जमीन देखने गए प्रभावितों पर अतिक्रमणकारियों का हमला

हमले में सरकारी कर्मचारी एवं आंदोलनकारी भी घायल जमीन देखने गए प्रभावितों और एनवीडीए कर्मचारियों पर आज ग्राम रिंगनोद में अतिक्रमणकारियों ने हमला कर दिया। हमले में 7 लोग घायल हो गए हैं। आज सुबह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण अलिराजपुर की 16 सीटर गाड़ी में सरदार सरोवर डूब प्रभावित ग्राम ककराना के 10 प्रभावित उन्हें सरकार द्वारा प्रस्तावित जमीन देखने के निकले थे।

उनके साथ एनवीडीए के पटवारी श्री मकना डावर एवं आंदोलन के कार्यकर्ता श्री कैलाश अवास्या एवं गंगेश भारद्वाज भी थे।

शाम 6 बजे के लगभग जब प्रभावित जमीन देख रहे थे तभी उस जमीन पर काबिज करीब 20 लोग एवं 10 महिलाएँ आ गई और उन्होंने बजाया कि इस जमीन पर उनका तीन पीढ़ियों से कब्जा है। जो यह जमीन हमसे छीनने की कोशिश करेगा उसे मार डालेंगें लेकिन जमीन नहीं छोड़ेंगें।

प्रभावितों और आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने उत्तेजित स्थानीय लोगों को समझाने का प्रयास किया कि यदि जमीन अतिक्रमित हैं तो वे इसे स्वीकार नहीं करेंगें। उन्होंने स्थानीय पटवारी के साथ मिलकर पंचनामा बनवाना चाहा ताकि सिद्ध हो सके कि उन्हें प्रस्तावित जमीनों पर अतिक्रमण है।

लेकिन इसी दौरान स्थानीय लोगों ने प्रभावितों और सरकारी कर्मचारियों घेर लिया तथा पत्थरों से हमला बोल दिया। प्रभावितों और कर्मचारियों को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी। इस हमले में ग्राम ककराना के प्रभावित नानसिंह पातु, सुरभान नानसिंह और नकला नानसिंह सहित नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (अलिराजपुर) के पटवारी श्री मकना डावर एवं आंदोलन के कार्यकर्ता श्री कैलाश अवास्या और गंगेश भारद्वाज भी घायल हुए हैं।

उद्योगपतियों को बुलाबुला कर जमीन की खैरात बाँटने वाली सरकार के पास बाँध प्रभावितों के लिए जमीन नहीं है। पुनर्वास के नाम पर सरकार या तो खेती के आयोग्य बंजर भूमि प्रस्तावित कर रही है या फिर ऐसी जमीन दिखा रही है जो स्थानीय समुदायों द्वारा वर्षों से अतिक्रमित है। सरकार के इस रवैये से समुदायों के मध्य विवाद पैदा होंगें और उसके हिंसक परिणाम सामने आयेंगें।

बेहतर होगा सरकार नर्मदा न्यायाधिकरण की शर्तो, पुनर्वास नीति और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करें तथा बाँध प्रभावितों को खेतीलायक सिंचित जमीन आवंटित करें और समुदायों के मध्य तनाव पैदा होने से रोकें।

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