डूबता द्वीप

4 Oct 2009
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एक डूबता हुआ द्वीपजलवायु परिवर्तन और स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा के आगे किस तरह से 5000 लोगों की आबादी वाला एक गांव घोरामारा दम तोडने की कगार पर है, यह सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वाटरनमेंट की फिल्म 'मीन सी लेवल' में दर्शाया गया है। 59 मिनट लंबी इस वृत्तचित्र का लेखन और निर्देशन सीएसई के एसोसिएट डायरेक्टर प्रदीप साहा ने किया है। यह फिल्म ग्लोबल वार्मिंग से बढता समुद्री जलस्तर, सरकारी नीतियां और उपाय, भूमि क्षरण, जलवायु शरणार्थी और छोटे द्वीपों की चिंताओं जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।

घोरामारा कोलकाता से लगभग 150 किमी दक्षिण बंगाल की खाड़ी और सुंदरवन के डेल्टा क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान अपने पड़ोसी द्वीप लोहचारा की तरह बहुत जल्द विलुप्त होने वाला है। 25 वर्षों से समुद्र घोरामारा की भूमि को अपना ग्रास बना रहा है। लिहाजा इसका क्षेत्रफल 9 वर्ग किमी से लगभग 50 प्रतिशत घटकर 4।7 वर्ग किमी रह गया है। पिछले 30 वर्षों में यहां के 7000 निवासी पलायन कर चुके हैं। कुछ पास के सागर द्वीप चले गए हैं, तो कुछ लोगों ने कोलकाता जैसे महानगरों की शरण ले ली है।

फिल्म के रिलीज के मौके पर सुनीता नारायण ने कहा कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि कि जलवायु परिवर्तन एक हकीकत है और इसका उप महाद्वीप के बड़े भाग में सबसे बुरा असर होगा। भारत को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिए। उसे उत्सर्जन में कटौती के बारे में अमीर राष्ट्रों पर दवाब बनाना चाहिए।

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