जार-जार रो रहा 16वीं शताब्दी का मकबरा तालाब

मकबरा तालाब
मकबरा तालाब

भारत के राष्ट्रीय नायकों में शुमार शेरशाह सूरी द्वारा 16वीं शताब्दी में बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक बड़े तालाब के मध्य मकबरा बनाया गया था।

उस वक्त से ही इस तालाब को मकबरा तालाब कहा जाने लगा। उन दिनों तालाब का पानी कंचन हुआ करता था। बताया जाता है कि उस वक्त इस तालाब के पानी से स्थानीय लोग खाना भी बनाते थे, लेकिन आज यह तालाब अपनी दयनीय हालत पर जार-जार रो रहा है, लेकिन उसके आँसू पोंछने वाला कोई नहीं है।

305 मीटर क्षेत्रफल वाले तालाब के बीच एक चबूतरे पर बना यह मकबरा भारतीय-अफगानी स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों में एक है। स्थापत्य शैली के कारण ही एंसिएंट मॉनूमेंट एंड अर्किओलॉजिकल साइट्स एंड रीमेंस एक्ट (1958) के तहत इस मकबरे को राष्ट्रीय धरोहर का तमगा मिला हुआ है।

इस मकबरे का इतिहास जितना पुराना है, इस तालाब का इतिहास उससे भी पुराना है, लेकिन रख-रखाव के अभाव में तालाब अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। तालाब का पानी इतना गन्दा हो गया है कि इससे मकबरे की नींव पर भी असर पड़ने लगा है।

गौरतलब है कि इस तालाब में पानी के प्रवेश और निकासी के लिये दो नहर हैं। इनलेट नहर और आउटलेट नहर। इनलेट नहर से साफ पानी तालाब में आता है और आउटलेट नहर द्वारा पानी को तालाब से बाहर निकाला जाता है। इनलेट नहर एक बड़े नहर बेदा से जुड़ा हुआ है, जो सोन नदी में मिलता है। इनलेट और आउटलेट दोनों ही नहरों की हालत इन दिनों बेहद खराब है। नहरों के किनारों का अतिक्रमण कर लिया गया है। सासाराम शहर का सारा कूड़ा-करकट नहरों में फेंका जा रहा है, जिससे ये नहर जाम हो गए हैं। और तो और आसपास बने घरों से निकलने वाला गन्दा पानी भी इन्हीं नहरों में गिर रहा है। इससे एक तो इन नहरों से पानी की निकासी मुश्किल से हो रही है और होती भी है, तो गन्दा पानी ही तालाब में जा रहा है, जिससे तालाब के अस्तित्व पर खतरा मँडराने लगा है।

इनलेट नहर - इसी नहर से तालाब में पानी जाता हैयहाँ यह भी बता दें कि इस मकबरे में ही शेरशाह सूरी की कब्र है। शेरशाह सूरी अपनी शासन व्यवस्था के लिये मशहूर है। शेरशाह का जन्म सासाराम में ही हुआ था। उन्होने सन 1540 से 1545 तक ही शासन किया, लेकिन इन पाँच वर्षों में ही उन्होंने कई बेहतरीन काम किये। माना जाता है कि भारत में मुद्रा चलन को उन्होंने ही लोकप्रिय बनाया। हालांकि सूरी से पहले भी रुपए का चलन था, लेकिन उस वक्त किसी भी तरह के सिक्के को रुपए कहा जाता था। शेरशाह सूरी ने चाँदी के सिक्के का वजन निर्धारित कर दिया। उस समय से एक निर्धारित वजन वाले सिक्के को ही रुपए का दर्जा मिला। और तो और भारत में डाक व्यवस्था को व्यवस्थित करने का श्रेय भी सूरी को ही जाता है। सूरी ने पाकिस्तान में रोहतास किला बनवाया था, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है। अकबर के दरबार में रहे इतिहासकार अब्बास खान सरवनी ने तारीख-ए-शेरशाही में शेरशाह के प्रशासन के बारे में विस्तार से लिखा है। माना जाता है कि मुगल शासक अकबर ने शेरशाह सूरी की शासन व्यवस्था का खूब अनुसरण किया।

बहरहाल, पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तालाब का पानी प्रदूषित हो जाने से मकबरे की नींव कटने लगी है।

पर्यावरणविद मोहित रॉय कहते हैं, ‘तालाब का पानी अगर गन्दा हो, तो निश्चित तौर पर इससे मकबरे की नींव पर असर पड़ेगा। पानी में अगर कूड़ा जमा हो जाये तो वह सड़ जाएगा जिससे एसिड व अन्य जहरीले तत्व निकलेंगे। ये तत्व न केवल मकबरे की नींव को कमजोर करेंगे, बल्कि इससे तलाब में रहने वाले जलीय जीवों पर भी बुरा असर पड़ेगा।’

आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के अधिकारियों का कहना है कि तालाब का पानी गन्दा हो जाने से मकबरे पर उसका असर दिखने लगा है।

यहाँ यह भी बताते चलें कि वर्ष 2006 में आलोक चमड़िया द्वारा उक्त तालाब को लेकर पटना हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 नवम्बर 2008 में पटना हाइकोर्ट ने तालाब की साफ-सफाई का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जिला प्रशासन को दोनों नहरों की सफाई कराने और पुरातत्व विभाग को तालाब की सफाई करने को कहा था। कोर्ट ने अर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया और जिला प्रशासन से कहा था कि प्रदूषित पानी तालाब में न पहुँचे, इसे हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

हाइकोर्ट के आदेश के बाद थोड़ी बहुत हलचल हुई, फिर सब कुछ पहले जैसा ही हो गया।

तालाब और मकबरे के संरक्षण की जिम्मेवारी भारतीय पुरातत्व विभाग को मिली हुई है।

मकबरा तालाब के सहायक संरक्षक नीरज कुमार कहते हैं, ‘कोर्ट के आदेश के बाद तालाब की सफाई कराई गई थी लेकिन दोनों नहरों की साफ-सफाई नहीं होने से तालाब फिर गन्दा हो गया। जब तक दोनों की सफाई नहीं होगी, तब तक तालाब को सुरक्षित और संरक्षित नहीं रखा जा सकता है। इसका कारण यह है कि तालाब की सफाई दोनों नहरों पर ही निर्भर है। इनलेट नहर से पानी तालाब में आता है और आउटलेट नहर से तालाब का पानी बाहर निकलता है।’

नहर का पानी ना आने के कारण गन्दा पड़ा तालाबबताया जाता है कि कुछ साल पहले नहरों की सफाई की गई थी, इसके बाद प्रशासन ने दोबारा इस ओर ध्यान नहीं दिया। इस वजह से कुछ ही दिनों में इन नहरों की हालत पहले जैसी हो गई। यहाँ तक कि गन्दगी के कारण तालाब की गहराई भी कम हो गई है।

तालाब में कई ड्रेन बने हुए हैं, जिनसे होकर ही पानी आउटलेट नहर में जाता है। नीरज कुमार ने कहा कि तालाब में जितना पानी होना चाहिए, उससे अधिक पानी जमा हो गया है, क्योंकि आउटलेट नहर में कचरा इतना अधिक भर गया है कि पानी बाहर निकल ही नहीं पा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘तालाब में अभी पानी ड्रेन से एक मीटर ऊपर चला गया है, जबकि इसे नीचे रहना चाहिए। हमने कई बार जिला प्रशासन से अपील की कि दोनों नहरों को अतिक्रमणमुक्त करा कर इनकी साफ-सफाई की जाये ताकि तालाब गन्दा न हो, लेकिन प्रशासन इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा है।’

पुरातत्व विभाग के सूत्रों की मानें तो इस मकबरे को वैश्विक धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए यूनेस्को से आवेदन किया गया है।

यहाँ यह भी बता दें कि बिहार के महाबोधि मन्दिर और नालन्दा विश्वविद्यालय को ही विश्व धरोहर का दर्जा मिला हुआ है। नीरज कुमार ने कहा, ‘हमें लगता है कि शेरशाह सूरी के उक्त मकबरे में वो सारी खूबियाँ हैं जो एक वैश्विक धरोहर में होनी चाहिए, इसलिये हमने इसे विश्व धरोहर घोषित करने के लिये यूनेस्को को आवेदन दिया है।’

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तालाब को संरक्षित नहीं किया गया तो मकबरे का अस्तित्व बहुत दिनों तक सुरक्षित नहीं रह सकेगा और एक बेजोड़ तारीखी ढाँचा तारीख के पन्नों में दफन हो जाएगा।

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