दूर हो बड़े तालाब का अतिक्रमण - एनजीटी

4 Jun 2016
0 mins read

बड़े तालाब के आसपास से सारा अवैध निर्माण हटाने के आदेश, बड़े पैमाने पर संरक्षण उपाय अपनाए जाएँ
.भोपाल। राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) का ताजा फैसला भोपाल की पहचान बड़ी झील के लिये बहुत बड़ी राहत लेकर आया है। एनजीटी ने भोपाल नगर निगम और जिला प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी अनदेखी के चलते ही बड़ी झील के आसपास इतने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो गया है कि झील के अस्तित्त्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया है।

पंचाट ने बड़े तालाब के जल भराव स्तर से 50 मीटर के दायरे में आने वाले सभी प्रकार के अतिक्रमण तत्काल हटाने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा नगर निगम को निर्देश दिया गया है कि वह इस पूरे क्षेत्र के अतिक्रमणों की सूची तैयार करके एनजीटी और जिलाधिकार कार्यालय के समक्ष प्रस्तुत करे। इस सूची का अध्ययन करने के बाद अवैध निर्माण को नोटिस देकर हटाया जाएगा।

मंगलवार को एनजीटी की पीठ ने अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता विवेक चौधरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए झील के पूर्ण जलस्तर से 50 मीटर के दायरे में हो रही निर्माण गतिविधियों और अतिक्रमण को लेकर गहरी चिन्ता प्रकट की। एनजीटी की पीठ में शामिल जस्टिस दिलीप सिंह और विशेषज्ञ सदस्य एस एस गर्ब्याल ने जिलाधिकारी से यह भी कहा कि वह अपने कार्यालय की ओर से अतिक्रमणकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस भी जारी करें।

उधर, पर्यावरणविद सुभाष चंद्र पांडेय ने आशंका जताई कि एनजीटी के फैसले को लागू करना जिला प्रशासन के लिये चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। उन्होंने कहा कि तालाब के पूर्ण जलस्तर वाले इलाके में हुए निर्माण कार्यों को वर्ष 2005 में आये मास्टर प्लान में भी अवैध ठहराया गया था लेकिन तब से अब तक इस विषय पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 50 मीटर का यह दायरा बड़े तालाब का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। इसकी हर हाल में रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेटेलाइट इमेजिंग की मदद से इसकी सुरक्षा में हुई सेंध का अन्दाजा लगाया जा सकता है।

एनजीटी ने अपने फैसले में कहा कि खानूगाँव में बन रही तालाब की रिटेनिंग दीवार वाले इलाके में 50 मीटर के दायरे में भविष्य में कोई अतिक्रमण न हो यह सुनिश्चित करने के लिये वहाँ बकायदा पुलिस चौकी बनाकर बैरिकेडिंग की जाये। यह सुनिश्चित करने को भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में बिना नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन की मंजूरी के कोई भीतर न जाने पाये।

उल्लेखनीय है कि बड़े तालाब की नमभूमि या वेटलैंड को लेकर राज्य सरकार या केन्द्र सरकार का पर्यावरण एवं वन मंत्रालय कोई भी जवाब दे पाने में विफल रहा जबकि उनको जवाब प्रस्तुत करना था। एनजीटी के समक्ष तालाब की गन्दगी की सफाई का मसला भी उठा। भुगतान लम्बित होने के कारण तालाब की सफाई का काम काफी समय से लम्बित है। एनजीटी ने सरकार को तत्काल भुगतान करके तालाब की सफाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

एनजीटी ने कहा कि बड़े तालाब के 50 मीटर के दायरे में 900 के करीब ऐसे निर्माण हैं जो कुछ और नहीं कर रहे बल्कि शहर की इस शान का दम घोंट रहे हैं। पंचाट ने यह निर्देश भी दिया कि इस पूरे इलाके में जमकर पौधरोपण किये जाने की आवश्यकता है ताकि इसे संरक्षित किया जा सके। वन विभाग को कहा गया है कि वह इस पौधरोपण में तकनीकी समेत हर सम्भव मदद मुहैया कराये।

भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने एनजीटी के आदेश को स्वीकार करते हुए कहा कि अतिक्रमण रोकने और पुराना अतिक्रमण हटाने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।

भोपाल का बड़ा तालाबतकरीबन 900 साल से अधिक पुराने बड़े तालाब को भोपाल की जीवनरेखा कहा जाता है। इस तालाब के आसपास काफी हिस्सा नमभूमि का है लेकिन अवैध निर्माण गतिविधियों के चलते स्थानीय पर्यावास और तालाब के भविष्य को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस तालाब में हर वर्ष हजारों की संख्या में पक्षी पहुँचते हैं। जैव विविधता के लिहाज से भी बड़ा तालाब महत्त्वपूर्ण है।

विशेषज्ञों के मुताबिक यहाँ करीब 1,000 प्रकार के पेड़-पौधे और जलीय जीव पाये जाते हैं। तकरीबन 31 वर्ग किलोमीटर में फैले बड़े तालाब को दुनिया में सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में शामिल किया जाता है। बड़े तालाब और छोटे तालाब के बीच बहुत बड़ा हिस्सा नमभूमि का भी है जिसके संरक्षण का संकल्प समय-समय पर लिया जाता रहा है।

क्या है मामला


एनजीटी ने यह निर्णय अधिवक्ता विवेक चौधरी द्वारा 2013 में दायर याचिका पर दिया है। यह पूरा इलाका प्रख्यात भोज वेटलैंड के दायरे में आता है। जिसे लेकर प्रदेश सरकार अतीत में बड़े-बड़े दावे कर चुकी है। वेटलैंड के संरक्षण के लिये 300 करोड़ रुपए की लागत से एक योजना भी तैयार की गई थी। यह वेटलैंड रामसर साइट के तहत आता है इसलिये पर्यावरणविद भी इसे लेकर अत्यन्त चिन्तित हैं।

ईरान के रामसर शहर में झीलों और नमभूमि के संरक्षण के लिये आयोजित सम्मेलन को ही रामसर सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। एनजीटी ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से कहा है कि वह एक बार पुन: विस्तृत रिपोर्ट के जरिए उसे बताए कि बड़े तालाब के आसपास के इलाके की वैधानिक स्थिति क्या है। यह इलाका रामसर सम्मेलन के तहत वेटलैंड की परिभाषा में आता है या नहीं इसे भी दोबारा स्पष्ट किया जाये।

बड़े तालाब के वीआईपी रोड वाले सिरे पर खानूगाँव क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर रिहायशी इमारतें बन चुकी हैं। बीते कुछ दशकों के दौरान तमाम निर्माण कार्य उस जमीन पर भी किये गए जो दरअसल तालाब के कैचमेंट एरिया में आती थी।

दो वर्ष पूर्व भोपाल नगर निगम ने तालाब के किनारे वीआईपी रोड पर स्थित व्यूप्वाइंट से खानूगाँव तक लेक फ्रंट डेवलपमेंट योजना विकसित करने का प्रोजेक्ट शुरू किया। इसके तहत बड़ी संख्या में पेड़ों को काटकर साइकिल और वॉकिंग ट्रैक, रेस्तराँ आदि विकसित किये जाने थे। यह योजना शुुरू से ही विवादों में थी।

इस योजना को पूरा करने के लिये ही नगर निगम ने तालाब की सरहद के 60 मीटर भीतर जाकर एक रिटेनिंग वॉल भी बना दी ताकि पानी को वहीं थामा जा सके। एनजीटी ने इस पर फटकार लगाते हुए में कहा था कि इस काम को रोका जाये।

बहरहाल निगम की रिटेनिंग वॉल को तालाब ने खुद आईना दिखा दिया जब पानी बढ़ने पर वह इस आधी-अधूरी रिटेनिंग वॉल को पार करके इधर आ गया।

इससे पहले अप्रैल 2013 में भी एनजीटी ने भोपाल नगर निगम, शहरी प्रशासन और विकास विभाग से कहा था कि बड़े तालाब की तट रेखा के 300 मीटर के दायरे में किसी तरह का स्थायी निर्माण नहीं किया जाये। नगर निगम को खानूगाँव में एक सामुदायिक भवन बनाने के लिये भी आड़े हाथों लिया गया था।

इससे पहले वर्ष 2013 में एनजीटी ने झील की सीमा तय करने का निर्देश दिया था लेकिन नगर निगम अब तक इस काम को अंजाम नहीं दे सका है। नगर निगम के अधिकारी खुलकर कह चुके हैं कि वे फंड की कमी के चलते इस काम को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं।

तालाबों का बनेगा एटलस!


भोपाल नगर निगम का झील संरक्षण प्राधिकरण राजधानी भोपाल में स्थित सभी छोटे-बड़े तालाबों का एटलस बनाने जा रहा है। इस एटलस में इन झीलों और तालाबों की मौजूदा स्थिति का पूरा ब्योरा होगा। ऐसा पिछला एटलस करीब 10 वर्ष पूर्व बना था। गौरतलब है कि पिछले 10 सालों में शहर के अधिकांश तालाबों का दायरा बहुत तेजी से कम हुआ है। अगर इनके संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये और तेजी से सिकुड़ जाएँगे।

एनजीटी द्वारा बड़े तालाब के वेटलैंड और कैचमेंट एरिया के संरक्षण को लेकर दिये गए निर्देश के बाद यह सम्भावना और अधिक मजबूत हो गई है।

बड़े तालाब को हर कीमत पर बचाना है


हाल में विवेक चौधरी की याचिका पर एनजीटी ने एक बड़ा फैसला दिया। फैसले में बड़े तालाब के आसपास 50 मीटर के दायरे में अतिक्रमण खत्म करने का आदेश सुनाया गया है। इस मुकदमे में याचिकाकर्ता विवेक चौधरी पेशे से अधिवक्ता हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिये लगातार काम कर रहे हैं। प्रस्तुत है उनसे बातचीत पर आधारित साक्षात्कार।

.एनजीटी ने बड़े तालाब के आसपास 50 मीटर के दायरे में हर तरह का अतिक्रमण खत्म करने का जो निर्णय दिया है। ठीक यही बात उसने पिछले साल भी कही थी। इस फैसले में नया क्या है?
आपका कहना सही है कि एनजीटी ने गत वर्ष भी यह बात कह दी थी लेकिन वह यह आदेश नहीं था। उस वक्त तक तालाब के पूर्ण जलस्तर (फुल टैंक लेवल या एफटीएल) का निर्धारण नहीं हुआ था। उस वक्त एनजीटी ने कहा था कि एफटीएल का निर्धारण हो जाने के बाद ही निगम हदबन्दी का काम चालू करे। 50 मीटर की सीमा का निर्धारण करने के लिये एफटीएल का निर्धारण आवश्यक था। गत वर्ष वाला आदेश एफटीएल निर्धारण की शर्त के साथ था जो अब हो चुका है।

आपने इस मामले का संज्ञान कैसे लिया?

मैं पर्यावरण के लिये काम करता हूँ। यह भोपाल शहर से जुड़ा एक अहम मुद्दा था इसलिये हमने इसे उठाया। यही वजह है कि मैंने 2013 में इस सम्बन्ध में एक याचिका लगाई। अच्छी बात है कि नगर निगम काम करने के लिये तैयार हो गया है। तो मेरी समझ से बड़े तालाब की बेहतरी की शुरुआत हो रही है।

इस मामले के अलावा किन चीजों पर फोकस कर रहे हैं आप?
बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में जो इनऑर्गेनिक खेती हो रही है उसे बन्द करवाना है। बहुत बड़ी मात्रा में रसायन और कीटनाशक आदि आकर तालाब के पानी में मिल रहे हैं। आधा शहर इस पानी को पीता है। इससे कैंसर जैसी घातक बीमारी पैदा होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। अब हमारा पूरा ध्यान वह हानिकारक खेती बन्द करवाने पर है।

Tags


national green tribunal daily orders in hindi, national green tribunal cause list in hindi, national green tribunal official website in hindi, national green tribunal act in hindi, national green tribunal news in hindi, national green tribunal vacancy in hindi, national green tribunal chairman in hindi, national green tribunal act 2010 hindi pdf, national green tribunal act 2010 bare act in hindi, national green tribunal act 2010 ppt in hindi, salient features of national green tribunal act 2010 in hindi, national water mission in hindi, national green tribunal act 2010 challenged in hindi, national green tribunal act summary in hindi, national green tribunal act 2016 in hindi, national green tribunal act 2010 criticism in hindi, bhopal bada talab history in hindi, bhopal bada talab photos in hindi, chota talab bhopal in hindi, how many lakes in bhopal in hindi, bhopal bada talab video in hindi, bhopal history hindi me in hindi, bhopal tourism in hindi, chota talab bhopal history in hindi, Upper Lake (Bhopal) in Hindi, Bada Talaab Bhopal in hindi, Bada Talaab ('Big Lake') in Hindustani, largest artificial lake in asia in Hindi, major source of potable water to Bhopal in Hindi, Chhota Talaab, meaning small lake in Hindi, constitute Bhoj Wetland, which is now a Ramsar site, Geography of Bhopal Lake in hindi, The watershed of the Upper Lake is mostly rural, Halali River, Kolans River, Bada Talaab now drain into the Kaliasote River in hindi.

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading