जानलेवा है यह प्रदूषण

6 Aug 2018
0 mins read
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण (फोटो साभार - विकिपीडिया)मौजूदा दौर में वायु प्रदूषण एक गम्भीर समस्या बनता जा रहा है। व्यस्त और भागदौड़ भरी जिन्दगी में क्या वायु प्रदूषण का समाधान हो सकता है? आज शहरों में रहने वाले अधिकांश लोग वायु प्रदूषण के शिकार हैं जो मुख्यतः कामकाजी हैं। जानकार बताते हैं कि एक व्यक्ति एक दिन में लगभग 20 हजार बार साँस लेता है जिसमें 35 पौंड वायु का उपयोग होता है। ऐसे में अगर साँसों के माध्यम से दूषित वायु लम्बे समय तक शरीर के अन्दर जाती रहे तो व्यक्ति के स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा हो सकता है।

ज्ञात हो कि 50 वर्ष पहले तक वायु प्रदूषण की इतनी समस्या नहीं थी जितनी आज है। लोग भोग विलासिता की ओर बढ़ रहे हैं। आम और खास लोगों में भी फर्क बहुत बढ़ गया है। जरूरतें असीमित हो गई हैं। यही नहीं हम अपने फायदे के लिये बिना सोचे समझे प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते कि इसका हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसी वजह से प्रकृति का सन्तुलन पूरी तरह से बिगड़ने लगा है।

विभिन्न शोध पत्रों में यह बताया जा चुका है कि आज पूरी दुनिया वायु प्रदूषण का शिकार है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे वायुमंडल में कई गैसें होती हैं जो एक निश्चित अनुपात में होती है और इनमें थोड़ा भी परिवर्तन हो जाये तो वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है। जो गैसें वायुमंडल को प्रदूषित करती है उनमें कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि शामिल हैं।

वर्तमान में इन गैसों की मात्रा बहुतायत में बढ़ रही है। इन्हें सन्तुलित करने के उपाय बहुत ही कम हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, वृक्षों का व्यावसायिक पतन, फैक्टरियों और वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण अपने देश में लगभग 30 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं।

हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक भारत के पाँच मुख्य शहर जैसे दिल्ली, ग्वालियर, रायपुर, पटना और लखनऊ दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली वायु प्रदूषण में चीन के शहर बीजिंग को भी पीछे छोड़ चुकी है। यहाँ के निवासियों को फेफड़े का कैंसर होने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के कारण इंसानों पर और हमारे प्रकृति पर बहुत बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं। ऐसा बताया जाता है कि ओजोन एक हल्की नीले रंग की गैस है जिसकी परत हमारे वायुमंडल में होती है और यह परत सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी और पृथ्वी की रक्षा करती है। अगर ओजोन की यह परत नष्ट हो जाती है तो यूवी किरणों का सीधा प्रभाव धरती पर पड़ेगा जिससे सभी प्राणी नष्ट हो सकते हैं।

वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण ओजोन परत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिस कारण फसल चक्र अपने नियत समय से आगे पीछे खिसक रहा है। यही नहीं केदारनाथ जैसे हिमालय के उच्च शिखर पर जहाँ कभी भी बर्फ ही गिरती थी वहाँ अब बरसात होने लग गई है।

अम्लीय वर्षा प्राकृतिक तौर पर होती है। जब वायुमंडल में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें पानी के साथ मिलती हैं। उनमें क्रिया होती है, जिससे नाइट्रिक एसिड आदि का निर्माण होता है। अम्लीय वर्षा से इंसानों और जानवरों की मौत हो सकती है। कुल मिलाकर वायु प्रदूषण का प्रभाव सभी पर पड़ता है चाहे वो जीव-जन्तु, पेंड़-पौधे, मौसम हो या इमारतें। यह वजह है कि निमोनिया, उल्टी, फेफड़े का कैंसर, ब्रोनकाइटिस आदि जैसे संक्रमण रोग तेजी से बढ़ रहे हैं।

अध्ययन बताते हैं कि वायु प्रदूषण के प्रभाव से मनुष्यों में इस तरह की बीमारी का बढ़ना लाजमी है। पिछले कुछ समय से मौसम में भी जबरदस्त बदलाव नजर आ रहे हैं। इसका असर है कि समुद्र में अचानक तीव्र व जानलेवा लहरों का उठना, बाढ़, भूस्खलन, अतिवृष्टी जैसी घटनाओं का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण के कारण ताजमहल की दीवारें भी पीली पड़ती जा रही हैं।

गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ

वाहनों से निकलने वाला धुआँ भी वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। जनसंख्या के साथ-साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है। हालांकि, सरकार भी इस प्रदूषण को रोकने के लिये समय-समय पर एहतियाती कदम उठाती हैं। जैसे पिछले वर्ष दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन स्कीम लांच की थी जिसमें एक दिन ईवन और एक दिन ऑड नम्बर की गाड़ियों को सड़कों पर चलने का नियम बनाया था ताकि कम-से-कम धुआँ निकले और वायु प्रदूषण कम हो। इसके अलावा ‘कार या स्कूटर’ को अपने सहकर्मियों या पड़ोसियों के साथ शेयर कर ऑफिस या अन्य जगह जाना भी एक अच्छा विकल्प है।

हम सबको भी अपने वाहनों की नियमित जाँच करानी चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आपके वाहन से हानिकारक धुआँ न निकले। यह भी जरूरी है कि वाहन यात्रा सामूहिक हो। सरकार को भी सार्वजनिक यातायात सुविधा को बेहतर बनाने की जरूरत है।

धूम्रपान

धूम्रपान एक ऐसा वायु प्रदूषण है जो आपके साथ-साथ आपके घर के सदस्यों को भी प्रभावित करता है। यह इतना खतरनाक है कि पास वाले को 80 फीसदी का शारीरिक नुकसान होता है। जो चिकित्सकीय जाँच में बार-बार आता है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के लिये यह मजे की बात हो सकती है किन्तु असल में यह खुद के लिये और आस-पड़ोस के व्यक्तियों के लिये सजा की तरह ही है। इसलिये अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इसे छोड़ दें और दूसरे लोगों को भी यह करने की सलाह दें। वायु प्रदूषण से बचने का यह भी एक अच्छा उपाय है।

स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन

वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण अधिक जनसंख्या, वाहन और कारखाने हैं। लोग रोजगार की तलाश में गाँवों से निकल कर शहरों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। शहरों में जनसंख्या बढ़ रही है। शहर कंक्रीट के जंगल बन रहे हैं। वाहनों की संख्या भी इसी तेजी से बढ़ रही है। दूसरी ओर गाँव खाली हो रहे हैं। शहरीकरण की इस प्रक्रिया को रोकना चाहिए। गाँवों में ही रोजगार के साधनों को विकसित करना चाहिए ताकि लोग अपने गाँव या कस्बे को छोड़कर शहर न जाएँ।

वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई

जनसंख्या के बढ़ने के साथ-साथ इमारतों के निर्माण और विकासीय योजनाओं के लिये पेड़ों की कटाई के कारण वायु प्रदूषण पर नियंत्रण खत्म हो रहा है। जानकारों के अनुसार पेड़ मनुष्य के सबसे अच्छे मित्र हैं और यह वायु प्रदूषण को रोकने में भी बेहद सहायक हैं इसीलिये वनों के अवैध दोहन पर प्रतिबन्ध लगाना जरूरी है। जितने अधिक पेड़ होंगे उतना ही सुरक्षित हमारा वातावरण होगा और वायु प्रदूषण भी कम होगा।

जन-जागरूकता

वायु प्रदूषण से बचने से भी अधिक जरूरी है कि हम लोग जागरूक हो जाएँ और प्राकृतिक संसाधनों पर बन रही विकासीय योजनाओं को प्रकृति के अनुकूल ही सम्पादित करें। बिना वैज्ञानिक सलाह की कोई ऐसी योजना ना बनाएँ जिससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़े। वायु प्रदूषण को प्राइमरी स्तर से ही बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि वे इसके संवर्धन के प्रति सजग हों। इसके अलावा वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान को मीडिया पर प्रचारित व प्रसारित किया जाये। अधिकतर लोग वायु प्रदूषण के लिये स्वयं को नहीं बल्कि दूसरों को और सरकार को उत्तरदायी ठहराते हैं, किन्तु यह सही नहीं है। हम स्वयं छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर इसमें सहयोग दे सकते हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि यह सिर्फ शुरुआत है अगर वायु प्रदूषण को समय पर नहीं रोका गया तो आने वाले समय में इसके परिणाम बेहद भयंकर हो सकते हैं। कुल मिलाकर चाहे वायु प्रदूषण हो, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण या अन्य कोई प्रदूषण सभी इस सृष्टि के लिये बेहद भयानक हैं। वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक है क्योंकि वायु के बिना जीवित रहना असम्भव है।

वायु प्रदूषण के रोक-थाम के उपाय

कारखानों को हमेशा रिहायशी इलाकों से दूर बनाना चाहिए ताकि इसके धुएँ का प्रभाव उस इलाके के लोगों पर न पड़े। साथ ही आधुनिक तकनीकों का आवश्यक रूप से प्रयोग करना चाहिए जिससे अधिक जहरीला धुआँ न निकले और हवा में न मिले। आज शहरों में कारखाने और अन्य बड़े उद्योग संकेन्द्रण संयंत्रों का प्रयोग कर रहे हैं ताकि वायु को कम-से-कम नुकसान हो।

 

 

 

TAGS

air pollution, deforestation, smog from factories, vehicular pollution, greenhouse gases, acid rain.

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading