धरती मेरी कितनी सुन्दर

28 Apr 2016
0 mins read

धरती साढ़े चार से पाँच अरब साल पुरानी है। इतने समय पहले ही सौरमंडल बना और धरती की उत्पत्ति हुई। धरती का अन्त भी सूर्य से जुड़ा है। जब तक सूर्य है धरती सहित उसके सारे ग्रह उसका चक्कर लगाते रहेंगे। सूर्य के गर्भ में जो नाभिकीय क्रियाएँ चल रही हैं उसी से ऊर्जा उत्पन्न होती है। जब तक यह नाभिकीय ईंधन है सूर्य चलता रहेगा। जब यह समाप्त होगा तो सूर्य का विस्तार होगा और वह रेड जायंट यानी लाल दानव में बदल जाएगा। सूर्य तब इतना फैल जाएगा कि उसकी दायरे में धरती भी आ जाएगी और इसका अन्त हो जाएगा। ऐसा पाँच अरब साल बाद होने की आशंका है।

महात्मा गाँधी ने कहा- धरती सभी मनुष्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरा करने के लिये नहीं। उनकी बातों में ही हमारी धरती की चिन्ता छिपी है। धरती जितनी हमारी है उतने ही हम धरती के हैं। हम बुनियादी तौर पर धरती और प्रकृति पूजक हैं। यह बात और है कि हम जिस आर्थिक युग में जी रहे हैं, वहाँ यह पूजा मद्धिम पड़ गई है। धरती पर चारों ओर से खतरे हैं। जिस धरती की गोद में हम पले-बढ़े उसका ख्याल रखना जरूरी है। यह नहीं भूलना चाहिए कि धरती की खुशहाली के साथ ही हमारा जीवन जुड़ा है। धरती के बारे में जानना-समझना जरूरी है। तभी हम इसकी चिन्ताओं को करीब से देख सकेंगे। इसकी विविधता, इसकी खासियत सब कुछ इतना रोचक है कि हम सहज ही अचम्भे में पड़ जाते हैं।

कितना पानी धरती पर


धरती पर हमारे लिये सबसे अनमोल उपहारों में है पानी। आज पानी का संरक्षण कम और दोहन अधिक मात्रा में हो रहा है। धरती पर जितना पानी है उसका 97.4 प्रतिशत हिस्सा समुद्रों में है। यह खारा है इसलिये पीने लायक नहीं है। 1.81 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ध्रुवों पर मौजूद है। बाकी 0.8 प्रतिशत पानी नदियों-तालाबों में है। पानी के गहराते संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2005-15 के दशक को जल दशक घोषित किया।

क्या है धरती का भीतर


धरती के नीचे प्रति 32 फीट पर एक डिग्री तापमान बढ़ जाता है। धरती की ऊपरी परत भूपर्पटी कहलाती है। यह ठोस है। बीच का भाग मैटल कहलाता है, जो गाढ़े तरल के रूप में हैं। इसके बाद क्रोड है जो तरल अवस्था में है। क्रोड का आन्तरिक भाग ठोस अवस्था में है। भूपर्पटी 35 किलोमीटर तक है। 35 से 2890 किलोमीटर का हिस्सा मैटल है । इसके बाद 6360 किलोमीटर तक का हिस्सा क्रोड के रूप में है।

अंटार्कटिका में होते हैं केवल दो मौसम


धरती पर अंटार्कटिका ही केवल ऐसी जगह है जहाँ केवल दो मौसम होता है। सर्दी और गर्मी। सर्दी के दिनों में छह मौसम तक यहाँ अंधेरा रहता है और गर्मियों में छह महीने तक दिन का उजाला।

जापान में सबसे पहले सूर्योदय, हवाई में सबसे आखिर में सूर्यास्त


जापान धरती के पूर्वी छोर पर बसा हुआ है, इसलिये सूर्योदय भी सबसे पहले यहीं होता है। जापान का नाम ही चीनी भाषा के जिप्पन से पड़ा है जिसका अर्थ है-सूर्य का स्रोत। हालांकि सूर्य की सबसे पहली किरण न्यूजीलैंड के 5748 फीट ऊँचे माउंट हिकुरांगी पर पड़ती है। सबसे अन्त में सूर्यास्त समोआ और विशई द्वीप पर होता है। दोनों द्वीप प्रशान्त महासागर में पड़ते हैं। समोआ कभी न्यूजीलैंड के अधीन था। आज यह स्वतंत्र है जबकि हवाई द्वीप पर अमेरिका का अधिकार है। सबसे बड़ी रात, सबसे बड़ा दिन धरती पर सबसे बड़ी रात 21 दिसम्बर को होती है जबकि सबसे बड़ा दिन 21 जून को। 21 दिसम्बर को दिन 10 घंटे 40 मिनट का होता है जबकि रात 13 घंटे 20 मिनट की। 21 जून को स्थिति उलट हो जाती है। इसी तरह 21 मार्च और 23 सितम्बर को दिन-रात बराबर होते हैं। इस दिन सूर्य की किरणें धरती के बीचों-बीच स्थित विषुवत रेखा पर सीधी पड़ती है।

दो गतियाँ घूर्णन और परिभ्रमण


दूसरे ग्रहों की तरह धरती की भी दो गतियाँ हैं। एक को घूर्णन और दूसरे को परिभ्रमण कहते हैं। धरती अपने अक्ष पर लगातार घूमती रहती है। करीब 24 घंटे में यह एक चक्कर पूरा करती है। इस गति को घूर्णन कहते हैं। इसी तरह धरती सूर्य की परिक्रमा 365 दिन और छह घंटे में पूरी करती है। इस गति को परिभ्रमण कहते हैं। साल 365 दिनों का ही माना जाता है। बचे छह घंटे को चार साल तक जोड़कर हर चौथा साल 366 दिन का होता है जिसे लीप ईयर कहते हैं। अपने अक्ष पर धरती 23 डिग्री झुकी है।

साढ़े चार अरब साल पुरानी है धरती


भू-वैज्ञानिकों के अनुसार धरती साढ़े चार से पाँच अरब साल पुरानी है। इतने समय पहले ही सौरमंडल बना और धरती की उत्पत्ति हुई। धरती का अन्त भी सूर्य से जुड़ा है। जब तक सूर्य है धरती सहित उसके सारे ग्रह उसका चक्कर लगाते रहेंगे। सूर्य के गर्भ में जो नाभिकीय क्रियाएँ चल रही हैं उसी से ऊर्जा उत्पन्न होती है। जब तक यह नाभिकीय ईंधन है सूर्य चलता रहेगा। जब यह समाप्त होगा तो सूर्य का विस्तार होगा और वह रेड जायंट यानी लाल दानव में बदल जाएगा। सूर्य तब इतना फैल जाएगा कि उसकी दायरे में धरती भी आ जाएगी और इसका अन्त हो जाएगा। ऐसा पाँच अरब साल बाद होने की आशंका है।

केवल 9.4 प्रतिशत हिस्से में है वन


धरती के 71 प्रतिशत हिस्से में सागर का फैलाव है, जबकि 29 प्रतिशत हिस्से में भूमि का। वनों का कुल प्रतिशत पूरे क्षेत्रफल के आधार पर देखें तो 9.4 प्रतिशत है। कुल भूमि क्षेत्र के आधार पर यह प्रतिशत 30 है। कभी ये वन कुल भूमि क्षेत्र के 50 प्रतिशत हिस्से में फैले हुए थे। हमारे देश के 19 प्रतिशत हिस्से में जंगल है। अमेजन धरती का सबसे बड़ा जंगल है, जिसका अधिकांश हिस्सा ब्राजील में पड़ता है। हालांकि पूरा क्षेत्र नौ देशों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र को विश्व का फेफड़ा कहा जाता है। भारत के साढ़े 23 प्रतिशत हिस्से में वन है। वैज्ञानिकों के अनुसार वनों का प्रतिशत कम-से-कम 33 होना चाहिए।

धरती को लेकर प्रसिद्ध विचार


1. ये मत भूलो कि धरती तुम्हारे पैरों को महसूस करके खुश होती है और हवा तुम्हारे बालों से खेलना चाहती है... - खलील जिब्रान

2. तुम धरती से जो लेते हो, उसे वापस कर देना चाहिए। यही प्रकृति का तरीका है... - क्रिस डे लेसी

3. मैं धरती देख रहा हूँ। ये बहुत खूबसूरत है... -यूरी गागरिन

4. बिना धरती के मानव जाति घर के बिना मानवता के समान है... - एसजी रेनबोल्ट

5. धरती एक कैनवास है और ईश्वर कलाकार... एमी बी

6. यदि आप खुद को ईश्वर की प्रेम की याद दिलाना चाहते हैं तो बस सूर्योदय देख लीजिए... - जीनेट वाल्स

7. फिर से बसन्त आ गया है, धरती उस बच्चे की तरह है जिसे कविताएँ अच्छी तरह याद हैं... - रेनर मारिया रिल्के

8. हम इतने अभिमानी कैसे हो सकते हैं। यह ग्रह हमेशा से हमसे अधिक शक्तिशाली था, है और रहेगा। हम इसे नष्ट नहीं कर सकते। यदि हम अपनी सीमा लाँघते हैं तो यह धरती बस हमें अपनी सतह से मिटा देगी और खुद जीवित रहेगी। जबकि लोग मुझसे कहते हैं कि वे जिम ज्वाइन नहीं कर पा रहे। मैं कहता हूँ-बाहर निकलें। धरती खुद एक जिम है और पहले से ही इसके सदस्य हैं। दौड़ो, कूदो, पसीना बहाओ और तुम्हारे पास जो प्राकृतिक सम्पदा है उसका आनन्द उठाओ... - स्टीव मराबोली

9. हम ऐसे बिन्दु पर पहुँच रहे हैं जहाँ हमने धरती पर जो बोझ रखा है यदि उसे खुद नहीं हटाते तो धरती को उसे खुद हटाना होगा... - स्टीवन एमग्रीयर

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading