क्रियान्वयन रणनीति : एक नजर में

1. 10 एकड़ से अधिक कृषि जोत वाले 5000 किसानों का चयन।

2. नलकूप से सिंचाई घाटे का सौदा है। यह प्रतिपादित करते हुए किसानों से वर्षाजल संग्रहण को सर्वोच्च प्राथमिकता दिया जाने का आग्रह।

3. जल संकट से मुक्ति के लिए वर्षा जल संग्रहण ही एक मात्र विकल्प, इस बात का किसानों को अहसास कराना।

4. भूमि के दसवें हिस्से में जल संग्रहण संरचना (रेवासागर) निर्माण से 90 प्रतिशत भूमि में दो फसल उगाई जा सकती है। इस विचार का किसानों को अहसास कराकर, किसानों को प्रोत्साहित करना।

5. रेवासागर निर्माण हेतु संकल्पित किसानों को प्रशासन का मार्गदर्शन, सहयोग, सम्मान और अपनापन प्रदान कर, किसानों में जल संग्रहण हेतु जन चेतना जागृत करना।

6. किसानों का किसानों से संवाद कार्यक्रम ने प्रेरणा और प्रोत्साहन की दिशा में अहम भूमिका अदा की।

7. योग्य, अनुभवी, संकल्पित अधिकारी / कर्मचारी / किसानों / स्वयंसेवी संस्था / किसान संघ आदि का चयन कर व्यापक प्रशिक्षण /कार्यशाला / संवाद आदि कार्यक्रम आयोजित कर जल संग्रहण की दिशा में व्यापक प्रचार प्रसार।

8. संकल्पित भागीरथ कृषकों के रेवासागर निर्माण के मुहुर्त संबंधी कार्यक्रम में कलेक्टर ने स्वयं उपस्थित होकर किसानों / ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर जन चेतना जागृत की। किसानों को ऋण उपलब्ध कराने हेतु बैंकों से सहयोग की अपील एवं विकासखंड स्तर पर तकनीकी मार्गदर्शन की व्यवस्था कर इस प्रकार रेवासागर निर्माण के स्थल का चयन किया गया कि जल भरण क्षेत्र से चार गुने क्षेत्र के 15 इंच वर्षा जल से निर्मित संरचना पूर्णतः भर जावें।

9. जिला स्तरीय कोर ग्रुप एवं विकासखंड प्रभारियों की साप्ताहिक समीक्षा बैठकें आयोजित कर प्रगति और कठिनाइयों और भावी रणनीति पर विस्तृत चर्चा।

10. जिला स्तरीय कंट्रोल रूम में प्राप्त सूचनाओं की प्रतिदिन जिला स्तर पर समीक्षा की जाती है किसानों को ट्रैक्टर, जेसीबी, बैंक लोन स्वीकृति एवं तकनीकी मार्गदर्शन आदि आने वाली कठिनाइयों का त्वरित निराकरण किया जाना।

11. उक्त सफल आयोजन तथा प्रबंधन के परिणाम स्वरूप जिले में 0.50 एकड़ से 10 एकड़ तक के 1500 रेवासागर जिनकी भूमि सहित कुल लागत लगभग राशि रुपये 78.00 करोड़ का निर्माण किसानों द्वारा स्वयं के व्यय पर किया गया।

12. रेवासागर निर्माण करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए भागीरथ कृषकों के सम्मान समारोह के आयोजन।

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