दतिया जिले के तालाब


दतिया नगर के तालाब मालाकार रूप में नगर के चारों ओर बने हुए हैं। एक तालाब के भरने पर उसका बेशी जल दूसरे तालाबों को भर देता है तथा किसी क्षेत्र के निवासियों को जल संकट नहीं होता।

दतिया जिला एक छोटा जिला है, जो झांसी-बेतवा के पश्चिमोत्तर भाग में लम्बाकार सिन्ध नदी तक है। दतिया जिला भी पठारी, पथरीला, टौरियाऊ, ऊँचा-नीचा, ढालू, रांकड़ भूमि वाला जंगली भूभाग रहा है। दत (पत्थर की चट्टान), दतया (पथरीला) भूभाग होने से ही इसको दतया उर्फ दतिया कहा जाने लगा था। दतिया का दक्षिणी-पश्चिमी भूभाग पहाड़ी, पठारी असमान है तो सैवढ़ा क्षेत्र नीचा है जो उत्तर की ओर अर्थात सिन्ध नदी की ओर क्रमशः नीचा हो गया है। जिस कारण इस भूभाग के बरसाती धरातलीय जल को संग्रहीत करने के लिये उपयुक्त साधन रहे हैं। इस क्षेत्र में बेतवा, पहूज, सिंध, महुअर जैसी बड़ी नदियों के अतिरिक्त अन्य छोटे-बड़े सभी नाले ‘नालियाँ’ सूखे ही रहते हैं। इस क्षेत्र में भू-गर्भीय जलस्रोत नहीं के बराबर ही हैं। पहाड़ी-पठारी शुष्क भूभाग होने से इस जिले में कँटीली झाड़ियों के वन अधिक हैं जिनमें खैर, बबूल, बेरी, मकोर, व्याकुल, अकोला के वृक्ष अधिक होते हैं।

दतिया जिले में निम्नांकित तालाब प्रमुख हैं-

1. सीता सागर, दतिया- सीता सागर तालाब दतिया नरेश रामचन्द्र (1707-36 ई.) ने अपनी महारानी सीतारानी के नाम पर बनवाया था। यह लगभग 5 एकड़ भराव क्षेत्र का नगर निवासियों के निस्तार का सुन्दर तालाब है।

2. कर्ण सागर तालाब, दतिया- इस तालाब का निर्माण दतिया के राजा शुभकर्ण ने सन 1847 ई. में कराया था। इसका भराव क्षेत्र लगभग 25 एकड़ का है। यह लगभग 10 फीट गहरा है। इस तालाब के घाट बड़े सुन्दर हैं। तालाब का निर्माण रचनात्मक तरीके से किया गया है। निर्माण पूरा होने पर 64 तीर्थ स्थलों का जल इसमें डाला गया था। बाँध पर भागीरथी गंगाजी की सुन्दर प्रतिमा है। गणेश मन्दिर, नरसिंह मन्दिर, भगवान परशुराम मन्दिर भी बाँध पर हैं। कर्ण सागर तालाब दतिया नगर का सबसे बड़ा तालाब है। दतिया नगर की महिलाओं के पुनीत धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम, कार्तिक स्नानादि इसी तालाब पर सम्पन्न होते हैं। यह तालाब भी कीचड़-गाद से भर रहा है। मरम्मत-सुधार कार्य हो जाए तो यह अपने पूर्व सौन्दर्य को प्राप्त कर लेगा।

3. राधा सागर तालाब- दतिया नरेश रामचन्द्र (1707-36) की एक उपरानी राधा रानी थी जिन्होंने अपने नाम पर यह राधा सागर तालाब बनवाया था। जिसका भराव क्षेत्र लगभग 5 एकड़ का है। यह भी जन निस्तारी तालाब है।

4. लाला का ताल- दतिया राज्य के राजा इन्द्रजीत सिंह के शासनकाल में, लाला रघुवंशी प्रभावी मन्त्री सरदार थे। उन्होंने अपने नाम पर सन 1756-62 के मध्य लाला का तालाब बनवाया था। यह 22 एकड़ के विस्तार का बड़ा तालाब है, जो 13 फीट गहरा है। इसके बाँध पर अनेक देवालय हैं। तालाब जन निस्तारी है।

5. तरन तारण तालाब, दतिया- दतिया नगर का यह जन निस्तारी तालाब है जो लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में है।

6. लक्ष्मण तालाब- दतिया का लक्ष्मण तालाब भी, 3 एकड़ का जन निस्तारी छोटा तालाब है।

7. बीर सागर तालाब- दतिया में वीरसिंह महल (दतिया महल) के दक्षिणी पार्श्व में सत्रहवीं सदी में (बड़ौनी जागीरदारी के समय वीर सिंह देव ने) वीर सागर तालाब बनवाया था। यह एक सुन्दर झील के रूप में दृष्टिगोचर होता है।

8. दतिया नगर के तालाब- मालाकार रूप में नगर के चारों ओर बने हुए हैं। एक तालाब के भरने पर उसका बेशी जल दूसरे तालाबों को भर देता है तथा किसी क्षेत्र के निवासियों को जल संकट नहीं होता है।

9. राम सागर तालाब- यह तालाब दतिया के राजा रामचन्द्र (1707-36) ने बनवाया था, जो दतिया-बड़ौनी मार्ग पर स्थित है। इसका भराव क्षेत्र 350 एकड़ का है। मध्य में एक कोठी है। इसमें कमल एवं सिंघाड़ा खूब होता है। यह तालाब विशाल झील के समान है। इससे सिंचाई के लिये दूर-दूर तक नहरें गई हुई हैं। इस तालाब की झिरन से पड़री नदी बनती है जो पहूज नदी की सहायक है।

दतिया नगर के तालाब मालाकार रूप में नगर के चारों ओर बने हुए हैं। एक तालाब के भरने पर उसका बेशी जल दूसरे तालाबों को भर देता है तथा किसी क्षेत्र के निवासियों को जल संकट नहीं होता।

10. बड़ौनी तालाब- बड़ौनी दतिया से 8 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसके चारों ओर पहाड़-लिड़रा पहाड़, गनियार पहाड़, लड़ैरा पहाड़, धरैना पहाड़, गोपेश्वर पहाड़ एवं हरिन्दर पहाड़ हैं। इन पहाड़ों की तलहटी में वीरसिंह देव बुन्देला ने विशाल तालाब बनवाया था। यह सुन्दर तालाब है। इससे कृषि सिंचाई भी की जाती है।

11. अगोरा तालाब- अगोरा ग्राम दतिया के दक्षिण में है। यहाँ अगोरा नाम से तालाब है। यह जन निस्तारी तालाब है। इससे कुछ सिंचाई भी की जाती है।

12. मकरारी तालाब- मकरारी तालाब को मकौनी तालाब भी कहा जाता है। यह बड़ा तालाब है जो 15 एकड़ भराव क्षेत्र का है। तालाब लगभग 10 फुट गहरा है। इससे सिंचाई हेतु नहरें निकाली हुईं हैं।

13. बसई तालाब- बसई कस्बा, खनिया धाना राज्य का मुख्यालय था। यहीं खनिया धाना के राजा रहा करते थे। बसई ग्राम के मध्य पूर्वी अंचल में 5 एकड़ का तालाब है जो निस्तारी तालाब है, परन्तु कीचड़ एवं गन्दगी से भर रहा है। इसकी सफाई एवं गहरीकरण आवश्यक है।

इनके अलावा बरधाव, सिराल, धुरसेरा, चेरगारा, पचौरा, सेनावल, अशरताल, पाराशरी ताल, सुनार ताल, मौसमी तालाब हैं जो एक एकड़ से 3 एकड़ तक के जलभराव क्षेत्र के हैं। कुछ छोटी-छोटी कच्ची तलैयां हैं, जो ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती हैं।

 

बुन्देलखण्ड के

तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

2

टीकमगढ़ जिले के तालाब एवं जल प्रबन्धन व्यवस्था

3

छतरपुर जिले के तालाब

4

पन्ना जिले के तालाब

5

दमोह जिले के तालाब

6

सागर जिले की जलप्रबन्धन व्यवस्था

7

ललितपुर जिले के तालाब

8

चन्देरी नगर की जल प्रबन्धन व्यवस्था

9

झांसी जिले के तालाब

10

शिवपुरी जिले के तालाब

11

दतिया जिले के तालाब

12

जालौन (उरई) जिले के तालाब

13

हमीरपुर जिले के तालाब

14

महोबा जिले के तालाब

15

बांदा जिले के तालाब

16

बुन्देलखण्ड के घोंघे प्यासे क्यों

 


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