कावेरी विवाद का जिन्न फिर आया बाहर

4 May 2018
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कावेरी नदी
कावेरी नदी


कावेरी नदी (फोटो साभार - विकिपीडिया) कावेरी विवाद का जिन्न एक बार फिर बाहर आता मालूम पड़ रहा है वजह है सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के प्रति केन्द्र सरकार की उदासीनता। विगत दिनों जल विवाद पर तेवर तल्ख करते हुए कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाया है। विवाद पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए यह आदेश दिया कि तमिलनाडु को तत्काल 2 टीएमसी पानी छोड़ा जाये। आदेश का पालन न होने पर कोर्ट ने कठोर कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है।

मालूम हो कि कोर्ट ने फरवरी में कावेरी जल विवाद पर राज्यों के बीच जल बँटवारे के सम्बन्ध में फैसला सुनाया था। फैसले में प्रभावित राज्यों के बीच केन्द्र द्वारा जल बँटवारे के लिये एक स्कीम बनाने की बात कही गई थी। इसके लिये कोर्ट ने सरकार को एक माह का समय दिया था। अवधि के बीत जाने के बाद तमिलनाडु ने पिटीशन फाइल कर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।

इस मसले पर कोर्ट ने केन्द्र सरकार को 3 मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। पर सरकार ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केन्द्र सरकार फटकार लगाया और 8 मई तक जवाब दाखिल करने को आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए भारत के अटॉर्नी जनरल के के. वेणुगोपाल ने स्कीम न बन पाने का कारण प्रधानमंत्री एवं मंत्रिमंडल के सहयोगियों के कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होना बताया। उन्होंने मामले की सुनवाई के लिये कोर्ट से 12 मई के बाद की तारीख मुकर्रर करने की गुजारिश की लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया।

कोर्ट में तमिलनाडु का पक्ष रख रहे काउंसल शेखर नफडे ने कहा कि गर्मी बढ़ने के साथ ही तमिलनाडु में कावेरी जल बँटवारा को लेकर भी लोगों में रोष बढ़ रहा है इसलिये मसले को जल्द सुलझाया जाना चाहिए। नफडे द्वारा दिये गए तर्कों को सही ठहराते हुए कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि वह अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकता और उसे जल बँटवारे लिये स्कीम बनानी ही होगी।

मालूम हो कि कावेरी जल विवाद पर 16 फरवरी को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि पानी पर किसी भी स्टेट का मालिकाना हक नहीं बनता है। जल देश की सम्पत्ति है। फैसला सुनते हुए कोर्ट ने कर्नाटक को बिलिगुंडलू डैम से तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी पानी छोड़ने आदेश दिया था।

बंगलुरु में पानी की माँग को देखते हुए कोर्ट ने तमिलनाडु के हिस्से से 14.75 टीएमसी पानी की कटौती कर दी थी वहीं कर्नाटक के हिस्से में इतने ही हिस्से की बढ़ोत्तरी का आदेश दिया था। कावेरी नदी कर्नाटक के कुर्ग जिले में स्थित ब्रम्हगिरी पर्वत से निकलती है और तमिलनाडु, केरल और पांडिचेरी होते हुए सागर में समा जाती है। कावेरी बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका आता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक को 284.75 तमिलनाडु को 404.25 टीएमसी, केरल को 30 टीएमसी और पुदुचेरी को 7 टीएमसी पानी मिलेगा। कोर्ट का यह फैसला 15 साल के लिये लागू रहेगा। इस जल विवाद की शुरुआत 19 शताब्दी के अन्त में अंग्रेजी शासन के दौरान हुई। शताब्दी के अन्त में मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर के राजा के बीच उपजे इस विवाद को 1924 में सुलझाया गया।

लेकिन 1956 में तमिलनाडु और कर्नाटक के अलग हो जाने पर यह फिर सिर उठाने लगा और राज्यों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका। इस विवाद ने और तूल पकड़ा जब केरल और पुदुचेरी भी इसमें शामिल हो गए। 1976 में चारों राज्यों के बीच समझौता हुआ लेकिन विवाद नहीं सुलझ पाया। अन्ततः विवाद के निपटारे के लिये केन्द्र सरकार ने 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल बनाया। ट्रिब्यूनल ने 2007 में फैसला सुनाया था लेकिन इसे न मानते हुए कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।

क्या है विवाद

एक अनुमान के तहत कावेरी में 740 टीएमसी पानी इस्तेमाल के लिये उपलब्ध है जो नदी के एरिया में पड़ने वाले चारों राज्यों से इकठ्ठा होता है। विवाद की वजह है कर्नाटक और तमिलनाडु के इलाकों से नदी में डाले जाने वाली पानी और बँटवारे में मिलने वाले पानी की मात्रा में भिन्नता। उपलब्ध आँकड़े के अनुसार कर्नाटक नदी में 462 टीएमसी पानी डालता है जबकि उसे 270 टीएमसी पानी ही मिल पता था। तमिलनाडु 227 टीएमसी पानी डालता है जबकि उसे उपयोग के लिये 419 टीएमसी पानी मिलता था। केरल 51 टीएमसी पानी डालता है जबकि उसे 30 टीएमसी पानी इस्तेमाल के लिये मिलता था।

कर्नाटक की आपत्ति यह थी कि नदी में ज्यादा पानी डालने के बाद भी उसे तमिलनाडु से काम पानी इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों दी गई है। ट्रिब्यूनल ने भी अपने फैसले में तमिलनाडु को 192 टीएमसी पानी इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी जो कर्नाटक से ज्यादा थी। इसी मुद्दे को लेकर तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल ने ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

कावेरी फैक्ट फाइल

कावेरी कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल से होते हुए पुदुचेरी के कराइकल के पास पहुँचकर समुद्र में मिल जाती है।

नदी कुल 800 मीटर की दूरी तय करती है और कर्नाटक के कुर्ग इलाके से निकलती है जो पश्चिमी घाट में पड़ता है।

 

 

 

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