जल संरक्षण को लेकर बढ़ रही है जागरूकता

28 Apr 2021
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जल संरक्षण को लेकर बढ़ रही है जागरूकता
जल संरक्षण को लेकर बढ़ रही है जागरूकता

जैसे जैसे  उत्तराखंड में जल संकट बढ़ रहा है वैसे वैसे लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरुकता भी बढ़ रही है। दिल्ली से लगभग 600 किलोमीटर दूर  उत्तराखंड चमोली जिले की ग्रामसभा नैणी के झुरकंडे गाँव की कमला भंडारी ने अपने परम्परागत ज्ञान  से पेयजल स्रोत्रों को जिंदा करने के साथ जल संग्रहित कर गांव की महिलाओं को प्रेरणा दी  है। 

50 साल की कमला भंडारी  किसान है। प्राकृतिक स्रोतों के सूखने के कारण पिछले कुछ सालों से उनको अपनी फसलों के लिये पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा था। जिसके कारण उनकी खेती प्रभावित हो रही थी। इसके बाद कमला ने प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के साथ बारिश के पानी को भी संरक्षित करना शुरू कर दिया। कमला ने  उन सभी जल स्त्रोतों  के आस पास पौधे रोपण किया  जिनसे उनके खेतों तक पानी पहुँचता था। और  बारिश के पानी को संरक्षित करने  के लिये पहाड़ो में बड़े बड़े  गड्ढे  किये। आखिरकार 5 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और प्राकृतिक जल स्त्रोत जो सूख गए थे वह पुनर्जीवित हो गए। 

कमला ने  20 नाली भूमि में  परम्परगत खेती को छोड़ एक हिस्से में सेब नींबू माल्टा लगाने के लिये खेतों में बड़े बड़े पानी के टैंक बनाये और बारिश के  पानी को संरक्षित किया।कमाल भंडारी के इस प्रयास ने गांव की दूसरी महिलाओं को प्रेरित किया। जिसके बाद महिलाओं ने स्वयं सहयता समूह बनाकर खेतों में फल सब्जी उत्पादन करने में जुट गई। महिलाओं की कड़ी मेहनत से फसलों का अच्छा खासा उत्पादन होता है और जिसे वह गांव के पास की सब्जी मंडी में भी बेचती है। गाँव की महिलाओं की शानदार पहल की तारीफ करते हुए ग्राम प्रधान ज्योति कैलखुरा  कहती है, जल संरक्षण को लेकर महिलाओं का यह अथक प्रयास सराहनीय और प्रेरणादायक है 

वही  उत्तराखंड के चमोली जिले से सटे  रुद्रप्रयाग जिले की जखोली ब्लॉक के ग्राम पंचायत लुठियाग में कुछ महिलाओं ने सामूहिक प्रयास से जल संरक्षण की दिशा में शानदार काम किया है ।महिलाओं ने छोटी झील बनाकर वर्षा के पानी को संरक्षित  कर  गांव में सूख चुके प्राकृतिक स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का काम किया है। प्राकृतिक स्त्रोतों पुनर्जीवित होने से गांव में पानी की समस्या भी दूर हुई है। गांव में महिलाओं की और से किये गए जल प्रबंधन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  भी तारीफ कर चुके है  ।

उत्तराखंड में ऐसे कई क्षेत्र है जहाँ लोग जल संरक्षण को लेकर जागरूक हुए है और वह बिना किसी सरकारी मदद के जल संरक्षित कर रहे है 

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