ग्रीन जॉब क्या होता है और बिगड़ते पर्यावरण को बचाने के लिए क्यों है ग्रीन स्टार्टअप की जरूरत

12 Jun 2022
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ग्रीन जॉब क्या होता है फोटो - indiawaterportal flicker
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विश्व पर्यावरण दिवस की यात्रा ने 50 साल लंबा सफर तय कर लिया है। 1972 में स्टॉकहोम से ‘ऑनली वन अर्थ' की जिस थीम से इसकी शुरुआत हुई थी‚ उसे इस साल फिर दोहराया जा रहा है। दुनिया भर में पर्यावरणीय मुद्दों पर बहस से लेकर उसे सस्टेनेबल डवलपमेंट की शक्ल देने में युवा आगे आए हैं। ऐसे में विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी के रूप में भारत की भूमिका और अहम हो जाती है। पर्यावरण संरक्षण के लिए क्लीन एनर्जी‚ जीरो बजट फार्मिंग‚ गैस बेस्ड इकॉनमी‚ वेस्ट मैनेजमेंट‚ वेस्ट टू एनर्जी‚ वाटर रिसाइकलिंग और ग्रीन मोबिलिटी जैसे इनोवेशन के साथ भारत कदमताल कर रहा है। जाहिर है कि इसके लिए हमें इंडस्ट्री की डिमांड के मुताबिक स्किल्ड ह्यूमन रिसोर्स तैयार करना होगा अन्यथा पर्यावरणीय समाधान के साथ हम ग्रीन इकॉनमी के लक्ष्यों को हासिल करने में पीछे रह जाएंगे। 

धरती को बचाने के प्रयासों में रोजगार 

ग्लोबल ग्रीन स्किल रिपोर्ट‚ 2022 के अनुसार वर्कफोर्स में ग्रीन टैलेंट की हिस्सेदारी 2015 से अब तक 38 प्रतिशत बढ़ी है। अमेरिका में ग्रीन जॉब में 237 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि ऑयल एंड गैस सेक्टर में महज 19 फीसदी की वृद्धि हुई है। द वर्ल्ड़ इकॉनमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की ग्रीन इकॉनमी 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगी। डब्ल्यूईएफ के मुताबिक 2070 तक जीरो कार्बन इमिशन के लक्ष्य हासिल करने की अवधि के दौरान देश में 5 करोड़ नये रोजगार सृजित होंगे। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण अनुकूल प्रयासों के तहत भारत 2030 तक 30 लाख रोजगार पैदा करेगा। 

काउंसिल ऑन एनर्जी‚ एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) और नेचुरल रिसोर्स डिफेंस काउंसिल ने एक स्टडी में बताया है कि पर्यावरणीय मुद्दों के हल में मददगार अधिकांश रोजगार ग्रीन एनर्जी इंन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े होंगे। वर्तमान में देश में एक लाख 11 हजार 400 लोग सोलर और विंड एनर्जी प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन में लगे हैं। 

ग्रीन जॉब की मांग पूरी करने वाले हों कोर्स 

यदि हम क्लीन एनर्जी के जरिए जलवायु संकट से निपटने की राह में आगे बढ़ना चाहते हैं‚ तो इस सेक्टर की मांग के अनुसार स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम का दायरा बढ़ाना होगा। जाहिर है कि इसके लिए सबसे पहले ग्रीन जॉब का स्वरूप और उससे जुड़े कोर्स की जानकारी देनी होगी। सामान्यतः अर्थव्यवस्था से जुड़ी हर वह पहल जो विकास की गति को पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ (सस्टेनेबल) बनाती है‚ इसे ग्रीन इनिशिएटिव और उससे जुड़े ह्युमन रिसोर्स के नियोजन को ग्रीन जॉब कहा जाता है। वर्तमान में रिन्यूबल एनर्जी‚ एनवार्यन्मेंट प्रोटेक्शन‚ रिसाइकिलिंग एंड वेस्ट मैनेजमेंट‚ ट्रांसपोर्टेशन‚ टेक्नोलॉजी तथा बिजनेस और एडमिनिस्ट्रेशन जैसे छह सेक्टर में ग्रीन जॉब के अवसर अधिक हैं। अब जरूरत इस बात की है कि इससे जुड़े कोर्स को एडवांस बनाते हुए उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज से जोड़ा जाए। कुछ क्षेत्रों में नये कोर्स भी शुरू किए जाने चाहिए। दरअसल‚ हमारे यहां प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन में सोलर एनर्जी‚ ऑर्गेनिक और ई–वेस्ट‚ फॉरेस्टेशन‚ वाटर ट्रीटमेंट जैसी सस्टेनेबल प्रैक्टिस पर किताबी नॉलेज तो खूब दी जाती है‚ लेकिन उसका प्रैक्टिकल न होने से वह एनवायरमेंटल प्रैक्टिस का रूप नहीं ले पाती। स्कूल और कॉलेज स्तर पर ही बेस्ट सस्टेनेबल गतिविधियों की ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है।  

ग्रीन स्टार्टअप की अहम भूमिका 

लिंकडइन की ग्लोबल ग्रीन स्किल रिपोर्ट‚ 2022 के मुताबिक ब्राजील में 20 प्रतिशत स्टार्टअप बदलते क्लाइमेंट ट्रेंड पर आधारित सॉल्यूशन मुहैया करा रहे हैं। इसका वैश्विक औसत 18 फीसद है। रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि देश में सौ में से दो उद्यमी ग्रीन इनिशिएटिव की बेस्ट प्रैक्टिस हासिल कर चुके हैं। इसका पूरा श्रेय देश के बिजनेस स्कूलों में संचालित एमबीए प्रोग्राम को जाता है‚ जिन्होंने इसे सस्टेनेबल कॅरियर में तब्दील किया है। हमारे एजुकेशनल कॅरिकुलम में एनवार्यन्मेंट सब्जेक्ट की मौजूदगी बढ़ी है। यूजीसी ने एक दशक पहले पर्यावरण की पढ़ाई को अंडर ग्रेजुएट स्तर पर अनिवार्य किया है। पिछले साल ही इग्नु ने सस्टेनेबल साइंस पर पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स शुरू कर नई पहल की है। लेकिन यह पहल तभी कारगर होगी जब हम युवाओं को उनके सलेबस से जुड़़ी प्रैक्टिकल नॉलेज के साथ यह भी बता सकें कि उन्हें रोजगार के अवसर कहां मिलेंगे। कोई भी एजुकेशनल प्रोग्राम यदि रोजगार और एंटरप्रिन्योरशिप से नहीं जुड़ा है‚ तो युवाओं को आकर्षित नहीं कर सकता। केंद्र और राज्य सरकारों को पर्यावरण को समृद्ध करने में सहायक तकनीकी और गैर–तकनीकी पद भी सृजित करने होंगे। 

  • लेखिका डॉ. हरवीन कौर एनवायर्नमेंटल मैनेजमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी एक्सपर्ट हैं। 
  • लेखक अरविंद मिश्रा ऊर्जा मामलों के जानकार हैं। 
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