गोल्डमैन प्राइज - महिलाओं ने रचा इतिहास

30 Apr 2018
0 mins read
माकोमा लेकालाकाला
माकोमा लेकालाकाला


माकोमा लेकालाकाला (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)यह साल गोल्डमैन अवार्ड के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। वजह है अवार्ड को पाने वाले कुल सात लोगों में छह महिलाओं का शामिल होना। ऐसा पहली बार हुआ जब एक साथ छह महिलाओं ने अवार्ड पर दावेदारी कायम की। अवार्ड सेरेमनी का गवाह बना सैन फ्रांसिस्को का ओपेरा हाउस।

अवार्ड पाने वाली महिलाओं में साउथ अफ्रीका की एंटी न्यूक्लियर एक्टिविस्ट्स माकोमा लेकालाकाला और लिज मैकडाइड, वियतनाम से सरोकार रखने वाली क्लीन एनर्जी की पैरोकार कान् नुई ची, अमेरिका की क्लीन वाटर डिफेंडर ली ऐनी वाल्टर्स, कोलंबिया की फ्रांसिया मार्क्वेज और फ्रांस की मरीन लाइफ चैम्पियन क्लैरी नोवियन शामिल हैं। एंटी-लेड कैंपेनर, फिलीपींस के मैनी कालोंजो इस साल अवार्ड पाने वाले एक मात्र पुरुष हैं।

गोल्डमैन एनवायरनमेंट अवार्ड, हर वर्ष पर्यावरण संरक्षण के लिये जमीनी स्तर कार्य करने वाले पर्यावरणविदों को दिया जाता है। पर्यावरणीय सरोकारों के लिये दिया जाने वाला यह विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इसकी महत्ता को देखते हुए इसे ‘ग्रीन नोबेल’ की भी संज्ञा दी जाती है। हर वर्ष इस पुरस्कार के लिये पूरे विश्व से छह लोगों का चयन किया जाता है। लोगों के चयन के लिये भौगोलिक क्षेत्र विभाजन के आधार पर किया जाता है। इसमें एशिया, यूरोप, अफ्रीका, नार्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, सेंट्रल अमेरिका के अतिरिक्त प्रायद्विपीय देशों को शामिल किया जाता है।

इस अवार्ड की शुरुआत 1990 में सामाजिक सरोकारों से नाता रखने वाले रिचर्ड एन गोल्डमैन और उनकी पत्नी रहोडा एच गोल्डमैन ने किया था। इसके तहत पुरस्कार पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 175,000 अमेरिकी डॉलर प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार का संचालन गोल्डमैन एनवायरनमेंट फाउंडेशन नामक संस्था द्वारा किया जाता है जिसका हेडक्वाटर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में है।

फ्रांसिया मार्क्वेजफ्रांसिया मार्क्वेज (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)अब बात करतें है कोलंबिया से ताल्लुक रखने वाली कम्युनिटी लीडर फ्रांसिया मार्क्वेज की। 35 वर्षीया मार्क्वेज कानून की विद्यार्थी होने के साथ ही दो बच्चों की माँ भी है। पर्यावरण से इनका लगाव काफी पुराना है। जब वो सिर्फ 13 वर्ष की थीं तभी इन्होंने अपने देश में एक पनबिजली परियोजना के खिलाफ चलाए जा रहे आन्दोलन में हिस्सा लिया था।

काफी युवा काल से ही पर्यावरणीय मुद्दों से सरोकार रखने वाली मार्क्वेज को गोल्डमैन एनवायरनमेंट अवार्ड अवैध रूप से हो रहे खनन कार्य से नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण के खिलाफ सफल आन्दोलन चलाने के लिये दिया गया। मार्क्वेज ने अपने प्रयास से अवैध खनन के खिलाफ एक सामुदायिक मूवमेंट खड़ा किया। इन्होंने 80 महिलाओं के समूह के साथ दस दिनों में आमेजन से बोगोटा तक, 350 मील की यात्रा की और देश की सरकार को अवैध रूप से हो रहे खनन कार्यों के खिलाफ एक्शन लेने को मजबूर किया। इनके इस प्रयास से सरकार ने तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी खनन कार्यों पर रोक लगा दिया। मार्क्वेज के अनुसार इस मुकाम तक उनके पहुँचने का रास्ता बिल्कुल आसान नहीं था। उन्हें कई बार डराया गया और आन्दोलन वापस लेने के लिये दबाव डाला गया।

पुरस्कार पाने के बाद दिये गए इंटरव्यू में उन्होंने आन्दोलन के दौरान आई परेशानियों के बारे में बताया। उन्हें भी मिलिशिया और अन्य गैरकानूनी संगठनों से कई बार जान से मारने की धमकी तक मिली लेकिन वे लड़ती रहीं और अन्ततः सफलता मिली। उन्होंने कहा कि पुरस्कार में मिली राशि का इस्तेमाल वो ऐसे आर्थिक और राजनीतिक सरोकारों में करेंगी जिनमें जीवन्तता हो और आने वाली पीढ़ियों के लिये सकारात्मक सोच रखती हो न कि पारिस्थितिकी के विनाश की पक्षधर हों। आपको बताते चलें कि गोल्डमैन अवार्ड से नवाजे गए कई लोगों को अवैध कार्यों के खिलाफ आन्दोलन खड़ा करने के एवज में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसलिये हमें मार्क्वेज के हौसले को सलाम करना चाहिए।

माकोमा लेकालाकाला और लिज मैकडाइडमाकोमा लेकालाकाला और लिज मैकडाइड (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)साउथ अफ्रीका की एंटी न्यूक्लियर एक्टिविस्ट्स माकोमा लेकालाकाला और लिज मैकडाइड चर्चा के बगैर गोल्डमैन अवार्ड 2018 की कहानी फिकी रह जाएगी। इन दोनों ही महिलाओं के साहस की दाद देनी पड़ेगी जिन्होंने अपने दम पर दक्षिण अफ्रीका की सरकार द्वारा रूस से खरीदे जा रहे 10 न्यूक्लियर पावर स्टेशन सम्बन्धी करार को खारिज कराने में सफलता पाई।

इस करार की कुल अनुमानित लागत 76 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। इन महिलाओं के लिये यह लड़ाई कतई आसान नहीं थी क्योंकि इनका सामना विश्व के दो बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ था। इस न्यूक्लियर पावर स्टेशन डील को खारिज कराने के लिये इन्होंने साउथ अफ्रीका के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहाँ लम्बी लड़ाई चली।

सरकार की तमाम दलीलों को खारिज करते हुए मुकदमा दायर होने के पाँचवें वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने इस करार को निरस्त कर दिया। मुकदमे को खारिज करने के पक्ष में अदालत की दलील थी कि सरकार ने डील करते वक्त देश के पार्लियामेंट को विश्वास में नहीं लिया। इस करार का निरस्त होना दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष जैकब जुमा और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के लिये के झटके से कम नहीं था।

कोर्ट के फैसले के बाद साउथ अफ्रीका में जैकब जुमा के खिलाफ एक सामाजिक आन्दोलन खड़ा हुआ जो उनके पतन के लिये जिम्मेवार कारणों में से एक था।

कान् नुई चीकान् नुई ची (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)वियतनाम से सरोकार रखने वाली क्लीन-एनर्जी की पैरोकार कान् नुई ची ने अपनी संस्था ‘ग्रीन इनोवेशन एंड डेवलपमेंट सेंटर’(ग्रीन आईडी) द्वारा चलाए गए अभियान के माध्यम से सरकार की ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने सम्बन्धी योजना को वापस लेने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने ऐसा इसलिये किया कि योजना कोयला और परमाणु आधारित संयंत्रों के विकास से जुड़ी थी जो देश में प्रदूषण बढ़ने का कारण बनती। चूँकि उनका बचपन एक कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्र के समीप बीता था इसलिये इससे होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की जानकारी शैशव काल से ही थी।

वियतनाम की सरकार ने 2030 तक कोयला संयंत्रों के माध्यम से 75,0000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा करने के लक्ष्य रखा था। इसे हासिल करने के लिये सरकार का देश में बड़े पैमाने पर कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्र लगाने का प्लान था। परन्तु कान् नुई ची इस योजना कार्यान्वयन से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय नुकसान से भलीभाँति परिचित थीं और इसका पुरजोर विरोध किया। उन्होंने इसके खिलाफ मुहिम छेड़ी जिसमें वहाँ के लोगों सहित मीडिया का भी भरपूर साथ मिला। अन्ततः सरकार को इस प्लान को वापस लेने के लिये मजबूर होना पड़ा।

सरकार ने कान् नुई ची की सलाह पर प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और गोबर गैस के सहारे भविष्य में ऊर्जा की बढ़ती माँगों को पूरा करने का निर्णय लिया। सरकार द्वारा जारी आँकड़े के मुताबिक ऊर्जा के इन स्रोतों से 2030 तक वहाँ की माँग का 21 प्रतिशत हिस्सा मिल सकेगा।

क्लैरी नोवियनक्लैरी नोवियन (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)फ्रांस की मरीन लाइफ चैम्पियन क्लैरी नोवियन ने समुद्र की गहराई से समुद्री मछलियों को निकालकर उनका व्यापार करने वाली कम्पनियों के खिलाफ अभियान छेड़ा था। इस अभियान के पीछे इनका तर्क था कि गहरे में रहने वाले जीव जन्तुओं के लगातार शिकार से मरीन इकोलॉजी को काफी नुकसान पहुँचता है। इन्हीं के प्रयास से समुद्री उत्पादों का व्यापार करने वाली फ्रांस की सबसे बड़ी कम्पनी इंटरमार्चे पर समुद्र की गहराई से मछलियों को निकालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

ली ऐनी वाल्टर्सली ऐनी वाल्टर्स (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)अमेरिका की क्लीन वाटर डिफेंडर ली ऐनी वाल्टर्स को गोल्डमैन अवार्ड, मिशिगन प्रान्त की फ्लिंट नदी से हो रहे प्रदूषित पानी की सप्लाई को बन्द कराने के लिये दिया गया। इनके इस प्रयास से फ्लिंट शहर के निवासियों को गन्दे पानी से छुटकारा मिला जिसमें लेड की मात्रा काफी अधिक थी।

मैनी कालोंजोमैनी कालोंजो (फोटो साभार - गोल्डमैन प्राइज)एंटी-लेड कैंपेनर, फिलीपींस के मैनी कालोंजो इस साल अवार्ड पाने वाले एक मात्र पुरुष हैं। इनके प्रयास से पूरे फिलीपींस में लेड फ्री पेंट की बिक्री होती है। वहाँ की शासन ने लेड रहित पेंट के इस्तेमाल को प्रतिबन्धित कर दिया है। सरकार द्वारा जारी आँकड़े के मुताबिक 2017 तक फिलीपींस का 85 प्रतिशत पेंट उद्योग लेड फ्री हो चुका था।

 

 

 

TAGS

Makoma Lekalakala and Liz McDaid,Khanh Nguy Thi,Claire Nouvian,LeeAnne Walters,Francia Marquez,Manny Calonzo, Goldman environment award.

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading