जनान्दोलनकारियों की सहायता करेगा कानूनी सहायता केन्द्र

3 Mar 2015
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किसान व मजदूर ऐसी बिजली नहीं चाहता जिसकी कीमत जल, जंगल, जमीन देने के बाद मिले। जमीन की अन्धाधुन्ध लूट के पीछे जो कारण छिपा हुआ है उसे आन्दोलनकारी जानता और समझता भी है। क्योंकि जमीन अधिग्रहण को लेकर ऐसा ही दमन पूरे भारत में हो रहा है। इसके पहले भी विनायक सेन, विश्वविजय व सीमा पर पुलिस का कहर टूट चुका है। पुलिस कितने ही झूठे आरोप लगाए लेकिन किसान अब चुप बैठने वाले नहीं। क्योंकि उससे उसकी जमीन, रोजगार व सम्मान छीना जा रहा है। इलाहाबाद के अति उपजाऊ क्षेत्र यमुनापट्टी में तीन विद्युत घर बन रहे हैं। जिसके विरोध में करछना, बारा व मेजा के किसान आन्दोलनरत हैं। वहाँ के स्थानीय किसान व मजदूर कोयले से बनने वाली बिजली के समर्थक नहीं हैं। विरोध कर रहे किसान व मजदूर को दबाने के लिए पुलिस दमन कर रही है। संवेदनहीनता इस कदर कि मेजा के सलैया कला में खड़ी फसल को रौंद दिया गया, जिसे देख किसान तड़प उठा। दिन-ब-दिन प्रशासन का मनमाना बढ़ रहा है। केवल आश्वासन की लाॅलीपाॅप दूर से दिखानी की कोशिश की जा रही है। इससे किसानों में और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप आन्दोलन की धार और तेज होती जा रही है।

इलाहाबाद में लग रहे पावर प्लांट के तीनों जगहों के किसान व मजदूर मिलकर के पुलिसिया दमन से बचाव करने के लिए इलाहाबाद के कोहड़ार में प्रगतिवाहिनी कानूनी सहायता केन्द्र खोला। यह प्रयास दमन विरोधी मंच के प्रो. ओडी सिंह, अंशू मालवीय विस्थापन विरोधी मंच राजीव सिंह चन्देल के प्रयास का सकारात्मक परिणाम रहा। इस अवसर पर इलाहाबाद के जेबी पन्त समाज विज्ञान संस्थान के प्रो. सुनीत सिंह ने 25 तारीख को इस केन्द्र का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर प्रो. ओडी सिंह, अंशू मालवीय अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा जिलाध्यक्ष रामकैलाश, सहजाद अख्तर, गीता देवी, सुमन अवस्थी, तिलकधारी निषाद, रोशन लाल, राम आसरे, अमर बहादुर, भण्डारी लाल व जिला प्रबन्धक नाबार्ड राजीव जेटली ने अपने-अपने विचार में एक बात प्रमुखता से कही कि कानूनी सलाह केन्द्र किसानों, मजदूरों स्थानीय लोगों व आन्दोलनकारियों के लिए वरदान साबित होगी।

इसके साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भी किसानों के लिए कानूनी सहायता देने का बीड़ा उठाया है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं का एक पैनल बना, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय पारिख व पारूल गुप्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रवि किरण जैन सत्येन्द्र सिंह, सलिल श्रीवास्तव अरूण प्रकाश सिंह व कचहरी से साहब लाल निषाद , प्रेम शंकर पाण्डेय व विनय प्रकाश यादव प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। इस केन्द्र के द्वारा कचहरी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की सहायता दी जाएगी। इस सकारात्मक प्रयास को देखते हुए वहाँ के स्थानीय लोगों में काफी उम्मीदें जगी हैं।

इस केन्द्र को खोलने की मुख्य वजह आपको बताऊँ- जब विस्थापन विरोधी मंच के संस्थापक ने किसानों से जबरन ली जा रही भूमि व विस्थापन का विरोध करना शुरू किया तो उन पर जिला बदर व अनेक मुकदमें लाद दिए गए। अन्य किसानों पर नामजद एफआईआर कर दिया गया। करछना के कचहरी में भी पुलिस ने इसी तरह से उत्पीड़न किया। बारा के स्थानीय लोगों ने भी जब ताप घर को पानी देने से इंकार कर दिया तो वहाँ पर भी पुलिस ने अपना कहर मचाया। बारा में चल रहे बालू आन्दोलनकारियों पर भी फर्जी मुकदमें गढ़े गए।

दरअसल, किसान व मजदूर ऐसी बिजली नहीं चाहता जिसकी कीमत जल, जंगल, जमीन देने के बाद मिले। जमीन की अन्धाधुन्ध लूट के पीछे जो कारण छिपा हुआ है उसे आन्दोलनकारी जानता और समझता भी है। क्योंकि जमीन अधिग्रहण को लेकर ऐसा ही दमन पूरे भारत में हो रहा है। इसके पहले भी विनायक सेन, विश्वविजय व सीमा पर पुलिस का कहर टूट चुका है। पुलिस कितने ही झूठे आरोप लगाए लेकिन किसान अब चुप बैठने वाले नहीं। क्योंकि उससे उसकी जमीन, रोजगार व सम्मान छीना जा रहा है।

समाज को बेहतर ढंग से चलाने के लिए कानून बनाया जाता है ताकि अबाधित ढंग से लोगों का जीवन चलता रहे। कानून होते हुए भी गाँव के लोग अनभिज्ञ हैं। इस केन्द्र के खुलने से वहाँ के लोगों में एक आशा की नई किरण जगी है। इस केन्द्र से लोगों को सहज ढंग से कानूनी सहायता दी जाएगी। जिससे गाँव के लोगों में भी कानून की सही जानकारी व मदद पहुँचाया जा सके।

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