गंगा का दर्द

भारत को ज्ञान दृष्टि देने वाला देश माना जाता है अवतारों का देश, तीर्थों का देश ऋष-मुनियों का देश, देवों का देश, धर्म पर चलने वाले लोगों का देश और गंगा इसी भारत भूमि की प्राणदात्री शक्ति है, पुण्य देने वाली गंगा जिन्हें महाराज भगीरथ और उनकी पांच पीढ़ियों ने घोर तपस्या करके साठ हजार पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित किया जिसके वेग को मानव तो क्या देवता भी नहीं सहन कर सकते थे।सृष्टि के कल्याणकारी देव महादेव ने अपने जटाओं में गंगा को धारण कर हिमालय के गोद में उतारा ताकि आने वाली मनु संतति भी जीवन से लेकर मोक्ष तक की यात्रा निर्बाध रूप से कर सके लेकिन आज मानव जाति उसी मोक्ष दायिनी गंगा का अस्तित्व समाप्त करने में लगे हैं।

गंगा का दर्द, भाग -2



साल दर साल दर्जनों पनबिजली परियाजनाओं के निर्माण से क्या गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में है? यह लाख टके का सवाल उत्तराखंड सरकार के गले की हड्डी बन गया है। दरअसल राज्य के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरणविद् 'भागीरथी बचाओ' अभियान चला रहे हैं और इस नदी पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। उत्तराखंड देश के सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में शामिल है। राज्य सरकार आने वाले तीन से दस साल में पनबिजली परियोजना के जरिए 25,000 से 30,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बना रही है। उल्लेखनीय है कि इस पहाड़ी राज्य में बिजली कारोबार के लिए रिलायंस एनर्जी, जीवीके, जीएमआर, एनएचपीसी, टीएचडीसी और एनटीपीसी जैसी बड़ी कंपनियां होड़ में हैं। लेकिन राज्य में बांधों को लेकर वातावरण सही नहीं है। राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले से लेकर गढ़वाल में चमोली तक, जितनी भी नई परियोजनाएं बनी हैं, उससे हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा।

गंगा का दर्द, भाग -3



अब कुम्भ मेले के दौरान श्रद्धालुओं को मां गंगा के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त नहीं होगा। गंगा नदी पर जारी बांध परियोजना व प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण इसके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है। तथा इसकी सुरक्षा के लिए गंगा घाटी बेसिन प्राधिकरण बनाकर सदस्यों की नियुक्ति की गयी है। परंतु यह कमेटी पूरी तरह असफल साबित हो रही है। राष्ट्रीय नदी होने के बावजूद गंगा का संरक्षण राज्य सरकारों के भरोसे चल रहा है। केन्द्र सरकार को इसे अपने हाथों में लेकर सुरक्षा के प्रबंध करने होंगे। गंगा को राष्ट्रीय नदी के साथ राष्ट्रीय सम्पत्ति भी घोषित कर बचाने के प्रयास करने चाहिए। आज भी गंगा में पॉलिथिन के साथ कई टन कुडा-करकट सीधे बहाया जा रहा है। गंगा अपनी स्थिति पर विलाप कर रही है।

गंगा का दर्द, भाग -4



गंगा नदी पर निर्माणाधीन बांध कई शहरों और गांवों के लिए मौत की घंटी भी साबित हुए हैं। पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाएं नदी को खा जाएंगी। इन परियोजनाओं के तहत जो सुरंगें बनने वाली हैं, उनसे यहां की स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। उत्तराखंड की पहाड़ियों में बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं और वे यहां बनने वाले बांधों को लेकर काफी सहमे हुए हैं। अगर यहां निर्माण कार्य शुरू हो जाता है तो वे बेघर हो जाएंगे। गंगा की इस दशा को ऐसा लगता है कि गंगा या तो एकदम सूख ही जाएगी या तो महाप्रलय लेकर आएगी जिससे लाखों लोग बेघर हो जाएंगे। मां गंगा पर आधारित एक गीत इस वीडियो में प्रस्तुत किया गया है।

गंगा का दर्द, भाग -5



भारतवासियों अगर आप गंगा के इस दुर्दशा से आहत हैं, तो जागिए बढ़ चलिए गंगा की ओर आपके द्वारा उठाए गए एक-एक कदम गंगा को जीवनदान देंगे और गंगा जीवित रही तो आपको आपकी संतति को, राष्ट्र को जीवनदान देगी। आज आपके राष्ट्र की प्राणशक्ति आपसे प्राण बचाने की मुहिम चलाने का आह्वान कर रही है और इसमें सम्मिलित होकर आप पुण्यदायिनी गंगा के साथ पुण्य की भागीदारी करें।
जय मां गंगे, हर-हर गंगे।

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