हरियाणा में भू जल संरक्षित करने की योजना से जुड़ रहे है किसान

2 Jun 2021
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हरियाणा में भू जल संरक्षित करने की योजना से जुड़ रहे है किसान
हरियाणा में भू जल संरक्षित करने की योजना से जुड़ रहे है किसान

हरियाणा में लगातार भू जल का स्तर गिर रहा है  कभी 40 से 50 फुट में रहा पानी अब 266 फुट नीचे पहुँच गया है । जो बताता है कि हरियाणा में पिछले एक दशक में पानी का  लगभग दो गुना संकट बढ़ा है.ऐसे में भविष्य में गंभीर जल संकट की स्थिति से निपटने के लिए राज्य में पानी की सुरक्षा, संरक्षण, नियंत्रण एवं उपयोग को नियमित करने के लिए एक उचित कानून बनाया गया है जिसे मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने मई 2020 में  मेरा पानी मेरी विरासत के नाम से लांच किया।

मेरा पानी और मेरी विरासत से पानी की किल्लत होगी दूर

राज्य सरकार का दावा है की  राज्य में कम होते जलस्तर को रोकने के लिए ये योजना काफी कारगार होगी। क्योंकि इसमें कई ऐसे प्रवाधान जिससे गिरते भूजल को रोका जा सकता है।जिसमे सबसे पहला  प्रावधान है कि यह योजना पूरे प्रदेश के जिलों ने लागू होगी। चाहे किसी जिले में अभी भी भू जल स्तर ने गिरावट नहीं देखी गई है ।

  •  इस योजना के तहत 8 ब्लॉक्स  (रतिया, सिवान, गुहला, पिपली,शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद, सिरसा) के वे गाँव जिनका भूजल स्तर40 मीटर व अधिक है, वहाँ के किसानों को वैकल्पिक फसलों(मक्का / कपास / बाजरा / दलहन /सब्जियां व फल) की खेती कमसे कम 50 प्रतिशत धान के क्षेत्र में लगाएं 
  • किसान अगर धान के 50 प्रतिशत भाग में दूसरी फसल लगाते है तो उन्हें प्रति एकड़ के लिए 7000 हज़ार का अनुदान राशि दी जाएगी   कृषि विभाग द्वारा वैकल्पिक फसलें जैसे मक्का, बाजरा व कपास का फसल बीमा भी सरकारी खर्च पर किया जाएगा।
  • ऐसे 8 ब्लॉक में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र (7595 हेक्टेयर) जहाँ पर धान के अलावा कोई वैकल्पिक फसल लगाना संभव नहीं हे तो ऐसे किसान संबंधित कृषि अधिकारी को बासमती किस्म, सीधी बिजाई  (डी0एस0आर0) द्वारा धान लगाना व साधारण धान की बिजाई करने के लिए आवेदन कर सकेंगें।
  • वे सभी किसान जो 50 एच0पी0 इलैक्ट्रिक मोटर के साथ अपने टयूबवेल का उपयोग करते है , उन्हें  धान न उगाने की सलाह दी गई है 
  • राज्य में मशीनीकरण को बढ़ाना देने के लिए कृषि तथा किसान कल्याण विभाग द्वारा  8 ब्लॉकों में मक्का की बिजाई के लिए न्यूमैटिक मक्का बिजाई मशीन सरकारी खर्च पर उपलब्ध करवाया जाएगा और अगर किसान सामान्य मक्का बिजाई  मशीन लेता है तो उसे  40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। 
  • चयनित 42 ब्लॉक्स  (रतिया, फतेहाबाद, जाखल, सि गुहला, पिपली, शाहबाद, बबैन, इस्माईलाबाद, थानेसर, पेहवा, सिरसा) के वे गाँव जहाँ भू जल का  स्तर 35 मीटर व अधिक है, वहाँ की ग्राम पंचायतों को उनके कृषि  भूमि पर  धान लगाने की अनुमति नहीं होगी।
  • धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों के लगाने  के बदले वित्तीय सहायता संबंधित ग्राम पंचायतों को दी जाएगी।
  • इस योजना के अंतर्गत सभी वैकल्पिक फसलों जैसे मक्का / बाजरा / दलहन की खरीद हरियाणा सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही की जाएगी | ऐसा हरियाणा में पहली बार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
  • इस योजना के अन्तर्गत 40 मीटर व अधिक भूजल स्तर वाले 8 चयनित ब्लॉकों के वे गांव जिनका भूजल स्तर 40 मीटर व अधिक है, वैकल्पिक फसलों को लगाने के लिये सिंचाई प्रणाली की स्थापना के लिए 85 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्रदान किया जाएगा । किसानों को केवल जी0एस0टी0 देना होगा।
  • इस विविधीकरण योजना के अंतर्गत किसानों की सुविधा के लिए विभाग द्वारा वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया है जिसमें किसान स्वयं, सी0एस0सी0 व कृषि विभाग के माध्यम से पंजीकरण करवा सकते हैं।
  •  किसानों द्वारा उत्पादित मक्का की नमी को कम करने के लिए संबंधित अनाज मंडियों में सरकार द्वारा “मक्का ड्रायर” भी उपलब्ध करवाए जायेगें।
  •  फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने तथा तकनीकी जानकारी हेतु प्रत्येक ब्लॉक में कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा प्रदर्शन प्लॉट लगाए जाएंगे।
  • राज्य सरकार द्वारा एक टोलफ्री नंबर(18001802117) भी उपलब्ध कराया गया है ताकि किसी भी किसान को किसी भी तरह की समस्या को सुलझाया जा सके |

