गंगा के अविरल प्रवाह को लेकर फिर तप शुरू

10 Feb 2012
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हरिद्वार मातृ सदन में गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने को लेकर बिना अन्न, फल के तपस्या पर बैठे जीडी अग्रवाल
हरिद्वार मातृ सदन में गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने को लेकर बिना अन्न, फल के तपस्या पर बैठे जीडी अग्रवाल
देहरादून (ब्यूरो)। प्रमूख पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) ने गंगा को अविरल प्रवाहित होने देने व इसे राष्ट्रीय प्रतीक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय प्रतीक के बतौर राष्ट्रीय नदी का पूर्ण सम्मान दिलाने की मांग को लेकर अपनी नए किस्म की तपस्या शुरू कर दी है। प्रो. जीडी अग्रवाल आज हरिद्वार के मातृसदन में तपस्या में बैठ गए। इसके तहत उन्होंने घोषणा की कि वे इस मांग के पूर्ण न होने तक एक माह तक नींबू पानी व शहद लेकर तपस्या जारी रहेगी।

इस दौरान भी यदि मांग पूरी न हुई तो वे काशी जाकर अपनी निर्जल तपस्या शुरू कर अपने प्राण त्याग देंगे। इसके बाद भी यदि मांग पूरी न हुई तो उनके चार और साथी लाटरी डालकर एक-एक कर उनका अनुसरण कर अपने प्राणों का बलिदान देने में नहीं हिचकेंगे। इस मौके पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी गंगा के प्रति आस्था जताकर इन मांगों पर देश की स्पीकर सुश्री मीरा कुमार से 8 फरवरी यानि दिल्ली में भेंट की कोशिश का हवाला दिया। उनका कहना था कि मीरा कुमार से उन्हें नहीं मिलने दिया गया जिससे हतास उन्होंने संसद भवन के समक्ष ही अपना आंदोलन शुरू करना चाहा।

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