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जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए निमंत्रण
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प्रिय मित्रों,
जैसा कि आप सभी जानते हैं, हिमालय की बर्फ़ और वहाँ से निकलने वाली नदियों की वजह से भारत की लगभग आधी आबादी कहीं न कहीं प्रभावित होती है। भारतीय संस्कृति में हिमालय का सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व एक विशाल आधार लिये हुए है। आज जबकि समूचे विश्व में जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि हिमालय और आसपास के क्षेत्र पर इसका क्या, कैसा और कितना प्रभाव पड़ेगा, तथा इससे बचाव के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण प्रदूषण की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक महाद्वीपों से लगातार पिघलने वाली बर्फ़ के बारे में लगातार सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं। जबकि हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के पिघलने के बारे में कोई विशेष जागरुकता नहीं दिखाई दे रही, जबकि इसकी वजह से भारत की जनसंख्या का विशाल भाग प्रभावित होगा। वर्तमान में धरती का सिर्फ़ 10 प्रतिशत हिस्सा ही बर्फ़ से ढँका हुआ है, जिसमें से 84.16% अंटार्कटिक, 13.9% ग्रीनलैण्ड, 0.77% हिमालय, 0.51% अफ़्रीका, 0.15% अमेरिका तथा 0.06% यूरोप में है। यदि पृथ्वी के ध्रुवीय इलाकों को छोड़ दिया जाये तो धरती पर उपलब्ध कुल ग्लेशियरों में अकेले हिमालय का हिस्सा 9.04% का है, जिसमें अतिरिक्त 30-40% का इलाका और भी है जो कि बर्फ़ से ढंका होता है, अर्थात एक तरह से कहा जाये तो हिमालय का इलाका धरती का तीसरा ध्रुव कहा जा सकता है।

इसी 'तीसरे ध्रुव' अर्थात हिमालय पर वैश्विक जलवायु परिवर्तन का कैसा असर पड़ेगा इस विषय पर रिसर्च फ़ाउण्डेशन फ़ॉर साइंस, टेक्नॉलॉजी एंड ईकॉलॉजी / नवदन्या के सौजन्य इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की साझेदारी में एक राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस का आयोजन 17 नवम्बर 2009 को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली स्थित सभागृह में रखा गया है।

इस कॉन्फ़्रेंस में प्रमुख वैज्ञानिकों के शोध प्रस्तुतीकरण के अलावा स्थानीय समुदायों द्वारा किये गये कार्यों को प्रमुखता से रखा जायेगा। इस अवसर पर एक पुस्तक 'क्लाइमेट चेंज इन द हिमालयाज़' का भी विमोचन किया जायेगा। इस पुस्तक में सम्बन्धित क्षेत्र में वैज्ञानिकों और अन्य संस्थाओं द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्य के बारे में बताया गया है। साथ ही 'दुनिया की छत' अर्थात लद्दाख पर आधारित एक फ़िल्म का भी प्रदर्शन किया जायेगा।

रिसर्च फ़ाउंडेशन फ़ॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इकोलॉजी / नवदन्य, पिछले एक वर्ष के भी अधिक समय से लगातार हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की जटिलताओं के बारे में जागरुकता फ़ैलाने के काम में लगा हुआ है। इस संस्था द्वारा पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिये स्थानीय समुदायों को अपने साथ जोड़कर एक भागीदारी की व्यवस्था निर्मित की है ताकि हिमालय में हो रहे परिवर्तनों का सूक्ष्म विश्लेषण किया जा सके। वैज्ञानिक समुदाय के साथ मिलकर इस क्षेत्र की जल प्रणालियों, जैव विविधता और कृषि सिस्टम पर भी गहन शोध और आकलन करने की योजना है।

इस महत्वपूर्ण कॉन्फ़्रेंस में आपकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म तथा कार्यक्रम की रूपरेखा साथ में संलग्न की जा रही है। कृपया आपके आगमन की सूचना और भागीदारी की पुष्टि के लिये जल्द से जल्द himalaya@navdanya.net पर संपर्क करें…

धन्यवाद…
आपके ही,
डा. वंदना शिवा
संस्थापक निदेशक

कृपया कार्यक्रम डिटेल के लिए संलग्नक (Attachment) देखें। रजिस्ट्रेशन फार्म भी संलग्न है।