इस योजना का उद्देश्य

  • हरियाणा में अधिक पानी की मांग वाली फसलों को कम करना है।
  • जल संसाधनों को संरक्षण देना है  भू जल स्तर को गिरने नही देना है 
  • धान गेहूं की खेती के अलावा किसनों को अधिक लाभ देने वाली फसलों का विकल्प देना है स्थाई खेती के लिए वैकल्पिक फसलों को बढ़वा देना और नई तकनीकों पर जोर देना है। 

इस योजना का किसनों द्वारा क्यों विरोध हुआ 

  • विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों का का कहना है कि प्रदेश सरकार को यह तय करने का निर्णय किसानों पर छोड़ देना चाहिये कि  वह अपने खेत में कैसी और कौन सी फसल उगाएँ। 
  • किसानों की ये भी शिकायत है जिन फसलों को सरकार ने धान के  वैकल्पिक बोने के लिये कहा है वहां अधिकांश हिस्सों की मिट्टी/मृदा और जलवायु अनुकूल नहीं है ।
  • इसके अलावा, किसानों का कहाना है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बेहद कम है  जिसे बढ़ाना चाहिए। 

क्या है इस योजना की  स्थिति 

वही इस योजना के तहत पिछले 1 साल यानी मई 2020 तक 68 हज़ार किसनों ने विरोध के बाद नई फसल लगाने का आवेदन किया है  वही फतेहाबाद जिले में 2019  तुलना में 2020 में 8000 हेक्टेयर में धान की रोपाई कम हुई। 2019 में करीब  लगभग एक लाख 28 हजार हेक्टेयर के क्षेत्र में धान की खेती हुई थी वही एक साल बाद 2020 में  एक लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ही धान की खेती हुई ।

नई फसलों की खेती कर रहे है किसान 

किसान भी समझ रहे है कि अगर वह पानी का अत्यधिक इस्तेमाल करेंगे तो आने वाली पीढ़ी के लिये पानी नही रहेगा।ऐसे में वह भी सरकार की नई योजना को अपना रहे और अब धान के बदले कपास और गन्ने की खेती का  रुख कर रहे है।

 

पानी को संरक्षित करने की राज्य सरकार की पहल का किसान भी सहयोग कर रहे है लेकिन ये कितनी कारगार होगी वह आने वालों सालों में किसान की फसलों पर निर्भर करेगा।

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