल पहले पेयजल को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी, और हमारा सर्वोच्च न्यायालय भी अपने एक फैसले में यह संदेश दे चुका है। केजरीवाल सरकार का यह निर्णय चुनावी वादे से कहीं अधिक इस संदर्भ में मायने रखता है। अलबत्ता नागरिक अधिकार के नजरिए से इस फैसले की सीमाएं हैं। इसका लाभ उन्हीं लोगों को मिल पाएगा, जिनके घरों के नल दिल्ली जल बोर्ड की पाइपलाइनों से जुड़े हुए हैं और मीटर काम कर रहे हैं। जबकि ऐसे बहुत-से लोग हैं जिन तक जल बोर्ड का पानी नहीं पहुंचता। उन्हें टैंकर या दूसरे स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर किराए पर रहने वाले परिवारों के पास अपने अलग से मीटर नहीं हैं। यही नहीं, बहुत सारी ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में हर फ्लैट का अलग मीटर नहीं होता। इन सबको निशुल्क सुविधा का लाभ कैसे मिलेगा, यह सवाल बना हुआ है।

यह भी गौरतलब है कि दिल्ली की नई सरकार का पहला अहम फैसला केवल शुल्क संबंधी छूट से ताल्लुक रखता है, जबकि सबको जरूरत भर पानी मिले यह कहीं ज्यादा बड़ा मसला है। कांग्रेस ने भी यह सवाल उठाया है। लेकिन पंद्रह साल के शासनकाल में उसने इसे क्यों नहीं सुलझाया? केजरीवाल टैंकर माफिया के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि पानी की समस्या से जुड़े दूसरे पहलुओं पर भी उनकी सरकार सक्रियता दिखाएगी। दिल्ली जल बोर्ड की पाइपों के लीक होने और इसके चलते बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी किसी से छिपी नहीं है। इस पर रोक लगाना पानी की उपलब्धता बढ़ाने, आपूर्ति में सुधार लाने और उसका दायरा बढ़ाने का पहला कदम होगा। इसके अलावा वर्षाजल संचयन, गंदे पानी के शोधन, पानी के नाकाम मीटरों को बदलने और तालाबों, झीलों को अतिक्रमण से बचाने जैसे कई उपाय करने होंगे, जो अमूमन कागजों पर ही रहे हैं। हर साल गरमी के मौसम में पानी की समस्या विकराल रूप ले लेती है। अगर अभी से पानी की बर्बादी रोकने और आपूर्ति सुधारने का काम तेजी से चले, तो हर वर्ष गर्मी के दिनों में दिल्ली के कई इलाकों में दिखने वाली हाहाकार की तस्वीर बदली जा सकती है। दुनिया के अनेक विकसित शहरों में प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एक सौ पैंतीस लीटर से ज्यादा पानी की आपूर्ति नहीं की जाती। पर उन शहरों में लोगों को पानी की कमी नहीं सताती। अगर जल-प्रबंधन को दुरुस्त और वितरण को न्यायसंगत बनाया जाए तो दिल्ली में भी पानी के प्रश्न सुलझाए जा सकते हैं।

पानी के नाम पर आप ने धोखा दिया : कांग्रेस


नई दिल्ली, 31 दिसंबर 2013। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की ओर से राजधानी में सोमवार को मुफ्त पीने का पानी देने संबंधी घोषणा को कांग्रेस ने दिल्ली के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के साथ विश्वासघात करार देते हुए कहा है कि आप पार्टी के इस फैसले ने दिल्ली के लोगों का मजाक उड़ाया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकेश शर्मा ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आंकड़ों में हेराफेरी कर दिल्ली की जनता से इतना बड़ा धोखा इतिहास में किसी भी चुनी हुई राज्य सरकार ने नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के चुनाव में स्पष्ट रूप से अपने तथाकथित संकल्प पत्र और घोषणा पत्र में कहा था कि दिल्ली में सभी घरों को 700 लीटर शुद्ध पेयजल प्रतिदिन निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछा की क्या सोमवार की घोषणा से दिल्ली में सभी घरों को 700 लीटर शु्द्ध पेयजल उपलब्ध हो पाएगा? उन्होंने कहा कि सच यह है कि केजरीवाल की अध्यक्षता में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा लिए गए फैसले से दिल्ली के केवल 15 से 20 फीसद के बीच जल बोर्ड के उन उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा, जिन्हें शायद इसकी जरूरत भी नहीं है और अगर जरूरत है भी तो उनके घरों में पेयजल 700 लीटर तक पहुंचता ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि आप ने चुनाव से पहले यह कहा था कि हमारे पास एक योजना है जिसके तहत बिना सब्सिडी के मुफ्त पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने पूछा कि वह योजना अब कहां चली गई?

मुकेश शर्मा ने कहा दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों, पुनर्वास कालोनियों, गांव वाली और ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में रहने वाले जल बोर्ड के उपभोक्ताओं को इस घोषणा से लाभ मिलना तो अलग बात है जबकि सच यह है कि उनकी जेब से 164 करोड़ की वसूली जल बोर्ड अलग से करेगा। उन्होंने कहा यह फैसला दिल्ली के मध्यमवर्ग और गरीब लोगों की जेब पर सीधे तौर पर डाका है और इसे किसी भी कीमत पर एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकृत आंकड़ों के अनुसार केवल 19.5 लाख उपभोक्ताओं के पास ही जल बोर्ड के कनेक्शन हैं और जल बोर्ड का यह मानना है कि इसमें केवल 6.5 लाख घरों में जल बोर्ड के मीटर लगे हुए हैं।

शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कहना कि यह लाभ केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलेगा जिनके मीटर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच यह है कि 6.5 लाख में से केवल 3.5 लाख ही ऐसे मीटर हैं, जो चालू हैं। इसलिए यह साफ हो गया है कि लाभ चालू मीटर वाले उपभोक्ताओं को ही मिलेगा।

पानी की बढ़ी हुई दरें वापस ले सरकार : भाजपा


नई दिल्ली, 31 दिसंबर 2013। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने दिल्ली के ज्यादातर उपभोक्ताओं के लिए पानी की दरों में 10 फीसद की वृद्धि कर नए साल का तोहफा दिया है। आठ लाख से भी अधिक परिवारों पर इस वृद्धि का प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उन्हें एक जनवरी से 500 से 700 रुपए प्रतिमाह का अतिरिक्त भार उठाना पड़ेगा। उन्होंने इस बढ़ोतरी को वापस करने की मांग की है।

गोयल ने कहा कि जल बोर्ड में भाजपा के सदस्य नेताओं ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की बैठक में एक जनवरी 2014 से पानी की दरें बढ़ाने का विरोध किया था। लेकिन उनके विरोध को दरकिनार कर सरकार ने पानी की दरों में वृद्धि का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा कि आप की सरकार ने दिल्ली जलबोर्ड के लिए बनाए गए जनविरोधी नियमों के मुताबिक काम करते हुए प्रतिवर्ष दस फीसद की वृद्धि का फैसला किया है। भाजपा इस नियम को हटाने की मांग करती रही है। लेकिन न तो कांग्रेस सरकार ने और आप की सरकार ने इस नियम को हटाया। जलबोर्ड में भाजपा के सदस्यों ने इस हटाने का आग्रह किया था। भाजपा ने मांग की है कि प्रति वर्ष 10 फीसद की वृद्धि करने का जनविरोधी नियम तुरंत हटा लिया जाए।

मुफ्त पानी की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए गोयल ने कहा कि अनधिकृत कालोनियों, झुग्गी-झोपड़ी कलस्टरों और ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों के निवासियों को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए यह केवल एक दिखाया है। अधिकांश झुग्गी-झोपड़ियों में पानी के मीटर नहीं चलते। अनधिकृत कालोनियों में दिल्ली जल बोर्ड पाइप से सप्लाई नहीं करता। ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में पूरी सोसाइटी के लिए एक ही पानी का मीटर होता है। इस कारण उनकी खपत नियत सीमा से काफी अधिक होगी ही जबकि उनमें रहने वाले परिवारों की औसत खपत नियत सीमा से काफी कम होगी।

इसके अतिरिक्त दिल्ली छावनी क्षेत्र और एनडीएमसी क्षेत्र के रहने वालों को भी इस घोषणा से कोई लाभ नहीं मिलेगा। इससे यहाँ साफ हो जाता है कि अधिकांश गरीब लोगों निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोंगो को कोई लाभ नहीं मिलेगा . सच्चाई यह है कि उन मूल मुद्दों जिनका समाधान आवश्यक है वे हैं - प्रत्येक घर को पाइप से पानी की सप्लाई देना, पानी के मीटर लगाना, शुद्ध जल की सप्लाई सुनिश्चित करना और उन मीटरों की मरम्मत करना जो खराब पड़े हैं। गोयल ने कहा कि ऐसा लगता है कि नए मुख्यमंत्री बिना होम वर्क किए ही जल्दी में घोषणाएं करना चाहते हैं।

पानी पर सब्सिडी योजना की जेटली ने आलोचना की


नई दिल्ली, 01 जनवरी 2014। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने दिल्ली के नए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पेयजल सब्सिडी योजना की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि वह अल्पकालिक लाभ के लिए जनता पर कर का भार बढ़ने के साथ ही समाज के सबसे कमजोर तबकों को इससे वंचित कर रहे हैं।

आप सरकार की ओर से दिल्ली के लोगों को हर महीने 20 हजार लीटर पेयजल मुफ्त देने की योजना के बारे में जेटली ने कहा कि पेयजल सब्सिडी योजना में दिल्ली के सबसे कमजोर तबकों की ही पूरी तरह अनदेखी की गई है। दिल्ली के सबसे गरीब लोगों को पेयजल सब्सिडी योजना से बाहर रखा गया है। जिन बस्तियों में पाइपलाइन नहीं है, जिन घरों में मीटर नहीं है, जिन घरों में खराब मीटर है, जिनके घर एनडीएमसी या दिल्ली छावनी इलाकों में हैं-उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया गया है।

जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि इस सब्सिडी ने सबसे कमजोर वर्ग को योजना से बाहर रख कर उस छोटे समूह को शामिल किया है जिनके यहां मीटर हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 18 लाख पानी के कनेक्शन हैं। इनमें से साढ़े आठ लाख के पास कार्यरत मीटर हैं। जबकि 5 लाख के यहां बेकार या दोषपूर्ण मीटर हैं। शेष कनेक्शन बिना मीटर वाले हैं।

भाजपा नेता ने कहा कि इस योजना की एक बड़ी चिंताजनक बात यह है कि इसके तहत जल का शुल्क कम नहीं किया गया है बल्कि उस पर सब्सिडी दी गई है जो कि कर दाताओं के धन से चुकाई जाएगी। उन्होंने बताया कि आप जितनी सब्सिडी देंगे, आपको उतना ही कर बढ़ाना होगा।

जेटली ने मुफ्त पेयजल योजना की सबसे बड़ी खामी यह बताई कि दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों और अनधिकृत कालोनियां इस योजना से पूरी तरह वंचित रखी गई हैं क्योंकि इनमें पाइप लाइन बिछी ही नहीं हैं हालांकि इन्हीं बस्तियों में राष्ट्रीय राजधानी की सबसे अधिक जनता वास करती है।

जेटली ने कहा कि इसकी दूसरी बड़ी कमी यह है कि योजना के तहत प्रतिदिन केवल 666 लीटर पानी उपयोग करने वाले घर ही इससे लाभान्वित होंगे और इससे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले दंडित। जो घर प्रतिमाह 20 हजार लीटर से जरा भी ज्यादा जल का इस्तेमाल करेंगे, उन्हें 10 फीसद अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सराकर सब्सिडी देकर अल्पकालिक व्यवस्था कर रही है और आने वाले कल के लिेए कर्ज का अंबार लगा रही है। सब्सिडी समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए अनुत्पादक ही साबित होगी। यह जल आपूर्ति संगठनों को भी कमजोर बनाएगी।

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