कानून से असहमति का अर्थ उसका अपमान नहीं

10 Sep 2011
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(नागरिक अवज्ञा आंदोलन पर अमेरिकी पर्यावरण कार्यकर्ता टिम डेक्रिस्टोफर का वक्तव्य)


(वेस्ट वर्जिनिया के रहने वाले टिम डेक्रिस्टोफर पर्यावरण न्याय के लिए सक्रिय संगठन 'पीसफुल अपरायजिंग' से जुड़े हैं। पर्यावरण न्याय का मतलब है नदियां, पहाड़, जंगल आदि के साथ होने वाले गैरकानूनी व्यवहार को रोकना। नदियों को गंदा करना, जंगल को काटना या वहां अवैध खनन उनके साथ अन्याय है। अनेक पर्यावरणवादी यह अन्याय बंद कराने के लिए संघर्षरत हैं। जैसे हरिद्वार के निगमानंद ने गंगा के इलाके में अवैध खनन के खिलाफ आमरण अनशन करते हुए अपनी जान दे दी। टिम डेक्रिस्टोफर ने देखा कि वेस्ट वर्जिनिया में पहाड़ों व जंगलों को तेजी के साथ कार्पोरेट सेक्टर के हवाले किया जा रहा है। उसका विरोध करने के लिए उन्होंने हस्तक्षेप का एक अनूठा तरीका निकाला। एक बार जब कुछ पहाड़ों को नीलाम किया जा रहा था, तब वह भी वहां बोली बोलने वाले के तौर पर पहुंच गए। उन पर नीलामी में बाधा डालने का आरोप लगा। इसके लिए पिछले दिनों वहां की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें दो साल की कैद और 10 हजार डॉलर जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत में जब उनके खिलाफ सुनवाई चल रही थी, तब टिम ने अपनी सफाई में दिल को छू को लेने वाला वक्तव्य दिया था। पेश है उसका संक्षिप्त रूप)

 

मिलॉर्ड,


टिम डेक्रिस्टोफरटिम डेक्रिस्टोफरमुझ पर कई इल्जाम लगाए गए हैं। मेरे चरित्र को संदिग्ध घोषित करने वाली बातों पर गौर करते हुए मैंने महसूस किया कि विगत् ढाई साल के दौरान जब से अदालती प्रक्रिया चल रही है, एक बार भी माननीय न्यायाधीश ने मुझ पर लगाए गए आरोपों के बारे में मुझसे सवाल पूछने की जरूरत महसूस नहीं की। सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट के ज्यादातर हिस्सों में मुझ पर झूठा होने, झूठ बोलने के आरोप लगाए गए हैं। बहरहाल, उपरोक्त रिपोर्ट इस बात का उल्लेख नहीं करती कि नीलामी के वक्त जब मुझसे पूछा गया था कि मैं वहां क्या कर रहा हूं तब मैंने स्पष्ट शब्दों में बताया था कि मैं अपने इलाके के लोगों के भविष्य के लिए खतरा बन सकने वाली अवैध नीलामी की मुखालफत करने आया हूं। क्या मैंने यह झूठ कहा था? सरकार के मुताबिक यह बेहद जरूरी है कि मुझे लंबी अवधि तक जेल में रहने की सजा मिले ताकि मेरे द्वारा दिए गए राजनीतिक वक्तव्यों का विरोध किया जा सके तथा कानून के प्रति सम्मान को बढ़ावा दिया जा सके। इस अदालत की सोच से मेरे स्पष्ट मतभेदों के बावजूद, आप देख सकते हैं कि जब से मैं इस कक्ष में हूं, अदालत के अनुशासन और उसके सभी अधिकारों का पूरा सम्मान कर रहा हूं। लेकिन कानून के साथ असहमति का मतलब कानून का असम्मान तो नहीं होता मिलॉर्ड।

जैसा कि सरकारी दस्तावेज बताते हैं, मैंने अदालत के बाहर नागरिक अवज्ञा की जरूरत के बारे में भी अपनी बातें रखी हैं, जिसके अंतर्गत हम कानून के राज को न्याय के साझे बोध के करीब ला सकते हैं। दरअसल मैंने खुल कर अपने राज्य वेस्ट वर्जिनिया में कोयला खदान हेतु पहाड़ियों की चोटियों को नष्ट करने के खिलाफ अहिंसक नागरिक अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया है। पहाड़ की चोटियों को उड़ा देना अपने आप में एक गैरकानूनी काम है, जिसके चलते लोग मरते भी हैं। जांच में पता चला था कि मैसी एनर्जी कंपनी पर विगत् दस सालों में कानून उल्लंघन के 63,000 आरोप लगे हैं जिसकी चरम परिणति के तौर पर हम पिछले साल हुई आपदा में कंपनी के 29 कामगारों की मौत को देख सकते हैं।

जब मैं वेस्ट वर्जिनिया में बड़ा हो रहा था, तब मेरी मां उन लोगों में शामिल थी, जिन्होंने हर कानूनी रास्ते का सहारा लेकर यह कोशिश की थी कि कोयला उद्योग कानून के हिसाब से चले। कानून के राज के प्रति मुझमें पूरा सम्मान है क्योंकि मैं देख चुका हूं कि जब उस पर अमल नहीं होता है तो क्या होता है। मैसी एनर्जी द्वारा अंजाम दिए गए अपराधों से न केवल उनके अपने मजदूर मरे हैं, अनगिनत संख्या में स्थानीय निवासी भी काल कवलित हुए हैं। इसलिए हकीकत यह नहीं है कि कानून का मैं सम्मान नहीं करता, दरअसल मामला यह है कि मैं न्याय का अधिक सम्मान करता हूं। सरकार का अधिकार उसी हद तक बना रहता है जिस हद तक कानून का राज्य नागरिकों की उच्च नैतिक संहिता को प्रतिबिंबित करे। सरकार के ज्ञापन के मुताबिक, 'सजा को इस ढंग से देने की जरूरत है ताकि अन्य लोग इसी किस्म की आपराधिक गतिविधि को अंजाम न दे सकें।' उनका सरोकार मेरे द्वारा प्रस्तुत खतरे से नहीं है, बल्कि मेरे विचारों एवं मेरे शब्दों द्वारा प्रस्तुत खतरे से है, जो बाकियों को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है। शायद न्यायाधीश महोदय की चिंताएं वाजिब हैं। वह संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की नुमाइंदगी करते हैं और उनका काम है जो फिलवक्त हुकूमत में हैं, उनकी हिफाजत करना अर्थात उनके कार्पोरेट प्रायोजकों को खुश रखना।

लेकिन वेस्ट वर्जिनिया का निवासी होने के नाते बचपन से मैंने देखा है कि खनिजों के दोहन का स्थानीय आबादी के शोषण के साथ कितना गहरा नाता है। बाकियों को संपन्न बनाने की 150 साल से चल रही इस प्रक्रिया के बाद हम पाते हैं कि हमारा राज्य प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा की दर और दीर्घजीविता के मामले में सभी राज्यों में फिसड्डी है और यह कोई विरोधाभास नहीं है। खनिज संपदा के सबसे समृद्ध क्षेत्र, चाहे वे वेस्ट वर्जिनिया और केंटुकी के कोयला वाले इलाके हों या लुइसियाना और मिसिसिपी के तेल वाले इलाके, यहां जीवन स्तर न्यूनतम है। अपने पिछवाड़े को सुरंग से उड़ा देने या अपने पानी में जहर घोल देने के लिए लोगों को तभी तैयार किया जा सकता है जब वे इतने निराश हो जाएं कि कोई और विकल्प भी न खोज सकें। मैं आज इसीलिए कटघरे में हूं क्योंकि व्यवस्था का संचालन करने वाले कॉर्पोरेशंस के मुनाफे के बजाय मैंने उन लोगों की हिफाजत करने का संकल्प लिया है जिनके लिए व्यवस्था के सभी दरवाजे बंद हैं। सम्मानित न्यायाधीश हिसाब लगा रहे हैं कि मेरे हस्तक्षेप से उन कॉर्पोरेशंस को कितना नुकसान हुआ जिन्हें कौड़ी के दाम सार्वजनिक संपत्ति मिलने वाली थी, मगर क्या उसे इस ढंग से नहीं देखा जा सकता कि जनता को होने वाले कितने बड़े घाटे को मैंने बचा लिया? आज जब क्षितिज पर तमाम अकल्पनीय खतरे मंडरा रहे हैं, तब इसे ही हम उम्मीद कह सकते हैं। एक नैतिक तौर पर दिवालिया सरकार के वक्त में, जिसने अपने सिद्धांतों को बेच दिया है, इसे ही देशभक्ति कह सकते हैं। जहां अनगिनत जिंदगियां दांव पर लगी हों, उस वक्त इसे ही प्यार कह सकते हैं और तय मानिए वह बढ़ता ही जाएगा।

 

 

 

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