जल संरक्षण और अपशिष्ट जल प्रबंधन के कारपोरेटी प्रयास

8 Oct 2008
0 mins read
चूंकि कंपनियां पानी की सबसे बड़ी उपयोगकर्ता और उत्सर्जक हैं। ऐसे में भारत में पानी और सफ़ाई की स्थिति में कंपनियों की निर्णायक भूमिका है। खासतौर इस समय की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास के संदर्भ में इस पक्ष का महत्व और बढ़ गया है। कंपनियों की गतिविधियों का पर्यावरण और संसाधनों पर पड़ रहे असर की आलोचनात्मक परख के साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि पर्यावरण के नज़रिए से कंपनियों के ज़िम्मेदारी भरे कदमों की सराहना भी की जाए। चाहे उनकी सीमा कुछ भी हो। आगे भारत की प्रमुख घरेलू और बहुराष्ट्रीय, सरकारी और निजी कंपनियों के प्रयासों का वर्णन किया गया है।

भारत पेट्रोलियम, थाणे जिला, महाराष्ट्र: बूंद परियोजना



भारत पेट्रोलियम की बूंद परियोजना तेल विकास बोर्ड से वित्त पोषित है और द ब्रिज़ चैरिटिबल ट्रस्ट इसमें एनजीओ साझीदार है। यह परियोजना महाराष्ट्र के कसारा क्षेत्र के पांच गावों में चलाई जा रही है जहां की कुल आबादी करीब 6,500 है। यह इलाका पश्चिमी घाट के भारी बारिश वाला इलाका है। खास कर मॉनसून के दौरान यहां जमकर बारिश होती है लेकिन फरवरी-मार्च के दौरान यह क्षेत्र सूख जाता है और अगले मॉनसून तक यही हालत रहती है। इस परियोजना का लक्ष्य मौसमी पानी की कमी वाले जनजातीय क्षेत्र को पर्याप्त पानी, खासकर साफ पेय जल मुहैया कराने के साथ-साथ स्थायी खेती के अवसर पैदा कर पलायन और बच्चों के स्कूल छोड़ने की घटनाओं को कम करना है।

यहां क्लिक करें और पीडीएफ फाइल डाउनलोड करें



Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading