जल संरक्षण

13 Oct 2008
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जल संरक्षण

वर्षों से बढती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण में वृद्धि तथा कृषि में विस्तार होने से जल की मांग बढती जा रही है । अतएव जल संरक्षण आज की आवश्यकता बन गई है । वर्षा जल संचयन मूल्यतः भवनों की छतों पर इकट्ठा करके भूमि में संरक्षण करके आगे काम में लेने की प्रक्रिया है । इसके लिए यह अत्यावश्यक है कि भू-जल की गिरावट तथा भू-जल स्तर में सुधार किया जाए तथा समुद्र के जल का अंतर्गमन अर्थात समुद्री जल को भूमि की तरफ आने से रोका जाए और वर्षा मौसम के दौरान सतही जल का अपवाह तथा शहरी अपशिष्ट जल का संरक्षण किया जाए ।



जल संरक्षण के लिए आप क्या कर सकते है ?

o -यह जांच करें कि आपके घर में पानी का रिसाव न हो।

o -आपको जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।

o -पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।

o -मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा आवश्यकता होने पर ही खोलें ।

o -नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें।

o -ऐसी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे अधिक जल की खपत न हो ।

o -खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को धोते समय नलो का खुला न छोड़े ।

o -जल को कदापि नाली में न बहाएं बल्कि इसे अन्य उपयोगों जैसे - पौधों अथवा बगीचे को सींचने अथवा सफाई इत्यादि में लाए ।

o -सब्जियों तथा फलों को धोने में उपयोग किए गए जल को फूलों तथा सजावटी पौधों के गमलों को सींचने में किया जा सकता है ।

o -पानी की बोतल में अंततः बचे हुए जल को फेंके नही अपतु इसका पौधों को सींचने में उपयोग करें।

o -पानी के हौज को खुला न छोड़ें ।

o -तालाबों, नदियों अथवा समुद्र में कूड़ा न फेंके ।

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