जंगल लीलती परियोजना

khatm hote jangal
khatm hote jangal

जिस दिन आखिरी पेड़ काटे जायेंगे, वह दिन भी आयेगा जब अंतिम नदी प्रदूषित होगी और जिस दिन बची मछलियां भी मछुआरे के जाल में जा फंसेंगी, उस दिन आपको यह आभास होगा कि इंसान या पशु पैसे खाकर जिंदा नहीं रह सकते-ये पंक्तियां उस पत्र के चुनिंदा अंशों में एक हैं जो कालाहांडी के नियमगिरि पहाड़ी के आदिवासियों द्वारा उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखी गयी हैं। ये आदिवासी डोंगरिया कंद समुदाय के हैं, जो राज्य सरकार और स्टारलाइट औद्योगिक घराने की मिलीभगत की वजह सें उजड़ने को बाध्य है।

जिले के लांजीगढ़ प्रखंड में 4500 करोड़ की लागत से 7.3 करोड़ टन बॉक्साइट निकालने की एक योजना पर काम चल रहा है। उसमें अनुमानत: 1073.4 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण करने की योजना है, जिनमें 508.638 हेक्टेयर भू-भाग आरक्षित वन हैं। स्वाभाविक है, इतने विशाल जंगल को लीलने वाली इस परियोजना के ग्रास में सैकड़ों आदिवासी परिवार भी आ जायेंगे जिनके लिए जल, जमीन और जंगल जीवन के आधार हैं। इस परियोजना की भयावहता का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि कापागुडा, बेलंबा, तुरीगुडा, सिंधबहाली, बोरिंगपादर और बसंतपाड़ा समेत तीन दर्जन गांवों का अस्तित्व मिट जायेगा। अभी तक पचास हजार से कहीं ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं जिनकी कीमत लगभग 250 करोड़ रुपये के करीब है।

नियमगिरि सुरक्षा समिति के समन्वयक दया सिंह मांझी बीते साल फरवरी महीने के उस हादसे का जिक्र करते हैं कि किनरी गांव के 35 घरों पर जबरिया बुल्डोजर चलाये गये। विरोध करने पर औरतों-मर्दों को बंदूकों के बट से पीट-पीट कर लहूलुहान किया गया। मगर ग्रामीणों ने अपने टोला-टप्पर छोड़ने से इंकार कर दिया। ये पीड़ित लोग अपने पूर्वजों की जमीन और पुरखों की बस्तियां छोड़ने को राजी नहीं हैं लेकिन सरकार बेदर्द और निर्मोही तरीके से उनके साथ पेश आ रही है।

सरकार का तर्क है कि इस कारखाने से सैकड़ों लोग सीधे लाभान्वित होंगे, अभाव और वंचना से जूझ रहे इस इलाके के जीवन स्तर में सुधार होगा। चूंकि औद्योगीकरण की वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं, यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने बी एच पी बील्लीटन, वेदांत रिसोर्सेज, रियो टिटो मार्केटिंग, ऑलकन, टाटा ग्रुप और सऊदी अरब की कुछ नामी कंपनियों को 1600 मिलियन टन लौह अयस्क निकालने के लिए आमंत्रित किया है। ऐसे करीब डेढ़ दर्जन औद्योगिक घराने पूरे राज्य में 42 स्टील प्लांट स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। इनमें स्टर्लाइट पर पटनायक सरकार अपेक्षाकृत ज्यादा मेहरबान है, जिसे कालाहांडी के लांजीगढ़ के अलावा सुंदरगढ़ और क्योंझर में भी स्टील प्लांट बैठाने की गुपचुप सहमति मिलने की बातें चर्चा में हैं। स्टर्लाइट तांबा ढालने और तेलशोधन मामले की अग्रणी कंपनी इसके हाथ ही बेच दी गयी।

नियमगिरि आज आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व से जुड़ा मामला बन चुका है। दल जहां बहस के मूड में हैं, वहीं उन्होंने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि राज्य सरकार और स्टर्लाइट के बीच हुए उक्त करार की जांच सीबीआई द्वारा होनी चाहिए। इस विवाद की शुरुआत 1997 में हुई जब उड़ीसा माइनिंग कारपोरेशन (ओ एम सी) और वेदांत अल्युमिनियम लिमिटेड के बीच एक करार हुआ जिसके अंतर्गत नियमगिरि पहाड़ी और उससे जुडी रायगढ़ा के खंबासी की पहाड़ियों की छातियां खुरच कर बॉक्साइट निकालने की परस्पर सहमति की बात उजागर हुई। स्टर्लाइट को जनविरोध की वजह से अपना तूतीकोरिन प्रोजेक्ट बंद कर देना पड़ा, क्योंकि इसकी वजह इलाके में आर्सेनिक, सल्फर डाइऑक्साइड, सीसा जैसे अन्य घातक अकार्बनिक रसायनों से वातावरण प्रदूषित हो रहा था।

हालांकि मुख्यमंत्री इस बात का खंडन करते हैं कि किसी लालच या निहित स्वार्थ की वजह से स्टारलाइट को कालाहांडी और रायगढ़ में उत्खनन के लिए पट्टे पर जमीन दी गई। हकीकत यह है कि इस परियोजना को राज्य सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है। संबधित मंत्रालय की अनुमति का इंतजार है। उधर राज्य के विपक्षी दल स्टारलाइट के उत्खनन कार्य को अवैध उत्खनन कह कर राज्यपाल से इसे तुरंत बंद कराने की मांग भी कर चुके हैं। उन्हें उनके मूल से उजाड़े जाने का डर है। इससे भी बड़ी बात स्थानीय आबो-हवा, वनस्पति, जैव विविधता, वन्य प्राणी और बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के, जिनकी बदौलत इस भू-भाग को हिमालयी क्षेत्र के बाद सबसे अद्भुत और अभूतपूर्व वन्य क्षेत्र माना जाता है, सर्वनाश की तैयार होती रूपरेखा से है।

नियमागिरि सुरक्षा समिति के अनुसार पानी के अधिकाधिक दोहन से तेल-गोंद नदियों के सूखने का खतरा है जबकि हर साल करीब बीस लाख टन अपशिष्ट की वजह से नागावल्ली और वंशधारा विषधारा में तब्दील हो जायेंगी या उनका प्रवाह थम सकता है। इन नदियों के किनारे बसे करीब 580 गांव जल-प्रदूषण के चंगुल में फंस कर जानलेवा रोगों की चपेट में आ जायेंगे।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading