जल संरक्षण के प्रयासों को जीवनशैली का हिस्सा बनाए

3 Oct 2019
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कार्यक्रम को संबोधित करते राज्यमंत्री जसवंत सैनी।
कार्यक्रम को संबोधित करते राज्यमंत्री जसवंत सैनी।

महात्मा गांधी ने कहा था कि नदियों को साफ रखकर हम अपनी सभ्यता को जिंदा रख सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो, वह स्वस्थ भी नहीं रह सकता। शौचालय को अपने ड्राॅइंग रूम की तरह साफ रखना जरूरी है। साथ ही बेहतर साफ सफाई से भारत के गांवों को आदर्श बनाया जा सकता है। गांधी जी के ये विचार आज भी समाज को एक नई दिशा और बदलाव के लिए प्रेरित कर रहे हैं और देश के करोड़ों लोग इन्ही विचारों को आत्मसात कर ‘‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’’ का निर्माण करने की ओर प्रयासरत हैं और दो अक्टूबर को देश भर गांधी जी की 150वी जयंती को धूमधाम से मनाया। सभी ने प्लास्टिकमुक्त भारत का संकल्प लिया तथा अपने आस पास के क्षेत्र में सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश दिया। सहारनपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने भी देवबंद स्थित मिरगपुर के गुरु बाबा फकीर दास इंटर काॅलेज में जल शक्ति अभियान के अंतर्गत जागरुकता मेला, प्रदर्शनी एवं गोष्ठी का आयोजन किया। जिसके माध्यम से सभी ग्रामीणों, किसानों और छात्र-छात्राओं को उन्नत कृषि, स्वच्छता और जल संरक्षण के प्रति जागरुक किया गया। कार्यक्रम में इंडिया वाटर पोर्टल (हिंदी) मीडिया पार्टनर की भूमिका में रहा।

राज्यमंत्री जसवंत सैनी महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है। पानी के बिना जीवन संभव नहीं है, लेकिन पानी के प्रति हम बेपरवाह है। जीवन के लिए सबसे पहले हवा की आवश्यकता है तो पानी की भी उतनी ही आवश्यकता है। शुद्ध हवा और शुद्ध जल के लिए हमें अभी से प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने 15 साल पहले कहा था कि अगला विश्वयुद्ध जल के कारण होगा। कहीं न कहीं आज ऐसी स्थिति बनती दिख रही है, क्योंकि दुनिया भर में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है और प्राकृतिक संपदाओं से संपन्न भारत देश भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील की कि खेती और घर में जितने पानी की जरूरत है उतना ही उपयोग करें, वर्षा जल को संरक्षित करें। राज्यमंत्री जसवंत सैनी ने कहा कि प्लास्टिक का कचरा देश के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए समस्या बन गया है। देश को प्लास्टिकमुक्त कराने के लिए सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू किया है, लेकिन ये केवल सरकार का अभियान नहीं है बल्कि इसे जन अभियान के रूप में बदलना होगा और प्रकृति को बचाने के लिए सभी को प्लास्टिक का बहिष्कार करने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार के स्वच्छ भारत अभियान का भी जिक्र किया जिसके अंतर्गत देश में स्वच्छता व्यवस्था को बनाए रखने लिए शौचालय बनाए गए हैं। 

देवबंद के उप जिलाधिकारी आरके सिंह ने कहा कि जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। जल है तो जीवन है। जल के बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। वर्तमान जीवनशैली से जल संसाधनों को लगातार समाप्त होते जा रहे हैं। उसे रोकने के लिए आवश्यक है कि हम इसमें सुधार कर अधिकाधिक जल संरक्षण की दिशा में प्रयास करें। उन्होंने कहा कि वर्षा जल और भूजल के निरंतर संरक्षण के लिए सभी प्रयास करें और पारंपरकि जलस़्त्रोतों का पुनरुद्धार कर उनका संरक्षण करना भी आवश्क है। साथ ही स्कूलों और काॅलेज आदि में वर्षा जल संरक्षण कर भूजल को रिचार्ज कर पानी के संकट को कम किया जा सकता है। उन्होंने जल संरक्षण के सभी प्रयासों को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की अपील की।

संयुक्त निदेशक कृषि डाॅ. डीएस राजपूत ने कहा कि जमीन के अंदर पानी को उत्पन्न करने का कोई माध्यम नहीं है। वर्षा के जल को जमीन सोख लेती है और इससे भूजल के भंडार में जल एकत्रित होता है। इस भूजल के दम पर ही ही संसार का जीवन चल रहा है, लेकिन भूजल की हमन दुर्दशा कर दी है। उन्होंने कहा कि पानी की कोई कीमत यदि हमारे दिमाग में होती तो पानी को हम बर्बाद नहीं करते। यदि हम इसी प्रकार पानी बर्बाद करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब अन्य स्थानों की स्थिति बुंदेलखंड से भी ज्यादा बुरी हो जाएगी। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण विषय पर आधारित कला आदि प्रतियोगिता का आयोजन कर विजेताओं को पुरस्कृत किया। इंडिया वाटर पोर्टल (हिंदी) की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा विशिष्ट अतिथि के रूप में और पशुचिकित्साधिकारी डाॅ. अमित कुमार, सहायक निदेशक कृषि रक्षा डाॅ. राकेश बाबू, इंजीनियर विजेंद्र कुमार, प्रधानाचार्य विजेंद्र कुमार, ब्रजभूषण त्यागी, संदीप त्यागी, ऋषिपाल, रविकांत, हरिओम और सुधीर सैनी आदि उपस्थित रहे।

 

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