झील के जल संसाधन का विकास, संरक्षण तथा प्रबंधन का सिद्धांत

किसी भी भौगौलिक क्षेत्र के झील के जल संसाधन प्रबंधक अंततः उस क्षेत्र के जन समुदाय के सामाजिक, राजनितिक एवं आर्थिक मूल्यों एवं समृद्ध के लिए जिम्मेदार है। झील संसाधन प्रबंधन किसी भी क्षेत्र के सामाजिक एवं राजनितिक लक्ष्य को इंगित कर देना चाहिए। इन सामाजिक एवं राजनितिक लक्ष्य को परिभाषित करने का दायित्व सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के उपर है एवं इन दायित्वों का निर्वाह सरकार के विभिन्न कार्यालयों के स्तर पर निरंतर किये जा रहे हैं। ऐसे प्रबंधन दर्शन के तंत्र (सूचना तंत्र) भौगौलिक क्षेत्र (आवाह क्षेत्र) के सभी तरह के उपलब्ध ऑकड़ें पर आधारित होने चाहिए। एकिकृत आवाह क्षेत्र प्रबंधन आर्थिक-सामाजिक विकास के अविरल प्रबंधन निती को अपनाति हुई उस क्षेत्र के हर संसाधन को उपयोग में लाता है एवं जल संसाधन प्रबंधन का अंतिम लक्ष्य भी हर संसाधन को उपयोग में लाना है। अतः आवाह क्षेत्र का जल प्रबंधन एकिकृत आवाह क्षेत्र प्रबंधन का केंद्रिय घटक होना चाहिए क्योंकि किसी भी क्षेत्र का जल संसाधन वहां के सामाजिक,राजनितिक एवं आर्थिक विकास के संबंध का महत्वपूर्ण सूचक प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त जल गुणवत्ता सूचकांक उस क्षेत्र के जल संसाधन के निरंतर उपयोग को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक को व्यक्त करता है, खास कर भारत जैसे जल की कमी वाले देश में, क्योंकि जल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता उस क्षेत्र के भूमि, वायू एवं जल के पारस्परिक उपयोग को दर्शाता है। क्षेत्रिय जल प्रबंधन में उस क्षेत्र के सभी तत्वों को उद्भाषित करना चाहिए जो जल स्रोत के साथ-साथ उपभोक्ता पर पड़ते हुए प्रभाव को इंगित करता है। एकिकृत क्षेत्र प्रबंधन भौगौलिक वातावरण के पूर्ण समझ एवं अविरल प्रबंधन के लिए दिशा प्रदान करता है। जिसके उपर जल स्रोत की उपलब्धता एवं गुणवत्ता आधारित है।

यह प्रपत्र झील के जल संसाधन कि उपलब्ध्ता एवं गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए क्षेत्र के भौतिक संसाधनों के नियंत्रण, निर्धारण एवं प्रबंधन के लिए सिद्दांतों का ढांचा प्रस्तुत करता है। प्रस्तावित सिद्धांत जल संसाधन सूचना तंत्र के विकास पर जोड़ देता है एवं सूचना तंत्र के लिए नियंत्रित ऑकड़े के निर्धारण का वकालत करता है। अंततः यह प्रपत्र एकिकृत अविरल के तहत झील के जल प्रबंधन के लिए तकनिकी – वैज्ञानिक समर्थन विकास करने का अनुमोदन करता है।

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