'जल जागरूकता सप्ताह' के तहत बीकानेर में कार्यशाला

जल का हमारे जीवन में सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व है और जीवन के हर पल व उत्सव से जल जुड़ा हुआ है ऐसी स्थिति में जल के महत्व को समझना हम सबके लिए जरूरी है। ऋषि कुमार तंवर ने बताया कि जल संकट का यह दौर समझदारी व ज्ञान के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है अन्यथा भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। जब तक जल के प्रति चेतना का भाव पैदा नहीं होगा तब तक जल के प्रति समझ पैदा नहीं होगी। बीकानेर, 24 फरवरी, जल बचत, जल संरक्षण, परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण, जल का स्वास्थ्य पर प्रभाव, जल की गुणवत्ता की जिले में स्थिति व जन सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा चलाए जा रहे जल जागरूकता सप्ताह के तहत आज बीकानेर में बीजेएस रामपुरिया विधि महाविद्यालय के प्रांगण में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में बोलते हुए जिला प्रमुख श्री नारूराम जी ने कहा कि जल हमारे जीवन की अमूल्य निधि है व जल के बिना जीवन संभव नहीं है। नारूराम ने बताया कि पुराने जमाने में पानी की बूंद-बूंद को सहेज कर रखा जाता था और तालाब व कुएॅं का पानी पीने के काम में लिया जाता था। उन्होंने कहा कि वह एक समय था जब पानी के महत्व को जीवन के प्रत्येक भाग में रेखांकित किया गया था और लोग जल के प्रति जागरूक थे और जल के महत्व को समझते थे और जल को सहेजते थे परन्तु वर्तमान समय में विलासिता के जीवन ने जल के महत्व को कम कर दिया है और आज पानी का जमकर दुरूपयोग हो रहा है।

नारूराम जी ने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ जनप्रतिनिधि भी मिल कर काम करें और जनता अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएॅं तभी इस जल संकट के दौर को थामा जा सकता है। जिला प्रमुख ने उपस्थित प्रतिभागियों को आह्वान किया कि वे यहां से यह संकल्प लेकर जाएं कि वे अपने जीवन में जल का समुचित प्रयोग करेंगे व जल बचत के साधनों को अपनाएंगे।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता वृत बीकानेर श्री मकबूल खान पठान ने पावर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से जिले में जल की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि किन-किन साधनों से जीवन में जल की बचत की जा सकती है।

श्री मकबूल खान पठान ने कहा कि वर्तमान में हम अपने जीवन की दैनिक क्रियाओं में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हजारों लीटर पानी बचा सकते हैं और जल बचत में अपना योगदान दे सकते हैं। अधीक्षण अभियंता महोदय ने ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के उपायों पर विस्तार से बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में तालाब, कुओं, बावड़ियों का संरक्षण करके, पायतन, आगोर का संरक्षण करके व पुराने जमाने के तरीकों को अपनाकर वर्तमान में जल संरक्षण किया जा सकता है।

जल जागरूकता सप्ताहकार्यक्रम में अपने स्वागत भाषण में तकनीकी सहायक श्री ऋषि कुमार तंवर ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि जल का हमारे जीवन में सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व है और जीवन के हर पल व उत्सव से जल जुड़ा हुआ है ऐसी स्थिति में जल के महत्व को समझना हम सबके लिए जरूरी है। ऋषि कुमार तंवर ने बताया कि जल संकट का यह दौर समझदारी व ज्ञान के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है अन्यथा भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए सेवानिवृत अधीशाषी अभियंता श्री बी.जी व्यास ने कहा कि जब तक जल के प्रति चेतना का भाव पैदा नहीं होगा तब तक जल के प्रति समझ पैदा नहीं होगी। व्यास ने बताया कि वर्तमान समय में आर्थिक युग है और जो वस्तु सरलता से व सस्ती उपलब्ध हो उसकी कद्र इंसान नहीं करता और यही हाल पानी का है।

सरकार सस्ता व सुलभ तरीके जल उपलब्ध करवा रही है इसलिए जल के प्रति संवेदना नहीं रही। व्यास ने कहा कि इसके लिए जरूरत है कि जल की वास्तविक कीमत वसूल की जाए भले ही उसे सब्सीडी के रूप में वापस लौटा दिया जाए और ऐसा करने से ही जल के प्रति सम्मान का भाव पैदा होगा।

जल जागरूकता सप्ताहकार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रयोगशाला के वरिष्ठ रसायनज्ञ डाॅ. मनोज शर्मा ने बीकानेर जिले में जल की लवणीय स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से फ्लोरोसिस, नाइट्रेट की अधिक मात्रा से आफरा, व अन्य लणवों की मात्रा से ब्लू बेबी जैसे रोग हो जाते हैं और मृत्यु तक हो सकती है। डाॅ. शर्मा ने कहा कि हमें पानी के केमिकल स्थिति का पता होना चाहिए और हमें पीने योग्य पानी ही पीना चाहिए। अगर हम पीने योग्य पानी नहीं पीते और दूषित जल का प्रयोग करते हैं तो जीवन को गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।

इस अवसर पर भूजल विभाग के भूजल वैज्ञानिक श्री पन्नालाल गहलोत ने बीकानेर जिले में भूजल की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री पन्नालाल गहलोत ने बताया कि वर्तमान में बीकानेर में भूजल का स्तर गिरता जा रहा है और यह जल संकट की गंभीर स्थिति है। पन्नालाल गहलोत ने बताया कि किस तरह पानी का समुचित उपयोग कर कम पानी की फसलों को लिया जा सकता है और किस तरह भूमिगत जल को रिचार्ज किया जा सकता है।

इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए रामपुरिया विधि महाविद्यालय के प्रिंसीपल डाॅ अनन्त किशोर जोशी ने कहा कि युवाओं में व विद्यार्थियों में जल बचत के तरीकों का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार किया जाए तो अच्छा होगा। डाॅ. जोशी ने शहरी क्षेत्र में जल के दुरूपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आरामपंसद जीवन ने जल की बर्बादी को बढ़ाया है।

जल जागरूकता सप्ताहजन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने सहायक अभियंता श्री दिनेश चौधरी ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट कर धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यशाला का संचालन जिला आईईसी सलाहकार श्याम नारायण रंगा ने किया। इस कार्यशाला में उप मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ इन्दिरा प्रभाकर, सामाजिक कार्यकर्ता डाॅ. अशोक आचार्य, मरूधर रोटरी क्लब के आनन्द आचार्य, अधिशाषी अभियंता अरूण कुमार पाण्डेय, अधिशाषी अभियंता श्री शरद माथुर, अधिशाषी अभियंता एसके कश्यप, भूजल वैज्ञानिक डाॅ. शंकरलाल सोनी, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी नन्दलाल शर्मा, भूजल वैज्ञानिक डी एस बिदावत, जिला एचआरडी सलाहकार नवीन कुमार सारस्वत, भूजल वैज्ञानिक डाॅ. मनोज पंवार, जिला एमएंडई सलाहकार योगेश बिस्सा सहित जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, जल संसाधन विभाग, भूजल विभाग के अधिकारी व जिला स्तरीय अन्य अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, गैर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, पत्रकार व प्रेस मीडिया के लोग आदि आदि उपस्थित थे।

जल जागरूकता सप्ताह

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