ई-वेस्ट का सफाया करेंगे युवा उद्योगपति

3 May 2014
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मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियम लागू, फिर भी कबाड़ियों के पास जा रहा ई-वेस्ट
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अनधिकृत रूप से ई-वेस्ट को खरीदने व संग्रहण करने वाले कबाड़ियों व स्क्रेप व्यापारियों के विरुद्ध कार्रवाई करना चाहिए। दोनों प्लांटों के अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार मध्य प्रदेश में लगभग 15 हजार टन ई-वेस्ट हर साल निकलता है जिसमें से सबसे अधिक ई-वेस्ट इंदौर से निकलता है जो लगभग 8-9 हजार टन का है, लेकिन यह सारा ई-वेस्ट कबाड़ियों के पास जा रहा है। देश में ई-वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियम लागू हुए काफी समय हो गया है इसके बावजूद इंदौर में निकलने वाला इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट अभी भी कबाड़ियों के हाथों में जा रहा हैै। मप्र में ई-वेस्ट को रिसाइकल करने के लिए 2 प्लांट इंदौर में स्थापित हैं जिन्हें अपनी क्षमता का 5 फीसद ई-वेस्ट नहीं मिल पा रहा है।

दूसरी तरफ नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इस संबंध में कार्रवाई की बात तो करते हैं, लेकिन बोर्ड द्वारा अभी तक इस संबंध में एक भी कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया गया है। हालांकि अब शहर के युवा उद्योगपतियों ने इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से निपटने के लिए कमर कस ली है। ई-वेस्ट के सुरक्षित निपटारे के लिए कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) की सहयोगी संस्थान यंग इंडियंस अगले कुछ माह के दौरान मप्र में कलेक्शन सेंटर प्रारंभ करने की योजना बना रही है।

योजना मई के अंत तक


सीआईआई यंग इंडियंस इंदौर चेप्टर की चेयरमैन अभिलाषा मिमानी का कहना है कि ई-वेस्ट के सुरक्षित निष्पादन के लिए यंग इंडियंस काम कर रहा है। कुछ समय पहले सदस्यों के माध्यम से ई-वेस्ट का संग्रहण किया गया था। इंदौर व आसपास स्थित उद्योगों को ई-वेस्ट के सुरक्षित निष्पादन हेतु प्रेरित करने के लिए यंग इंडियंस ने लगभग सभी कंपनियों को मेल, वॉट्सएप्प, पोस्टर आदि के माध्यम से अवेयर किया था। अब मई माह के अंत तक एक बार पुनः अभियान चलाकर ई-वेस्ट संग्रहण का काम प्रारंभ करने की योजना है।

चंडीगढ़ और चेन्नई में प्रारंभ


यंग इंडियंस के देश भर में 25 सेंटर्स हैं। जिसमें से दो सेंटर चंडीगढ़ व चेन्नई में ई-वेस्ट कलेक्शन योजना प्रारंभ की जा चुकी है। इंदौर में ई-वेस्ट संग्रहण के लिए प्रारंभ में दो सेंटर प्रारंभ किए जाने की योजना है जहां पर सीआईआई के मेंबर्स व अन्य उद्योगपति, ऑफिस, स्कूल, संस्थाएं आदि अपना ई-वेस्ट निपटारे के लिए दे सकेंगे। इस ई कचरे के निष्पादन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। कचरे के निष्पादन के लिए इंदौर स्थित ई-वेस्ट रिसाइकल प्लांट से चर्चा जारी है। इंदौर में योजना सफल हुई तो फिर भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में भी सेंटरों को प्रारंभ किया जाएगा।

ई-वेस्ट को अधिकृत विक्रेता को नहीं देकर अनधिकृत कबाड़ियों को देने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कड़ी कार्रवाई करने की सिर्फ बातें ही कर रहा है। बोर्ड द्वारा अभी तक इस संबंध में एक भी कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया गया है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक का कहना है कि हम ई-वेस्ट के सही व सुरक्षित निष्पादन के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस मुद्दे पर बोर्ड द्वारा कई सेमिनार व वर्कशालाओं का आयोजन किया जा चुका है और आगे भी करते रहेंगे।

प्लांटों को सही मात्रा में ई-वेस्ट प्राप्त हो इसके लिए कुछ दिनों पहले बोर्ड ने सभी संस्थानों, उद्योगों, स्कूलों आदि को सर्कुलर जारी किया था। अब हम पुनः आदेश जारी कर कार्रवाई की बात कहेंगे। अब तक एक भी कार्रवाई नहीं करने पर बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि हमें अब तक एक भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है कि कोई कंपनी या संस्थान अनधिकृत रूप से अपना ई-वेस्ट बेच रहा है। कोई शिकायत प्राप्त हुई तो हम निश्चित कार्रवाई करेंगे।

दो साल से लागू नियम


ई-वेस्ट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने नया कानून ई-वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियम-2011 तैयार किया है जो 1 मई 2012 से संपूर्ण देश में लागू हो गया है। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को समान्य कचरे के साथ नहीं फेंका जा सकता। नए नियम के लागू होने के पश्चात ई-वेस्ट के निराकरण की जिम्मेदारी उत्पादन कंपनियों के साथ नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की होगी।

वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग नियम लागू होने के बावजूद अभी भी ई-वेस्ट को कबाड़ियों द्वारा ही खरीदा जाता है जो इसमें से काम की वस्तुएं निकालकर शेष को सामान्य कचरे के साथ फेंक देते हैं। जानकारों का कहना है कि ई-वेस्ट से हानिकारक तत्व जैसे कैडमियम, लेड, मर्करी आदि निकलते हैं जो वातावरण को दूषित करने के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।

कैसे चलाएं प्लांट


मध्य प्रदेश पहले ई-वेस्ट रिसाइकल प्लांट यूनिक इको रिसाइकल के एमडी फैजल हुसैन का नई दुनिया से कहना है कि शहर में बड़ी मात्रा में ई-वेस्ट निकलने के बावजूद हमें अपना प्लांट प्रारंभ करने से लेकर आज अपनी क्षमता का 5 फीसद से भी कम ई-वेस्ट प्राप्त हो रहा है। फैजल के अनुसार उनके प्लांट की ई-वेस्ट रिसाइकल क्षमता 6000 मैट्रिक टन प्रति वर्ष अर्थात् 500 मैट्रिक टन प्रति माह की है, लेकिन हमें एक माह के दौरान मात्र 1.5 से 2 टन ई-वेस्ट ही प्राप्त हो रहा है।

कम मात्रा में ई-वेस्ट प्राप्त होने के कारण प्लांट अपनी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पा रहा है और इसे संचालित करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही स्थिति सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर डी में स्थित होस्टेक इको मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड प्लांट की भी है। ई-वेस्ट प्लांट संचालकों का कहना है कि ई-वेस्ट पर सेमिनार तो काफी हो चुके हैं, लेकिन अब कार्रवाई का समय है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अनधिकृत रूप से ई-वेस्ट को खरीदने व संग्रहण करने वाले कबाड़ियों व स्क्रेप व्यापारियों के विरुद्ध कार्रवाई करना चाहिए। दोनों प्लांटों के अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार मध्य प्रदेश में लगभग 15 हजार टन ई-वेस्ट हर साल निकलता है जिसमें से सबसे अधिक ई-वेस्ट इंदौर से निकलता है जो लगभग 8-9 हजार टन का है, लेकिन यह सारा ई-वेस्ट कबाड़ियों के पास जा रहा है।

ई-वेस्ट के सुरक्षित निष्पादन के लिए हम प्रदेश के उद्योगपतियों को जागरुक करने का काम कर रहे हैं। इसके लिए यंग इंडियंस द्वारा भी काम किया जा रहा है।
-गिरीश मंगला, वाइस चेयरमैन, सीआईआई, मध्य प्रदेश

ई-वेस्ट को लेकर हम काम कर रहे हैं। मार्च माह में ही हमने सदस्यों के माध्यम से ई-वेस्ट कलेक्ट किया था। अब मई के अंत में इस प्रकार की योजना पर काम किया जा रहा है।
-अभिलाषा मिमानी, चेयरमैन, सीआईआई-यंग इंडियंस

हमारी क्षमता प्रति माह 500 टन ई-वेस्ट रिसाइकल की है, लेकिन सिर्फ 1.5 से 2 टन वेस्ट ही मिल रहा है। उद्योगपति हमें ई-वेस्ट उपलब्ध कराने पर कार्य कर रहे हैं, तो यह एक बेहतर प्रयास है।
-डॉ. फैजल हुसैन, एमडी, यूनिक इको रिसाइकल

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