गंगा के लिए आमरण

6 Feb 2009
0 mins read
प्रो. गुरुदास अग्रवाल
प्रो. गुरुदास अग्रवाल

-हरपाल सिंह


6 फरवरी 2009/ आमरण अनशन का आज 24 वां दिन है।

गंगा हमारे देश की पवित्रतम् नदी है। उसी के इर्द-गिर्द हमारी संस्कृति और सभ्यता फूली-फली। पर भौतिकवादी सोच के चलते हमारे देश के योजनाकार गंगा के अस्तित्व को ही समाप्त कर देना चाहते हैं। बांधों की अतंहीन शृंखला में गंगा कहीं गुम सी हो गई है। अकेले भागीरथी पर 10 बांध है। इन बांधों से गंगा का नैसर्गिक प्रवाह पूरी तरह रुक गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबलवार्मिंग के चलते गर्म होते तापमान से हिमालय के पिघलने का खतरा बढ़ा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सुरक्षा का प्रतीक हिमालय पूरी तरह 2030 तक पिघल जायेगा।

इन्हीं खतरो को भांपकर देश के जाने माने पर्यावरणविद प्रो. गुरुदास अग्रवाल ने पिछले साल 13 जून को उत्तर काशी के मणिकर्णिका घाट पर अपना आमरण अनशन प्रारम्भ किया था। इसके परिणाम स्वरूप 19 जून 2008 को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा दो परियोजनाओं भैरव घाटी (381 मेगावाट) तथा पाला मेनेरी (480 मेगावाट) पर तत्काल प्रभाव से काम रोक दिया। पर गंगा रक्षा की लड़ाई पूरी नहीं हुई थी।

इसी बात को समझते हुए गुरुदास अग्रवाल बीते 23 जनवरी से दिल्ली में फिर अनशन पर बैठ गए। उनकी प्रमुख मांग यह है कि एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही परियोजना लोहारी नागपाला (600 मेगावाट) का काम तत्काल प्रभाव से रोका जाए। जब 30 जून 2008 को जीडी ने अपना अनशन तोड़ा था तो उस वक्त केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने तीन महीने के अन्दर एक्सपर्ट ग्रुप बनाकर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था।

उस वक्त अशोक सिंघल, स्वामी हंसदास, मदनलाल खुराना, पंकज सिंह, बाबा रामदेव (संयोजक, गंगा रक्षक मंच) और स्वामी चिदानंद ने अनशन समाप्त करने का आग्रह इस वायदे के साथ किया था कि वे जी.डी. की मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे। पिछले छ: महीनों में इन्होंने अपने वायदे के अनुसार क्या किया, यह इन लोगों से पूछे जाने की जरूरत है।

30 जून, 2008 को अनशन समाप्त होने के बाद एक जांच कमेटी बनायी गयी। उस कमेटी में स्वामी हंसदास की ओर से पारितोष त्यागी और स्वरुपानन्द सरस्वती जी महाराज की ओर से राजेन्द्र सिंह नामित किये गये। उस कमेटी में प्रो. गुरुदास अग्रवाल का भी नाम था और अब भी है। लेकिन अपने नाम के ऊपर आपत्ति गुरुदास अग्रवाल ने पत्र के माध्यम से दर्ज करा दी। फिर भी उनका नाम नहीं हटाया गया। प्रो. अग्रवाल उस जांच कमेटी के गठन पर ही सवालिया निशान खड़ा कर रहे थे। उनका संदेह सही साबित हुआ।

लगभग 6 महीने के बाद 11-12 जनवरी 09 को जांच दल बांधों का निरीक्षण करने पहुंचा। उस समय बांधो के बंधे जल का प्रवाह जानबूझ कर बढ़ा दिया गया ताकि रिपोर्ट अपने मनमाफिक बनायी जा सके। जांच दल को काफी स्थानिक विरोध का सामना करना पड़ा। स्थानीय भुक्तभोगियों का कहना था कि पहाड़ों में सुरंगों के चलते धंस रहे गांवो को भी आप देखो। जांच दल ने अपनी ओर से नामित सदस्यों के तर्कों से सहमत होने के बाद भी रिपोर्ट का जो खाका खींचा है, वह आश्चर्य जनक है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा में पर्याप्त मात्रा में जल आ रहा है। रपट कहती है कि बांधों से कोई भी नुकसान नहीं है। वास्तव में जांच कमेटी की रिपोर्ट झूठ का पुलिन्दा है। इससे सरकार की मंशा पर ही सवालिया निशान खड़ा होता है। इस जांच दल की रिपोर्ट में नामित सदस्यों में पारितोष त्यागी, राजेन्द्र सिंह और रवि चोपड़ा के तर्को को अभी तक शामिल नहीं किया गया। जिसकी वजह से राजेन्द्र सिंह और आर. एन. सिंह ने इस्तीफा दे दिया। उल्लेखनीय है कि आर. एन. सिंह सरकार की ओर से नामित सदस्य थे। उनका कहना था कि 20 क्यूसेक प्रवाह होना चाहिए। वे 16 क्यूसेक तक प्रवाह भी स्वीकार करने को तैयार थे लेकिन उनकी भी नहीं सुनी गयी और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

केन्द्र सरकार की ओर से 4 नवम्बर 2008 को गंगा को राष्ट्रीय नदी बनाने की घोषणा प्रधानमंत्री ने की। पर अभी तक राष्ट्रीय प्रतीक अधिनियम के अन्तर्गत कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है। इन सभी शंकाओं से परिचित होकर ही प्रो. गुरुदास अग्रवाल ने दिनांक 14 जनवरी 2009 से अपना आमरण अनशन दिल्ली के हिन्दू महासभा भवन में प्रारम्भ कर दिया है।

प्रो. अग्रवाल की मांग बस इतनी ही है कि गोमुख से उत्तर काशी तक गंगा का नैसर्गिक प्रवाह रहने दिया जाए। ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को गंगा मईया का नैसार्गिक प्रवाह दिखा सकें। उनका कहना है कि मेरी मांग गोमुख से उत्तर काशी की है, लेकिन गोमुख से गंगासागर तक गंगा का प्राकृतिक प्रवाह बना रहे तो सबके लिए बहुत अच्छा होगा।

प्रो. अग्रवाल देश के जाने-माने पर्यावरणविद् होने के नाते अपना कर्तव्य समझकर यह संकल्प दुहराते हैं कि मैं अपने जीते जी यह नहीं देख सकता कि पूरे भारत की आस्था की नदी, जो कि 65 करोड़ लोगों की आजीविका का साधन है, वह नदी अपने लिए जल को तरसे। आज जरूरत इस बात की है कि प्रो. अग्रवाल के इस पुनीत संकल्प में हम सब अपने-अपने स्तर पर कुछ ना कुछ सहयोग करें।

साभार –भारतीय पक्ष

Tags - The report on ganga information in hindi, in sufficient amount of water in the Ganges information in hindi, the report of the inquiry committee information in hindi, the National River Ganga information in hindi, the national symbol Act information in hindi, PRO. Gurudas Agrawal information in hindi, Gomuk information in hindi, Uttarkashi information in hindi, India's river of faith information in hindi,
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading