जब पानी ही प्रदूषित है, तो हाथ धोकर कोरोना से कैसे बचेंगे हम ?

21 Mar 2020
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जब पानी ही प्रदूषित है, तो हाथ धोकर कोरोना से कैसे बचेंगे हम ?
जब पानी ही प्रदूषित है, तो हाथ धोकर कोरोना से कैसे बचेंगे हम ?

कोरोना, कोविड 19 या नोवल कोरोना वायरस, ये नाम दुनिया के किसी भी व्यक्ति के लिए अनुसने नहीं रहे गए हैं। 170 से ज्यादा देश कोरोना की चपेट में हैं। 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन और इरान मे स्थिति नियंत्रण के बाहर है। तो वहीं भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, दक्षिण अफ्रिका आदि देश इस बीमारी से बचने की जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल स्थिति काबू के बाहर होेती दिख रही है। कोरोना से बचने के लोगों को घरों के अंदर ही रहने की सलाह दी जा रही है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि ज्यादा जरूरत होने पर ही घर से बाहर जाएं। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचे। लोगों से पर्याप्त दूरी बनाकर रखें और नियमित रूप से चेहरे पर मास्क पहने तथा अपनी आंख, नाक और मुंह को बार बार न छुएं। इसके अलावा सभी को नियमित तौर पर पानी से हाथ धोने के लिए कहा जा रहा है। हाथ भी पांच चरणों में धोने हैं, वो भी न्यूनतम 20 सेकंड तक। जो विकासशील देश, या इन देशों के इलाके, यहां जल प्रदूषण गंभीर समस्या बना हुआ है, उन इलाकों में आने वाले गंदे पानी से हाथ धोना कोरोना से उन्हें कितना सुरक्षित कर पाएगा ?

अमेरिका, जापान, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, स्पेन, जर्मनी, इटली, इजराइल जैसे देशों को उच्च आय और विकसित देशों की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन दुनिया में भारत और चीन जैसे तमाम देश हैं, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशांे की श्रेणी में शामिल हैं, जबकि कई देशांे को विकासशील देशों की श्रेणी में रखा गया है। मध्यम और निम्न आय वाले इन देशों में करीब 180 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हे साफ पानी तक नसीब नहीं होता है। ये अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहद ही प्रदूषित जल का उपयोग करते हैं। इन आंकड़ों का खुलासा ट्राॅपिकल मेडिसिन एंड इंटरनेशनल हेल्थ नाम की एक पत्रिका में वर्ष 2014 में छापे एक शोध में हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भी विश्व के 2 बिलियन लोगों को दूषित या मल युक्त पानी मिलता है। ये पानी पीने योग्य तो दूर, साफ सफाई और अन्य कामों के लायक भी नहीं है। जल प्रदूषण की सबसे ज्यादा समस्या दनिया के दक्षिणी हिस्से में हैं। 

भारत की ही बात करें, तो यहां तीन करोड़ ग्रामीणों को साफी पानी नहीं मिलता है। नदियां, तालाब, कुएं, नौले, धारे, तथा विभिन्न जलस्रोत या तो सूख गए हैं, या सूखने की कगार पर हैं अथा अधिकांश तो प्रदूषित हैं। गंगा और यमुना जैसी नदियां गंभीर रूप से प्रदूषित हैं। प्रदूषित के कारण देश में बीमारियां लगातार तेजी से बढ़ती जा रही हैैं। हांलाकि स्वच्छता की ओर तेजी से कदम बढ़ाते हुए भारत ने 6 लाख 50 हजार गांवों में 1 करोड़ 64 लाख शौचालयों का निर्माण करवाया था। इस पूरे कार्य की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी तारीफ हुई थी। लेकिन सेंटर फाॅर साइंस एंड एनवायरमेंट के एक शोध में सामने आया कि इन शौचालयों में मल के उपचार की तकनीक सुरक्षित नहीं है। ऐसे में गंदगी के कारण बीमारी फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है। अफ्रीका और एशिया के कई और देश ऐसे हैं, जहां जल प्रदूषण और स्वच्छता की भारत से भी ज्यादा खराब है। इन देशों में सफाई के अच्छे इंतजाम नहीं है। जिस कारण सीवर व अन्य कचरा बिना शोधन के लिए नदियों व अन्य जलस्रोतों में बहा दिया जाता है। 

अफ्रीका और एशिया के इन देशों में कई देश ऐसे हैं, जहां आदिवासी भी रहते हैं। इन्हें हम आदिवासी इलाके भी कह सकते हैं। इन क्षेत्रों को भी अभी तक साफ पानी मुहैया नहीं हो पाया है। गंदे पानी के सेवन के कारण सबसे ज्यादा डायरिया फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में हर साल जल प्रदूषण के कारण 4.6 मिलियन लोगों की मौत होती है। भारत में भी हर साल 3 लाख के करीब लोग जल प्रदूषण के कारण मर जाते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस ने दुनिया में दस्तक दे दी है। ये वाय क्या है, कैसे आया और इसका उपचार कैसे किया जा सकता है, इसके लिए अभी शोध चल रहे हैं, लेकिन न तो कोई इलाज है और न ही दवाई। फिल एकमात्र इलाज जो दुनिया अपना रही है, वो है, खुद का बचाव। सोशल डिस्टेंस बनाकर। साथ ही बचने के लिए नियमित तौर पर बीस सेकंड तक हाथों को धोना भी एक स्वागतयोग्य उपाए है, लेकिन जिन आदिवासी इलाकों और कस्बों को साफ पानी हीं नहीं मिलता, वे मलयुक्त दूषित पानी से हाथ धोते है और अन्य उपयोग में भी लाते हैं। ऐसे में दूषित पानी से हाथ धोकर कोरोना से बचा जा सकेगा। विभिन्न देशों की सरकारों को सबसे पहले इन लोगो को साफ पानी उपलब्ध कराना है। वरना लोग ऐसे ही मरते रहेंगे, और हम हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण की शपथ लेते रहेंगे।


लेखक - हिमांशु भट्ट (8057170025)


 

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