हरियाणा में धान की खेती के लिए नहरों से नहीं मिलेगा अतिरिक्‍त पानी

11 Jun 2020
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हरियाणा में धान की खेती के लिए नहरों से नहीं मिलेगा अतिरिक्‍त पानी
हरियाणा में धान की खेती के लिए नहरों से नहीं मिलेगा अतिरिक्‍त पानी

भू-जल को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने राइस शूट पॉलिसी बदली है। इसके तहत धान उत्पादक किसानों को नहरी पानी भी कम मिलेगा। 20 एकड़ से कम भूमि पर कहीं भी राइस शूट नहीं दिया जाएगा। इस 20 एकड़ में से 15 एकड़ से अधिक भूमि में धान नहीं लगाया जा सकेगा।

नई नीति में भाखड़ा कमांड सिस्टम में नए ‘राइस शूट’ खत्म कर दिए गए हैं। केवल जहां यमुना या घग्घर नदी का पानी मिलेगा, वो इलाका अपवाद रहेगा। 20 एकड़ से कम भूमि पर राइस शूट नहीं दिया जाएगा। वहां भी यह शर्त रहेगी कि 20 एकड़ में से 15 एकड़ से अधिक भूमि में धान नहीं लगाया जा सकता। वेस्टर्न यमुना कैनाल सिस्टम (यमुना नगर-करनाल-पानीपत-जींद-रोहतक इत्यादि) में राइस शूट के लिए हर साल आवंटित पानी की मात्रा क्रमश : 10 प्रतिशत, 5 प्रतिशत कम कर साल 2024 तक 25 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक कर दी जाएगी।

अमर उजाला की खबर के मुताबिक साल 2020 से हर साल पुराने राइस शूट की संख्या में 50 प्रतिशत कटौती होगी व साल 2022 के बाद कोई पुराना राइस शूट नहीं दिया जाएगा। नए राइस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे। भाखड़ा सिस्टम (कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद इत्यादि) में राइस शूट के लिए 10 प्रतिशत पानी को कम कर साल 2024 तक 3 प्रतिशत तक घटा दिया जाएगा। 2020 व 2021 के बाद सब पुराने राइस शूट खत्म कर दिए जाएंगे। नए राइस शूट भी 3 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे। 10 क्यूसेक से कम के सब रजबाहों पर कोई राइस शूट नहीं मिलेगा। राइस शूट की फीस में 100 प्रतिशत वृद्धि की गई है। अब 300 रुपये प्रति एकड़ देने होंगे। उत्तरी हरियाणा यानि कैथल-जींद-कुरुक्षेत्र-करनाल-पानीपत-अंबाला-यमुनानगर में पहले ही नहरें 24 दिन बंद रहती हैं और 7 दिन चलती हैं। किसान को राइस शूट खत्म होने से धान की खेती करना मुश्किल होगा।

10 जून को मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पहले की पॉलिसी में नए किसानों को राइस शूट का मौका नहीं मिलता था, इसीलिए अब राइस शूट पॉलिसी में बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के बाद इसी वर्ष 50 फीसद कोटा नए किसानों के लिए आरक्षित रहेगा। इसमें फसल विविधिकरण अपनाने वाले छोटे किसानों को भी मौका दिया जाएगा। लाटरी सिस्टम से किसानों के नाम तय होंगे।

उन्‍होंने कहा कि प्रदेश को चार साल के लिए जितना धान चाहिए, उतना अभी भंडार भरा हुआ है। नियम अनुसार एक साल का स्‍टॉक होना चाहिए, लेकिन अधिक है। लगातार धान की खेती होने की वजह से भूजल स्‍तर बीते पांच वर्षों में दोगुना नीचे चला गया है। ऐसे में भूजल स्‍तर बचाना जरूरी है। दूसरे फसलों को प्रोत्‍साहित करने के लिए नई राइस शूट नीति में बीस-बीस एकड़ का चंक लिया जाएगा। प्रति एक हजार एकड़ पर साढ़े सात क्‍यूसेक पानी दिया जाएगा।

पंजाब केसरी की खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमिगत जलस्तर को बचाए रखने के लिए सरकार ने प्रदेश के उन क्षेत्रों में एक लाख हेक्टेयर जमीन पर धान के स्थान पर मक्का, कपास, दलहनी फसलें, बाजरा व फल-सब्जी आदि फसलें उगाने का लक्ष्य रखा है, जहां भूमिगत जल का इस्तेमाल करते हुए धान की फसल ली जाती है। अब तक प्रदेश में 42 हजार किसानों द्वारा 55 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान न बोने के लिए अपना पंजीकरण करवाया गया है। 

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