गंगा में गिर रहा कितना सीवेज, किसी को नहीं पता

26 Dec 2018
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गंगा में गिरता नाला
गंगा में गिरता नाला


नमामि गंगे के तहत ‘क्लीन गंगा’ की तमाम योजनाएँ जिस सीवेज आकलन पर टिकी हैं वही सवालों के घेरे में हैं। जी हाँ, गंगा में कितना सीवेज यानी प्रदूषित तरल गिर रहा है, इसकी पुख्ता जानकारी किसी को नहीं है।

नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा किनारे बसे तमाम शहरों से उत्सर्जित महज 3,500 एमएलडी सीवेज को उपचारित कर मार्च, 2019 तक गंगा को निर्मल करने का सपना देखा जा रहा है। वहीं, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड व पश्चिम बंगाल से होकर गुजर रही 2,525 किलोमीटर गंगा में एनविस इण्डिया रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 15,435 एमएलडी सीवेज पहुँच रहा है। केन्द्र सरकार की दूसरी संस्था केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2014 में 8,250 एमएलडी सीवेज का आकलन किया था। वहीं, सेन्टर ऑफ साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा जारी रिपोर्ट में 6,070 एमएलडी सीवेज जनित होने की बात कही गई है।

अलग-अलग संस्थाओं द्वारा किए जा रहे दावों के अनुसार गंगा में पहुँच रहे कुल सीवेज की असल तस्वीर साफ नहीं हो रही है। ऐसे में क्लीन गंगा मिशन की पूरी योजना ही सवालों के घेरे में है। वास्तविकता यह है कि मौजूदा प्रयासों से बमुश्किल 20 फीसद सीवेज को ही उपचारित करना सम्भव हो पाएगा। कारण, सरकारी योजनाओं में सीवेज उत्सर्जन का सटीक आकलन न होने से शोधन के पर्याप्त व पुख्ता इन्तजाम ही नहीं हो सके हैं। इससे भारी मात्रा में गैर उपचारित सीवेज गंगा में फिलहाल निरन्तर सीधे गिरता रहेगा।

सीवेज में भूजल आकलन की अनदेखी बनेगी बड़ी चूक

जल निगम के मुख्य अभियन्ता एके जिन्दल कहते हैं कि सीवेज उत्सर्जन का आकलन करने के लिये पेयजल आपूर्ति को आधार बनाया जाता है। शहरी सीवेज के आकलन में अमूमन प्रति व्यक्ति पेयजल आपूर्ति के 75 से 80 फीसद हिस्से को लिया जाता है। लेकिन ज्यादातर शहरों में प्रमुख रूप से जलापूर्ति भूजल पर आधारित है। निजी आवासीय योजनाओं, होटलों व प्राइवेट अस्पतालों में पानी की माँग तो पूरी तरह से भूजल पर ही निर्भर होती है, जिसकी गणना ही नहीं की जाती है। ऐसे में कुल जनित सीवेज के आकलन में भूजल की अनदेखी से सीवेज का सही आकलन नहीं हो पा रहा है।

गाँवों में सीवेज निस्तारण के बुरे हाल

स्वच्छता मिशन की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के 70 फीसद, बिहार व उत्तराखण्ड के 60 फीसद तथा उत्तर प्रदेश के नौ फीसद गाँवों में सीवेज निस्तारण की कोई व्यवस्था ही नहीं है। उत्तर प्रदेश में 58 फीसद गाँवों में सीवेज तालाबों में निस्तारित होता है।

कैसे क्लीन होगी गंगा

1. अलग-अलग आकलन से साफ नहीं स्थिति
2. सरकारी योजनाओं में सीवेज उत्सर्जन का सटीक आकलन उपलब्ध नहीं
3. इसके चलते शोधन के पर्याप्त व पुख्ता इन्तजाम नहीं हो सके हैं।

 

शहरी सीवेज बेहिसाब निपटने की तैयारी कोसों दूर

राज्य

कुल जनित शहरी सीवेज

सीवेज शोधन की विकसित क्षमता

उत्तराखण्ड

495

153(30%)

उत्तर प्रदेश

7124

2646 (37.14%)

बिहार

1879

124 (6.6%

झारखण्ड

1270

117 (9.2%)

पश्चिम बंगाल

4667

416 (8.9%)

कुल

15435

3456(22%)

आंकड़े मिलियन लीटर प्रतिदिन

 

 

गंगा बेसिन में सीवेज उत्सर्जन व उपचार क्षमता में बढ़ता अन्तर

सीवेज

1985

2009

2012

2014

2018

जनित सीवेज

1340

2638

2723

8250

15435

उपचार क्षमता

 

1174

1208

3500

3458

गैर शोधित सीवेज

 

1464

1515

4750

11977

आंकड़े एमएलडी में

 

 

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